चंडीगढ़: 11 जुलाई 1987 को दुनिया के सभी देशो की जनसंख्या 5 अरब के आंकड़े को पार कर गई. जिसके बाद बढ़ती जनसंख्या से होने वाले खतरों से आगाह करने, बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने को लेकर दुनिया के तमाम देश एक मंच पर आए और हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. सबसे पहले इस क्रार्यक्रम को मनाने का निर्णय संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लिया गया.
जनसंख्या पर नियंत्रण करना जरूरी
पूरे विश्व में साल-दर-साल बढ़ती आबादी को देखते हुए आज के दिन बढ़ती जनसंख्या से होने वाले दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला जाता है और साथ ही लोगों को जागरूक किया जाता है कि जनसंख्या पर नियंत्रण रखना क्यों जरूरी है. आज के दिन लोगों को जागरूक करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है.
जनसंख्या वृद्धि से जुड़े कुछ हैरान कर देने वाले तथ्य :
- दुनिया की कुल आबादी का आधा हिस्सा सिर्फ चीन, भारत, पाकिस्तान, ब्राजील, अमेरिका और इण्डोनेशिया में है
- विश्व की जनसंख्या का लगभग 50.4 % पुरुष और 49.6 % महिला है
- विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले शहर का दर्जा चीन के संघाई शहर का है
- अगर फेसबुक एक देश होता और इसके यूजर निवासी तो यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश होता
- आंकड़ों के अनुसार हर 20 मिनट में लगभग 3000 लोग पैदा होते है
- मानव सभ्यता की शुरुआत से लेकर अब तक 108 अरब लोग हमारी धरती पर रह चुके है
- एक बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया में रोजाना लगभग 800 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है
जनसंख्या वृद्धि के कारण :
- शिक्षा का अभाव जनसंख्या वृद्धि की एक बड़ी वजह है.
- रूढ़िवादी सोच और पुरुष-प्रधान समाज में लड़के की चाह में लोग कई बच्चे पैदा कर लेते हैं.
- आज भी कई ऐसी जगहें हैं, जहां बड़े-बुजुर्गों की ऐसी सोच होती है कि यदि उनकी पुश्तैनी धन-संपत्ति अधिक है, तो उसे आगे बढ़ाने और संभालने के लिए ज्यादा लड़के पैदा किए जाएं .
- शिक्षित और मध्यमवर्गीय परिवार की यह सोच कि 'अधिक बच्चे विशेष तौर पर लड़के यानी उनके बुढ़ापे का सहारा'
- परिवार नियोजन के महत्व को समझाए बगैर ही युवाओं की शादी कर देना भी एक वजह है.
- लड़कियों को गर्भ निरोधक के उपाय संबंधित जानकारी शादी के पहले नहीं दी जाती है और कई मामलों में शादी के बाद भी कैसे अनचाहे गर्भ से बचें, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं होती है.
- गरीबी भी जनसंख्या बढ़ने का मूल कारण है.
- हमारे देश में बहुत से बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.
- रोजगार की समस्या, यह साफतौर पर बताता है कि आपके बच्चे और देश के विकास में ज्यादा जनसंख्या रुकावट बनती है.
जनसंख्या बढ़ने के नुकसान:
- ज्यादा बच्चों का भरण-पोषण करना मुश्किल होगा
- इससे आपका जीवन तो कष्टमय बीतेगा ही, साथ ही बच्चों का भी भविष्य खराब होगा
- असमानता बढ़ेगी जिसके लिए बाद में आप सरकार को दोष देंगे
- घर में ज्यादा बच्चे यानी स्कूल में भी ज्यादा, कॉलेज में भी ज्यादा, नौकरी पाने की दौड़ में भी ज्यादा, फलस्वरूप प्रतिस्पर्धा ज्यादा और इस प्रकार पूरे समाज, दुनिया में असमानता व भेदभाव को बढ़ावा मिलेगा.
- नक्सलवाद जैसी समस्याओं का मूल कारण भी यही सामाजिक असमानता है
- जो आगे जाकर लोगों में गरीबी-अमीरी के बीच फासले बढ़ाती है
- यदि आबादी कम होगी तो विकास का लाभ सभी को बराबरी से मिल सकेगा
- कहीं चोरी नहीं होगी और कोई बंदूक नहीं उठाएगा
- जनसंख्या अधिक होने से समाज की तरक्की धीमी होती है
कैसे बढ़ती जनसंख्या को रोकें:
- घर-घर तक पहुंचकर लोगों को जनसंख्या रोकने के तरीके व विकल्प बताएं
- युवाओं का 25-30 की उम्र से पहले विवाह न करें
- 2 बच्चों के बीच कम से कम 5 साल का अंतर रखने की वजह समझाएं
- जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए इसे सामाजिक और धार्मिक स्तर पर जोड़ें
- अधिक बच्चे पैदा करने वालों का सामाजिक स्तर पर बहिष्कार करें
- आपके बच्चों के लिए प्रतिस्पर्धा ज्यादा होगी और देश में बेरोजगार होने की आशंका बढ़ेगी
जनसंख्या नियंत्रण के उपाय:
- सख्त कानून की जरूरत
- बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दे सरकार
- विवाह की उम्र सीमा बढ़ाई जाए
- ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को न मिले छूट
- शिशु मृत्युदर कम करना होगा
- सबसे जरूरी जागरूकता अभियान
वर्तमान अनुमानों से मिलता है ये संकेत
वर्तमान अनुमानों से संकेत मिलता है कि हर साल लगभग 83 मिलियन लोगों को दुनिया की आबादी में जोड़ा जा रहा है. 2030 में वैश्विक जनसंख्या 8.6 बिलियन, 2050 में 9.8 बिलियन और 2100 में 11.2 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है.
12 साल में 1 बिलियन लोगों को जोड़ा गया
1950 में, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के पांच साल बाद, दुनिया की आबादी लगभग 2.6 बिलियन लोगों की अनुमानित थी. जो 1999 में 6 अरब 6 अरब में 5 बिलियन तक पहुंच गया. अक्टूबर 2011 में, वैश्विक आबादी 7 अरब होने का अनुमान लगाया गया था. इस मील के पत्थर को चिह्नित करने के लिए एक वैश्विक आंदोलन "7 बिलियन एक्शन" शुरू किया गया था और 2015 के मध्य तक दुनिया की आबादी 7.3 बिलियन तक पहुंच गई, जिसका अर्थ है कि दुनिया ने बारह साल की अवधि में लगभग एक बिलियन लोगों को जोड़ा है.
2019 के लिए थीम
इस साल का विश्व जनसंख्या दिवस, 1994 के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जनसंख्या और विकास के अधूरे व्यापार पर वैश्विक ध्यान देने का आह्वान करता है. उस ऐतिहासिक सम्मेलन को पच्चीस साल बीत चुके हैं, जहां 179 सरकारों ने माना है कि सतत विकास को हासिल करने के लिए प्रजनन स्वास्थ्य और लैंगिक समानता आवश्यक है.