चंडीगढ़: आज कई प्रजाति के जीव, जंतु और वनस्पति विलुप्त हो रही हैं. विलुप्त होते जीव-जंतु और वनस्पति की रक्षा का विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर संकल्प लेना ही इसका उद्देश्य है. जल, जंगल और जमीन इन तीन तत्वों के बिना प्रकृति अधूरी है. इसलिए 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
खतरे में है पृथ्वी
एक रिपोर्ट की माने तो 1970 के बाद पृथ्वी पर जनसंख्या दोगुनी हो गई है, जबकि जिन संसाधनों पर हम लोग निर्भर करते हैं, उसमें 33% की गिरावट आई है. प्रकृति को बचाने के लिए भारत की ओर से भी कई योजनाएं शुरू की गई हैं.
केंद्र की ओर से शुरू की गई कई योजनाएं
भारत सरकार की ओर से 2016 में Compensatory Afforestation Bill पास किया गया. जिसके तहत ये फैसला किया गया था कि हर साल राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों को 6000 करोड़ प्रकृति के संरक्षण, सुधार और विस्तार के लिए दिए जाएंगे.
पानी का संरक्षण है जरूरी
पानी के संरक्षण के लिए Indian Space Research Organization के साथ मिलकर Central Water Commission ने डेटाबेस तैयार किया है. जिसके जरिए 15,615 नदियों पर नजर रखी जा रही है. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस डेटाबेस के जरिए नदियों के जल की गुणवत्ता की नियमित रूप से निगरानी कर रहा है.
NGT क्या है ?
2010 में एनजीटी की स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 के तहत की गई. पर्यावरण संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और त्वरित निपटान के लिए एनजीटी की स्थापना की गई है. इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से एलईडी परियोजना भी शुरू की गई है. इस योजना के तहत बिजली बचाने के लिए सरकार की ओर से फ्री एलईडी लगाई जा रही है.
हरा भरा हो आने वाला कल
अगर हम हरा भरा कल चाहते हैं, तो हमें इसके लिए आज से पहल करनी होगी. नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब इस दुनिया से पेड़, पौधे और जानवार खत्म हो जाएंगे और इन सभी के साथ हम भी.