फरीदाबाद: जिस पराली को लेकर हरियाणा और दिल्ली सरकार के बीच जुबानी जंग छिड़ी रहती है. उसी पराली से जम्मू-कश्मीर के कुछ लोगों ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया, जिससे हजारों महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिल गया. यह बिजनेस भी ऐसा है जिसके लिए कहीं जाने की जरूरत भी नहीं, महिलाएं घर बैठे ही इसे बड़ी दिलचस्पी के साथ कर रही है.
धरती का जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर के दूर-दराज जिले किश्तवाड़ के गलहार की महिलाओं ने पराली से कई तरह का उत्पाद तैयार (kashmiri women preparing products from stubble) किया है. जिसे पहली बार बाजार में बेचने के लिए लाया गया है. महिलाओं ने हरियाणा के फरीदाबाद में लगे 35वें सूरजकुंड मेले (Surajkund mela 2022) में अपना एक स्टॉल लगाया है. जहां आपको पराली की चप्पल, वॉल हैंगिंग, योगा मैट, पट्टू जैसे कई सामान मिल जाएंगे. पराली के यह सामान जितने खास हैं, उनके बनाने वाले भी उतने खास हैं.
1 हजार से ज्यादा महिलाएं कर रही ये काम- पहाड़ों पर जीवन जितना कठिन है, उतना ही कठिन वहां पर रोजगार पैदा करना है. जम्मू कश्मीर में शुरू से ही रोजगार एक बड़ी समस्या रही है. ज्यादातर लोग टूरिज्म से जीवन-यापन कर रहे हैं. पहाड़ों में रहने वालों के पास जब सर्दियों में बर्फ पड़ती है तो उनके पास करने के लिए कोई काम नहीं होता, लेकिन एक सोच ने ना केवल उनको इस मौसम में काम दिया है, बल्कि आर्थिक तौर पर भी मजबूत किया जा रहा है. महिलाओं के सशक्तिकरण में जम्मू-कश्मीर की मुक्ति संस्था अहम भूमिका निभा रही है. इस मुहिम के जरिए किश्तवाड़ में 1000 से ज्यादा महिलाओं को जोड़ा गया है, जो इन उत्पादों को तैयार कर रही हैं.
पहली बार बाजार में लाया गया उत्पाद- घरों में तैयार किए जाते हैं सामान शिल्पकार और गांव के सरपंच दर्शन कुमार बताते हैं घरों के अंदर पहले से ही पराली से विभिन्न प्रकार का सामान बनाया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने एक नई शुरुआत की और घरों के अंदर बनाए जा रहे विभिन्न प्रकार के उत्पादों को पहली बार बाजार में लेकर आए हैं. यह उत्पाद प्राचीन समय से ही उनके घरों में बनाए जा रहे हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल सीमित था. पहले इन उत्पादों से साल भर में करीब 50 हजार की कमाई हो पा रही थी, अब मार्केट मिलने से कमाई में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
2 सौ से लेकर 8 सौ रुपये में बिकते हैं सामान- उत्पादों को तैयार करने के लिए साल में एक बार पराली इकट्ठा की जाती है. इसके बाद जब सर्दियों में बर्फ पड़नी शुरू हो जाती है, तब घरों में पराली से भिन्न प्रकार का सामान बनाने का काम शुरू किया जाता है. महिलाएं रोजमर्रा के काम निपटा कर पराली से उत्पाद बनाना शुरू कर देती हैं. पराली से तैयार सामानों की कीमत बाजार में 2 सौ से लेकर 8 सौ तक है.
पराली से बने उत्पादों में बदलाव की जरूरत- मुक्ति संस्था की संस्थापक निधि शर्मा ने बताया कि 2019 में उन्होंने इसकी स्थापना की. उनका मकसद है कि पहाड़ों में रहने वाले लोगों को रोजगार किस तरीके से मुहैया कराया जाए ताकि उनको घरों के अंदर ही रोजगार मिल सके. दर्शन कुमार के साथ मिलकर उन्होंने घरों के अंदर बनाए जा रहे इन उत्पादों को बाजार में लाने को लेकर पहल शुरू की. अब इन उत्पादों के बारे में लोगों को जानकारी होने लगी है. लोग इन उत्पादों को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में इन उत्पादों में वह आधुनिकता के साथ कुछ बदलाव करेंगे, ताकि मार्केट में उपलब्ध दूसरे उत्पादों को वह टक्कर दे सके.