फरीदाबाद: बहुचर्चित नगर निगम घोटाले के आरोपी चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर को विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया है. मुख्य अभियंता भास्कर को सेक्टर 21 के एक होटल से गिरफ्तार किया गया. इस घोटाले में डीआर भास्कर मुख्य आरोपी है. पुलिस उसे अदालत में पेश करके रिमांड पर लेगी. इस मामले में ठेकेदार सतवीर को विजिलेंस पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. फरीदाबाद नगर निगम के घोटाले में अभी तक की ये सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. इस मामले में अब बड़े अधिकारी शिकंजे में आने लगे हैं.
मुख्य अभियंता डीआर भास्कर की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले में शामिल दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है. डीआर भास्कर पर इस घोटाले में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा बिना काम किए गए नकली बिलों के जरिए भुगतान का आरोप है. डीआर भास्कर के अलावा Executive Engineer(एक्सईएन) रमन शर्मा पर भी करोड़ों रुपए के गबन का आरोप है. हरियाणा सरकार इन दोनो अधिकारियों को पहले ही निलंबित कर चुकी है. जिसके बाद से इनकी गिरफ्तारी के कयास लगाए जा रहे थे.
डीआर भास्कर ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका भी लगाई थी लेकिन कोर्ट ने भास्कर की अग्रिम जमानत याचिका 2 मई को खारिज कर दी थी. जिसके बाद से उसकी गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें दबिश दे रही थीं. फरीदाबाद में घोटाले के बाद डीआर भास्कर का अर्बन लोकल बॉडी चंडीगढ़ में ट्रांसफर हो गया था जबकि रमन शर्मा हिसार नगर निगम में चीफ इंजीनियर के पद भेज दिया गया था. घोटाले में नाम आने के बाद इनको निलंबित कर दिया गया. भास्कर की गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस रमन शर्मा को भी जल्द ही गिरफ्तार कर सकती है.
इस मामले में आरोपी सतीश ठेकेदार ने भी अपने बयानों में इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड डीआर भास्कर को बताया था. जिसके बाद सतवीर ठेकेदार की शिकायत पर ही डीआर भास्कर और रमन शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. बिजिलेंस ने दोनों को अपनी जांच के दौरान पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन दोनों में से कोई भी जांच में शामिल नहीं हुआ. जिसके बाद गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किए गए.
फरीदाबाद नगर निगम घोटाला क्या है- फरीदाबाद नगर निगम में करीब 200 करोड़ का घोटाला 2020 में उजागर हुआ था. फरीदाबाद नगर निगम के चार पार्षदों ने तत्कालीन निगम आयुक्त को शिकायत दी थी कि निगम के लेखा विभाग ने ठेकेदार सतबीर की विभिन्न फर्मों को बिना काम किए भुगतान कर दिया है. निगम आयुक्त ने अपने स्तर पर मामले की जांच कराई. ठेकेदार को भुगतान में अनियमितताएं पाए जाने पर उन्होंने विजिलेंस से जांच की सिफारिश की. साल 2020 से विजिलेंस इस मामले की जांच कर रही थी. इसके बाद विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर, कार्यकारी अभियंता प्रेमराज, कनिष्ठ अभियंता शेर सिंह, लिपिक पंकज कुमार, प्रदीप, लेखा शाखा लिपिक तस्लीम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया.
विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर की चार फर्मों के बैंक खातों की जांच की. उसके खातों में नगर निगम की तरफ से 190 करोड़ रुपये का भुगतान मिला. इसमें एक मुकदमा 28 मार्च को दर्ज किया गया था. छह अप्रैल को विजिलेंस ने ठेकेदार सतबीर को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में अभी तक केवल आरोपी ठेकेदार सतबीर और डीआर भास्कर की ही गिरफ्तारी हुई है. मामले में शामिल अन्य किसी भी आरोपी कर्मचारी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी. लेकिन डीआर भास्कर की गिरफ्तारी के बाद बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी भी तय मानी जा रही है.
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