फरीदाबाद: हरियाणा में पिछले दो दिन से हो रही बारिश अब किसानों के लिए आफत बन गई है. लगातार बारिश की वजह से किसानों पर दो तरफा मार पड़ रही है. एक तरफ अन्नदाता की खेत में खड़ी हुई धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद होने के कगार पर पहुंच चुकी है तो वहीं मंडी में भी सरकारी इंतजाम ना होने के चलते धान की फसल पानी में भीग चुकी है. जिसका सीधा नुकसान अन्नदाता को होगा.
किसान की धान की फसल खेतों में बिल्कुल पककर तैयार खड़ी हुई है. भारी मात्रा में फसल को काटकर मंडी भी लाया जा चुका है, लेकिन बारिश ने किसान की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है. बारिश के चलते धान मंडी में लाई गई किसान की धान की फसल पूरी तरह से भीग चुकी है. मंडी में पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के चलते किसान का मंडी में लाया गया धान पानी में भीग गया और अब इस धन को फिर से सूखाने में करीब 1 हफ्ते का वक्त लगेगा और किसान की दोगुनी मेहनत भी इसमें लगेगी.
सरकारी एजेंसियां अब इस भीगे हुए धान को खरीदने में आनाकानी करेंगी. एक तरफ जहां मंडी में किसान का धान भीग रहा है तो वहीं खेत में खड़े धान की फसल को भी भारी नुकसान हो रहा है. खेत में खड़ी हुई धान की फसल पूरी तरह से ही जमीन पर गिर चुकी है. जिससे धान की फसल के वजन पर बहुत ज्यादा फर्क पड़ेगा. जहां पहले एक एकड़ में 60 मण धान होने की उम्मीद थी. वहीं अब आधा घटकर करीब 30 से 40 मण के बीच ही रह जाएगा.
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल सरकार और प्रशासन पर उठता है कि आखिर मंडी में धान के आने के बाद भी उसके रखरखाव और बचाव के लिए कोई प्राप्त इंतजाम क्यों नहीं हो किए जाते, हर साल लाखों करोड़ों रुपए मंडियों के रखरखाव पर खर्च किए जाते हैं, लेकिन जब भी बारिश या कोई तूफान आता है तो अन्नदाता की फसल उसकी चपेट में आ जाती है. ऐसे में बेचारा किसान जाए तो आखिर कहां जाए. वहीं सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का वादा करती है, लेकिन आय दोगुना करना तो दूर किसानों को उनकी मेहनत का फल मिल जाए. वही उनके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं.
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