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पत्नी की याद में बनवाई संगमरमर की मूर्ति, अब हिमाचल से आया शादी का ऑफर

चंडीगढ़ के रहने वाले विजय कुमार की पत्नी का निधन मार्च में हो गया था. अपनी पत्नी वीणा की याद में विजय ने संगमरमर की मूर्ति बनवा ली. जिसके बाद उनके पास हिमाचल से शादी का ऑफर आया है.

नहीं रही पत्नी तो संगमरमर की मूर्ति को लगाया गले
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Published : Jun 27, 2019, 8:12 AM IST

चंडीगढ़: जैसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था. ऐसे ही चंडीगढ़ के विजय कुमार ने अपनी पत्नी की याद में संगमरमर की मूर्ति बनवाई है. पत्नी की मौत के बाद विजय ने उनकी हूबहू दिखने वाली संगमरमर की मूर्ति बनवाई.

आपको बता दें के विजय कुमार की पत्नी वीणा का देहांत इसी साल मार्च में हुआ था. वीणा ब्लड कैंसर से पीड़ित थी. उनके देहांत के बाद विजय की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. विजय अवसाद का शिकार होने लगे. वो हर समय अपनी पत्नी को याद करते रहते थे.

जिसके बाद विजय ने संगमरमर की मूर्ति बनवाई. इस मूर्ति को बनाने में करीब डेढ़ महीने का समय लगा. विजय इस मूर्ति को हमेशा अपनी आंखों के सामने रखते हैं. इस मूर्ति से बातें करते हैं. हर रोज मूर्ति की सफाई करते हैं और देखभाल करते हैं.

क्लिक कर देखें विडियो

विजय ने बताया कि इस मूर्ति को देखकर एक बार हिमाचल की महिला ने उनको शादी का ऑफर दिया था. महिला का दावा था कि वो उनकी पत्नी के जैसी ही दिखती है. इसलिए वो उनके साथ रहने के लिए तैयार है. लेकिन विजय ने उनके ऑफर को ठुकरा दिया.

विजय बताते हैं कि उनकी शादी साल 1972 में हुई थी. वे दोनों 48 साल साथ तक साथ रहे. इन 48 सालों में कई देश एक साथ घूमे. पूरे देश का भृमण किया. जहां भी जाते साथ जाते. हमेशा साथ रहते और साथ खाते. दिनभर के सारे फैसले साथ ही लेते थे. पत्नी वीणा के जाने के बाद वे बहुत अकेले हो गए. वीणा की याद में विजय ने कई किताबें लिखी हैं.

चंडीगढ़: जैसे शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था. ऐसे ही चंडीगढ़ के विजय कुमार ने अपनी पत्नी की याद में संगमरमर की मूर्ति बनवाई है. पत्नी की मौत के बाद विजय ने उनकी हूबहू दिखने वाली संगमरमर की मूर्ति बनवाई.

आपको बता दें के विजय कुमार की पत्नी वीणा का देहांत इसी साल मार्च में हुआ था. वीणा ब्लड कैंसर से पीड़ित थी. उनके देहांत के बाद विजय की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई. विजय अवसाद का शिकार होने लगे. वो हर समय अपनी पत्नी को याद करते रहते थे.

जिसके बाद विजय ने संगमरमर की मूर्ति बनवाई. इस मूर्ति को बनाने में करीब डेढ़ महीने का समय लगा. विजय इस मूर्ति को हमेशा अपनी आंखों के सामने रखते हैं. इस मूर्ति से बातें करते हैं. हर रोज मूर्ति की सफाई करते हैं और देखभाल करते हैं.

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विजय ने बताया कि इस मूर्ति को देखकर एक बार हिमाचल की महिला ने उनको शादी का ऑफर दिया था. महिला का दावा था कि वो उनकी पत्नी के जैसी ही दिखती है. इसलिए वो उनके साथ रहने के लिए तैयार है. लेकिन विजय ने उनके ऑफर को ठुकरा दिया.

विजय बताते हैं कि उनकी शादी साल 1972 में हुई थी. वे दोनों 48 साल साथ तक साथ रहे. इन 48 सालों में कई देश एक साथ घूमे. पूरे देश का भृमण किया. जहां भी जाते साथ जाते. हमेशा साथ रहते और साथ खाते. दिनभर के सारे फैसले साथ ही लेते थे. पत्नी वीणा के जाने के बाद वे बहुत अकेले हो गए. वीणा की याद में विजय ने कई किताबें लिखी हैं.

Intro:आज के दौर में जब पति पत्नी के जन्मों के रिश्ते भी छोटी सी बात पर टूट जाते हैं । जहां ना लोगों में प्यार बचा है और ना ही कोई संवेदना। वही चंडीगढ़ के रहने वाले विजय कूमरा ने आज की युवा पीढ़ी के लिए प्यार की एक मिसाल पेश की है । विजय कुमरा अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे। इसलिए उनकी पत्नी के निधन के बाद उन्हें उनकी कमी खलने लगी और इसी कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी की हूबहू दिखने वाली एक मूर्ति बनवाई और उसे अपने घर में सजा लिया ताकि उनकी पत्नी का चेहरा हमेशा उनके सामने रहे।


Body:आपको बता दें के विजय कुमरा की पत्नी वीणा का देहांत इसी साल मार्च में हुआ था ।वह ब्लड कैंसर से पीड़ित थी। उनके देहांत के बाद विजय की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई वे अवसाद का शिकार होने लगे वह हमेशा अपनी पत्नी को याद करते रहते इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी की मूर्ति बनवाने की सोची और राजस्थान से अपनी पत्नी की हूबहू दिखने वाली एक मूर्ति बनवाई। इस मूर्ति को कारीगरों ने संगमरमर के पत्थर से बनाया है और इसे बनाने में करीब डेढ़ महीने का वक्त लगा। इस मूर्ति के घर में आने से विजय हमेशा इसे अपनी आंखों के सामने रखते हैं और इस मूर्ति से बातें करते हैं। वे कहते हैं इस मूर्ति को देख कर लगता है कि उनकी पत्नी उनके सामने खड़ी है।
विजय बताते हैं कि उनकी शादी साल 1972 में हुई थी और वह 48 साल साथ रहे और इन 48 सालों में उन्होंने कई देश एक साथ घूमे और कार में पूरे भारत का भ्रमण भी किया। वे जहां भी जाते एक साथ ही जाते थे। पिछले 48 सालों में वे कभी अलग नहीं रहे मगर अब वीणा के देहांत के बाद वह बिल्कुल अकेले हो गए हैं। विजय ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी वीणा के लिए कई किताबें भी लिखी थी।


Conclusion:विजय कुमरा के अपनी पत्नी के प्रति प्यार को देखते हुए यह महसूस होता है कि आज भी दुनिया में पति पत्नी का प्यार मिसाल बन सकता है। इतिहास में प्यार से जुड़ी कई कहानियों को आज भी सुना जा सकता है उसी तरह विजय कुमरा के अपने पति के प्रति प्यार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जो हर पति पत्नी के लिए एक मिसाल है।
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