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World IBD Day: फ्रिज का ठंडा और माइक्रोवेव का गरम खाना बन सकता है कैंसर का कारण, सुनिए PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर की सलाह - etv bharat haryana news

World IBD Day: बदलती दिनचर्या और लाइफ स्टाइल के साथ कई बीमारियां भी बढ़ रही हैं. फ्रिज और माइक्रोवेव जैसे उपकरण आजकर हर घर में होते हैं. आमतौर पर लोगों को ये अंदाजा नहीं होगा कि यही फ्रिज और माइक्रोवेव जैसे उपकरणों से हमे ऐसी बीमारी मिल रही है जो बेहद घातक है. यहां तक की नजर अंदाज करने पर कैंसर तक हो सकता है. इस बीमारी को आईबीडी (inflammatory bowel diseases) कहते हैं.

World IBD Day
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Published : May 19, 2022, 4:53 PM IST

Updated : May 19, 2022, 6:52 PM IST

चंडीगढ़: 19 मई को विश्व आईबीडी दिवस (World IBD Day) के तौर पर मनाया जाता है. जिसका मकसद है लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरुक करना. आमतौर पर कोई बीमारी होने पर उसके लक्षण दिखते हैं तो इंसान उसका समय पर इलाज शुरु करवा देता है. डॉक्टरों को भी लक्षण देखकर बीमारी के बारे में समझने में ज्यादा देर नहीं लगती. लेकिन आईबीडी (inflammatory bowel diseases) एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज इसके लक्षणों को समझ नहीं पाता. जिसके चलते इलाज में भी देरी हो जाती है. यही देरी कई बार कैंसर का कारण भी जाती है. आखिर क्या है आईबीडी बीमारी. क्या हैं इसको पहचानने के तरीके. इसका इलाज किस हद तक संभव है. इन सभी सवालों को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर उषा दत्ता से बात की.


आईबीडी के लक्षण क्या हैं- प्रोफेसर ऊषा दत्ता ने बताया कि इस आईबीडी बीमारी में मरीज की छोटी और बड़ी आंत के अंदरूनी हिस्से में जख्म हो जाता है. अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है तो उसे पेट में दर्द होता है. दस्त होते हैं. मल करते वक्त दर्द महसूस होता है. साथ ही मल के साथ खून भी आता है. हालांकि इस तरह के लक्षण कई अन्य बीमारियों में भी होते हैं. जैसे डायरिया और बवासीर इत्यादि. इसलिए मरीज को लगता है कि उसे उन्हीं में से कोई बीमारी हुई होगी. इसे पहचानने का सबसे आसान तरीका यह है कि अगर इस तरह के लक्षण 2 हफ्ते से ज्यादा चले तो मरीज को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और आईबीडी टेस्ट कराने चाहिए.

World IBD Day: फ्रिज का ठंडा और माइक्रोवेव का गरम खाना बन सकता है कैंसर का कारण, सुनिए PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर की सलाह



आईबीडी बीमारी का कारण- अगर इस बीमारी का इलाज समय पर करवाया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है. लेकिन लगातार नजरअंदाज करने और लापरवाही के चलते ये कैंसर का भी कारण बन सकती है. इस बीमारी के कारणों के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर उषा ने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण खराब खानपान है. आजकल लोग ताजा बने खाने की बजाय पहले से तैयार खाने को खाना पसंद करते हैं. लोग फ्रिज में पड़ा ठंडा खाना निकालते हैं और उसे माइक्रोवेव में गर्म करके खाते हैं. ऐसा खाना बेहद हानिकारक है. ऐसा खाना इस बीमारी का बड़ा कारण है.

डॉक्टर ऊषा की मानें तो इस बीमारी के होने का एक कारण ये भी है कि आजकल होटलों में बना खाना भी लोग घर पर मंगवाते हैं. होटलों का खाना भी अच्छा और साफ सुथरा नहीं होता. ना ही वह कई बार ताजा होता है. इसके अलावा लोग शराब और धूम्रपान करते हैं. लोग तनाव भी लेते हैं. वह भी इस बीमारी का बड़ा कारण है. अत्यधिक तनाव लेने से आंतों पर असर पड़ता है. आंतें सिकुड़ जाती हैं और व्यक्ति इस तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है. पिछले कुछ सालों में इस बीमारी के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं.

World IBD Day
आईबीडी बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके.

