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पुलवामा में शहीद हो गया हरियाणा का एक और लाल, जन्मदिवस के दिन लगी थी गोली - martyr sandeep kumar

अपनी 14 साल की सेवा में 4 बार श्रीनगर में तैनात रह चुके थे. उन्हें एक साल पहले ही चौथी बार तैनाती मिली थी. संदीप अपने पीछे मां केशर देवी, पिता नैनपाल, पत्नी गीता, छह वर्षीय बेटी लावन्या और दो-दो साल के जुड़वा बेटे रशित और रतित को छोड़ गए हैं.

पैरा कमांडो शहीद संदीप
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Published : Feb 20, 2019, 9:35 AM IST

फरीदाबाद: पुलवामा हमले से दो दिन पहले 12 फरवरी पुलवामा में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल हुए नायक हवलदार संदीप मंगलवार को शहीद हो गए. शहीद संदीप का पार्थिव शरीर आज उनके गांव अटाली पहुंचेगा जहां राजकीय सम्मान के साथ वीर जवान को विदाई दी जाएगी.


पैरा यूनिट में तैनात 30 वर्षीय नायक हवलदार संदीप को चार गोलियां व ग्रेनेड के छर्रे लगे थे. संदीप कश्मीर स्थित सेना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. बता दें कि शहीद संदीप को जिस दिन गोली लगी थी, उसी दिन उसका जन्मदिन भी था.


पैरा कमांडो शहीद संदीप का पूरा परिवार फौज से जुड़ा हुआ है. संदीप के अलावा उनके ताऊ का बेटे गजेंद्र, कुलदीप व चाचा का बेटा प्रवेश भी सेना में हैं. इसके अलावा इनमें कुनबे के चार बुजुर्ग सेना से सेवानिवृत्त हैं.


12 फरवरी को संदीप और उनके तीन साथियों की पुलवामा में आतंकवादियों से आमने-सामने की मुठभेड़ हुई थी. इसमें एक साथी मौके पर ही शहीद हो गया था. जबकि संदीप और दूसरा साथी घायल हो गए थे.

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शहीद के भाई सोनू ने बताया कि सोमवार को पिता नैनपाल, मां केशर देवी और पत्नी गीता श्रीनगर गए थे. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे संदीप शहीद हो गए.

बल्लभगढ़ के अटाली गांव निवासी संदीप कुमार वर्ष 2005 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उनका चयन 10 पैरा स्पेशल कमांडो फोर्स में किया गया. संदीप अपनी बटालियन के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाते थे. वर्तमान में उनकी तैनाती पुलवामा में थी.

11 फरवरी की रात संदीप ने परिवार के लोगों से बातचीत की थी. अपनी 14 साल की सेवा में 4 बार श्रीनगर में तैनात रह चुके थे. उन्हें एक साल पहले ही चौथी बार तैनाती मिली थी. संदीप अपने पीछे मां केशर देवी, पिता नैनपाल, पत्नी गीता, छह वर्षीय बेटी लावन्या और दो-दो साल के जुड़वा बेटे रशित और रतित को छोड़ गए हैं.

फरीदाबाद: पुलवामा हमले से दो दिन पहले 12 फरवरी पुलवामा में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल हुए नायक हवलदार संदीप मंगलवार को शहीद हो गए. शहीद संदीप का पार्थिव शरीर आज उनके गांव अटाली पहुंचेगा जहां राजकीय सम्मान के साथ वीर जवान को विदाई दी जाएगी.


पैरा यूनिट में तैनात 30 वर्षीय नायक हवलदार संदीप को चार गोलियां व ग्रेनेड के छर्रे लगे थे. संदीप कश्मीर स्थित सेना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. बता दें कि शहीद संदीप को जिस दिन गोली लगी थी, उसी दिन उसका जन्मदिन भी था.


पैरा कमांडो शहीद संदीप का पूरा परिवार फौज से जुड़ा हुआ है. संदीप के अलावा उनके ताऊ का बेटे गजेंद्र, कुलदीप व चाचा का बेटा प्रवेश भी सेना में हैं. इसके अलावा इनमें कुनबे के चार बुजुर्ग सेना से सेवानिवृत्त हैं.


