गुरुग्राम: गुरुग्राम के सेक्टर-56 स्थित कीर्ति अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों की संदिग्ध मौत के 5 दिन बीत जाने के बाद भी जिला प्रशासन मौन बना हुआ है. दरअसल हॉस्पिटल की संचालक सत्तासीन बीजेपी की कार्यकर्ता बताई जा रही हैं. हॉस्पिटल की बिल्डिंग पर बीजेपी का झंडा भी लगा हुआ है.
वहीं इस हॉस्पिटल की संचालक स्वाति राठौर भाजपा के कई कार्यक्रम में मंच पर भी दिखाई देती रही हैं. कई बड़े नेताओं के साथ स्वाति राठौर की तस्वीरें भी सामने आई हैं. इस वक्त स्वाति राठौर गुरुग्राम में बीजेपी महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं. शायद यही वजह है कि मरीजों की मौत के बाद भी कोई भी कार्रवाई इस हॉस्पिटल पर नहीं की गई.
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30 अप्रैल को हुई थी 6 से 8 मरीजों की मौत
दरअसल दिल्ली से सटे गुरुग्राम के कीर्ति अस्पताल में 6 से 8 मरीजों की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया था. जहां बीती 30 अप्रैल यानी शुक्रवार की देर रात ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने से मरीजों की संदिग्ध मौत की खबर सामने आई थी. जिसके बाद अस्पताल में तैनात डॉक्टर्स, नर्स और मेडिकल अटेंडेंट तक मौके से फरार हो गए.
परिजनों की चीख-पुकार पर गुरुग्राम पुलिस मौके पर तो पहुंची लेकिन मूक दर्शक बनी रही. वायरल वीडियो में संक्रमित मरीजों के परिजन रोते बिलखते चीत्कार करते देखे जा रहे हैं. लेकिन पुलिस न तो सेवा न सहयोग और न ही सुरक्षा जैसे नारों पर खरी उतर रही है.
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वहीं इस शर्मनाक और ह्रदय विदारक मामले में बेशक जिला प्रशासन ने चुप्पी साधी हो लेकिन कीर्ति अस्पताल के मेडिकल स्टोर पर तैनात कर्मचारी मोहन ने माना कि वो खुद उस रात मेडिकल स्टोर पर मौजूद थे. ऑक्सीजन खत्म हो गयी थी. जिसके कारण 6 से 8 मरीजों की मौत हो गयी थी. जिसके बाद अफरातफरी मची और डॉक्टर्स, नर्स और अस्पताल में तैनात सभी स्टाफ अपनी जान बचा कर भाग खड़ा हुआ था.
हादसे के बाद सेक्टर 56 पुलिस थाने से गुरुग्राम पुलिस मौके पर जरूर पहुंची, लेकिन अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ 5 दिन बीत जाने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर कोई माकूल कदम तक नहीं उठाया गया.
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दबाव में गुरुग्राम जिला प्रशासन!
अस्पताल की पड़ताल में सामने आया कि अस्पताल के संचालक के सत्तासीन पार्टी बीजेपी में दबदबा होने के चलते इस अस्पताल के खिलाफ जिला प्रशासन कोई माकूल कार्रवाई करने से बचता नज़र आ रहा है. क्योंकि बीते दिनों गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में 4 मरीजों की ऑक्सीजन नहीं मिलने के चलते दर्दनाक मौत हो गई थी. जिसमें जिला प्रशासन ने तत्काल एसडीएम जांच के आदेश दे दिए थे तो वहीं दूसरी ओर इस निजी अस्पताल में जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. जो जिला प्रशासन और सरकार के दोगलेपन को दर्शा रहा है.