आईबीडी से बचाव का तरीका- डॉक्टर ऊषा का कहना है कि ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. कुछ सालों पहले तक चंडीगढ़ पीजीआई में इस बीमारी के करीब 6 मरीज महीने में आते थे लेकिन अब हर महीने करीब 30 मरीज आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी का इलाज ज्यादा मुश्किल नहीं है अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए. इसको पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. लोग जितना हो सके अपने लाइफ स्टाइल और खानपान को सुधारें. ताकि वह इस तरह की बीमारियों की चपेट में ना आए. अगर किसी को यह बीमारी हो जाती है तो वह बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

चंडीगढ़: 19 मई को विश्व आईबीडी दिवस (World IBD Day) के तौर पर मनाया जाता है. जिसका मकसद है लोगों को इस बीमारी को लेकर जागरुक करना. आमतौर पर कोई बीमारी होने पर उसके लक्षण दिखते हैं तो इंसान उसका समय पर इलाज शुरु करवा देता है. डॉक्टरों को भी लक्षण देखकर बीमारी के बारे में समझने में ज्यादा देर नहीं लगती. लेकिन आईबीडी (inflammatory bowel diseases) एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज इसके लक्षणों को समझ नहीं पाता. जिसके चलते इलाज में भी देरी हो जाती है. यही देरी कई बार कैंसर का कारण भी जाती है. आखिर क्या है आईबीडी बीमारी. क्या हैं इसको पहचानने के तरीके. इसका इलाज किस हद तक संभव है. इन सभी सवालों को लेकर हमने चंडीगढ़ पीजीआई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर उषा दत्ता से बात की.


आईबीडी के लक्षण क्या हैं- प्रोफेसर ऊषा दत्ता ने बताया कि इस आईबीडी बीमारी में मरीज की छोटी और बड़ी आंत के अंदरूनी हिस्से में जख्म हो जाता है. अगर कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है तो उसे पेट में दर्द होता है. दस्त होते हैं. मल करते वक्त दर्द महसूस होता है. साथ ही मल के साथ खून भी आता है. हालांकि इस तरह के लक्षण कई अन्य बीमारियों में भी होते हैं. जैसे डायरिया और बवासीर इत्यादि. इसलिए मरीज को लगता है कि उसे उन्हीं में से कोई बीमारी हुई होगी. इसे पहचानने का सबसे आसान तरीका यह है कि अगर इस तरह के लक्षण 2 हफ्ते से ज्यादा चले तो मरीज को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और आईबीडी टेस्ट कराने चाहिए.

World IBD Day: फ्रिज का ठंडा और माइक्रोवेव का गरम खाना बन सकता है कैंसर का कारण, सुनिए PGI चंडीगढ़ के डॉक्टर की सलाह



आईबीडी बीमारी का कारण- अगर इस बीमारी का इलाज समय पर करवाया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है. लेकिन लगातार नजरअंदाज करने और लापरवाही के चलते ये कैंसर का भी कारण बन सकती है. इस बीमारी के कारणों के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर उषा ने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण खराब खानपान है. आजकल लोग ताजा बने खाने की बजाय पहले से तैयार खाने को खाना पसंद करते हैं. लोग फ्रिज में पड़ा ठंडा खाना निकालते हैं और उसे माइक्रोवेव में गर्म करके खाते हैं. ऐसा खाना बेहद हानिकारक है. ऐसा खाना इस बीमारी का बड़ा कारण है.

डॉक्टर ऊषा की मानें तो इस बीमारी के होने का एक कारण ये भी है कि आजकल होटलों में बना खाना भी लोग घर पर मंगवाते हैं. होटलों का खाना भी अच्छा और साफ सुथरा नहीं होता. ना ही वह कई बार ताजा होता है. इसके अलावा लोग शराब और धूम्रपान करते हैं. लोग तनाव भी लेते हैं. वह भी इस बीमारी का बड़ा कारण है. अत्यधिक तनाव लेने से आंतों पर असर पड़ता है. आंतें सिकुड़ जाती हैं और व्यक्ति इस तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है. पिछले कुछ सालों में इस बीमारी के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं.

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आईबीडी बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके.

आईबीडी से बचाव का तरीका- डॉक्टर ऊषा का कहना है कि ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. कुछ सालों पहले तक चंडीगढ़ पीजीआई में इस बीमारी के करीब 6 मरीज महीने में आते थे लेकिन अब हर महीने करीब 30 मरीज आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी का इलाज ज्यादा मुश्किल नहीं है अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए. इसको पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. लोग जितना हो सके अपने लाइफ स्टाइल और खानपान को सुधारें. ताकि वह इस तरह की बीमारियों की चपेट में ना आए. अगर किसी को यह बीमारी हो जाती है तो वह बिना देर किए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

Last Updated : May 19, 2022, 6:52 PM IST
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