12 फरवरी को संदीप और उनके तीन साथियों की पुलवामा में आतंकवादियों से आमने-सामने की मुठभेड़ हुई थी. इसमें एक साथी मौके पर ही शहीद हो गया था. जबकि संदीप और दूसरा साथी घायल हो गए थे.

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शहीद के भाई सोनू ने बताया कि सोमवार को पिता नैनपाल, मां केशर देवी और पत्नी गीता श्रीनगर गए थे. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे संदीप शहीद हो गए.

बल्लभगढ़ के अटाली गांव निवासी संदीप कुमार वर्ष 2005 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उनका चयन 10 पैरा स्पेशल कमांडो फोर्स में किया गया. संदीप अपनी बटालियन के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाते थे. वर्तमान में उनकी तैनाती पुलवामा में थी.

11 फरवरी की रात संदीप ने परिवार के लोगों से बातचीत की थी. अपनी 14 साल की सेवा में 4 बार श्रीनगर में तैनात रह चुके थे. उन्हें एक साल पहले ही चौथी बार तैनाती मिली थी. संदीप अपने पीछे मां केशर देवी, पिता नैनपाल, पत्नी गीता, छह वर्षीय बेटी लावन्या और दो-दो साल के जुड़वा बेटे रशित और रतित को छोड़ गए हैं.

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पुलवामा में शहीद हो गया हरियाणा का एक और लाल, जन्मदिवस के दिन लगी थी गोली 



फरीदाबाद: पुलवामा हमले से दो दिन पहले 12 फरवरी पुलवामा में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में घायल हुए नायक हवलदार संदीप मंगलवार को शहीद हो गए. शहीद संदीप का पार्थिव शरीर आज उनके गांव अटाली पहुंचेगा जहां राजकीय सम्मान के साथ वीर जवान को विदाई दी जाएगी.





पैरा यूनिट में तैनात 30 वर्षीय नायक हवलदार संदीप को चार गोलियां व ग्रेनेड के छर्रे लगे थे. संदीप कश्मीर स्थित सेना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे. बता दें कि शहीद संदीप को जिस दिन गोली लगी थी, उसी दिन उसका जन्मदिन भी था.





पैरा कमांडो शहीद संदीप का पूरा परिवार फौज से जुड़ा हुआ है. संदीप के अलावा उनके ताऊ का बेटे गजेंद्र, कुलदीप व चाचा का बेटा प्रवेश भी सेना में हैं. इसके अलावा इनमें कुनबे के चार बुजुर्ग सेना से सेवानिवृत्त हैं. 





12 फरवरी को संदीप और उनके तीन साथियों की पुलवामा में आतंकवादियों से आमने-सामने की मुठभेड़ हुई थी. इसमें एक साथी मौके पर ही शहीद हो गया था. जबकि संदीप और दूसरा साथी घायल हो गए थे.



शहीद के भाई सोनू ने बताया कि सोमवार को पिता नैनपाल, मां केशर देवी और पत्नी गीता श्रीनगर गए थे. मंगलवार सुबह करीब 11 बजे संदीप शहीद हो गए. 





बल्लभगढ़ के अटाली गांव निवासी संदीप कुमार वर्ष 2005 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उनका चयन 10 पैरा स्पेशल कमांडो फोर्स में किया गया. संदीप अपनी बटालियन के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माने जाते थे. वर्तमान में उनकी तैनाती पुलवामा में थी.





11 फरवरी की रात संदीप ने परिवार के लोगों से बातचीत की थी. अपनी 14 साल की सेवा में 4 बार श्रीनगर में तैनात रह चुके थे. उन्हें एक साल पहले ही चौथी बार तैनाती मिली थी. संदीप अपने पीछे मां केशर देवी, पिता नैनपाल, पत्नी गीता, छह वर्षीय बेटी लावन्या और दो-दो साल के जुड़वा बेटे रशित और रतित को छोड़ गए हैं.


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