पानीपत: घोर कलयुग की कहानियां केवल किताबों और फिल्मों में ही देखने को नहीं मिलती. बल्कि ऐसा रियल जिंदगी में होता है. जी हां, हरियाणा के पानीपत से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. मॉडल टाउन के अमरजीत ने अपनी 5 एकड़ जमीन और कोठी बेचकर बेटी, बहन और पत्नी को करोड़ों रुपये दे दिए. जब बुजुर्ग के पास कुछ नहीं रहा तो परिवार के लोगों ने उसे घर से निकालकर वृद्ध आश्रम भेज दिया.
अंतिम सफर में भी नहीं मिला अपनों का साथ: जब बुजुर्ग वृद्ध आश्रम में बीमार पड़े तो आश्रम के प्रतिनिधियों ने उन्हें जन सेवा दल के अपना आशियाना में छोड़ दिया. दो साल बाद 15 जनवरी को उनकी मौत हो गई. नागरिक अस्पताल के शवगृह में चार दिन से उनका शव अंतिम संस्कार के इंतजार में रहा. बेटी, पत्नी और बहनों को उनकी मौत की सूचना दी तो उन्होंने अंतिम संस्कार में आने से मना कर दिया. जिसके बाद मंगलवार श्याम को जन सेवा दल के सदस्यों ने असंध रोड स्थित शिवपुरी में उनके शव का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया.
परिवार को सिर्फ पैसों से मतलब: मिली जानकारी के मुताबिक, 84 वर्षीय अमरजीत की अजीजुलपर गांव में 5 से 8 एकड़ जमीन थी और मॉडल टाउन में उनकी कोठी थी. बुजुर्ग के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटी और दो बहने थी. अमरजीत ने अपनी जमीन बेचकर बेटी को पढ़ाया और उसे आत्मनिर्भर बनाया और अच्छे खानदान में शादी भी की. इसके बाद पत्नी अपनी बेटी के साथ उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में चली गई. उनकी बहन अमेरिका व दूसरी दिल्ली में रहने लगी. उन्होंने अमरजीत को पानीपत के एक वृद्ध आश्रम छोड़ दिया.
बीमारी के चलते बुजुर्ग की मौत: साल 2022 में अमरजीत वृद्ध आश्रम में बीमार हो गए तो आश्रम के प्रतिनिधियों ने भी उन्हें जन सेवा दल के अपना आशियाना में छोड़ दिया. जन सेवा दल के सदस्यों ने उनका इलाज कराया और अपने पास रखा. पांच दिन पहले अमरजीत की तबीयत अचानक बिगड़ गई. जन सेवा दल के सचिव चमन गुलाटी ने उन्हें जिला नागरिक अस्पताल में दाखिल कराया, जहां उनकी मौत हो गई.
परिवार को सिर्फ डेथ सर्टिफिकेट चाहिए: जन सेवा दल के महासचिव चमन गुलाटी ने बताया कि एक इंसान ने पूरा जीवन परिवार के लिए कुर्बान कर दिया. जमीन बेचकर उन्हें करोड़ों रुपये दिए. अब परिवार के लोग उनके अंतिम संस्कार में भी आने से इनकार कर रहे हैं. बेटी, पत्नी और बहनों को उन्होंने कॉल कर अमरजीत की मौत की सूचना दी. उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार में नहीं आ सकते. उन्हें अमरजीत का मृत्यु प्रमाण पत्र भेज देना. जिसके बाद मंगलवार को अमरजीत के शव का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया.
परिवार ने मोड़ा मुंह: चमन गुलाटी ने बताया 15 अगस्त को अमरजीत ने डांस भी किया था. अपने परिवार की पूरी कहानी भी बताई. जिसके बाद एक बार तो उनका परिवार देखने के लिए जरूर आया था. लेकिन उसके बाद कोई नहीं आया. इसको देखकर ये लगता है कि आज इसके पास रुपये होते तो परिजन विदेश से भी आ जाते. लेकिन आज इसके पास कुछ नहीं है, तो परिवार ने मुंह मोड़ लिया है. लेकिन जन सेवा दल के अपना आशियाना में उसकी परिवार की तरह सेवा की है.
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