चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट एक्ट 2014 (Haryana Sikh Gurdwara Management Act) की वैधता को बरकरार रखा है. इसके साथ ही अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली शिरोमणि अकाली दल की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हरियाणा के गुरूद्वारों का मैनेजमेंट हरियाणा गुरूद्वारा मैनेजमेंट कमेटी ही (Haryana Gurdwara Management Committee) करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए बनाए 2014 के कानून को संवैधानिक करार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कानून में कोई अवैधता नहीं पाई गई यह फैसला जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने दिया है.
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पूर्व युवा प्रदेश अध्यक्ष कमलजीत अजराना ने कहा कि 1947 और 1966 के बाद हरियाणा के सिख समुदाय को अगर खुशी मिली है तो वह आज इस फैसले पर मिली है. क्योंकि जब से पाकिस्तान और भारत अलग-अलग देश बने हैं तब से ही हमारे हरियाणा के गुरुद्वारों का संचालन पंजाब के अमृतसर गुरुद्वारे के द्वारा ही किया जा रहा है. हमें कुछ भी अगर यहां पर काम करना होता है तो छोटी छोटी चीजों के लिए हमें अमृतसर गुरुद्वारा की कमेटी से परमिशन लेनी होती है. इसका विरोध हमने साल 2000 में ही करना शुरू कर दिया था जहां पर हमने सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव में हमने अलग से उम्मीदवार उतारे थे.
उन्होंने कहा कि अब संचालन हमारे हाथ में होगा. हम अपने समाज के साथ-साथ पूरे हरियाणा का विकास करने में एक अहम योगदान निभाएंगे. क्योंकि हमारी इस कमेटी के जरिए हमारे गुरुद्वारों में जितना भी दान आता है उसके द्वारा हम समाज के लिए काम करते हैं. चाहे वह लोगों के लिए हॉस्पिटल बनाने हो. बच्चों के लिए स्कूल बनाने हो. उन्होंने कहा कि हरियाणा की अलग कमेटी बनाने की शुरुआत हमने कुरुक्षेत्र गुरुद्वारा से ही शुरू की थी. हमने एक लंबे वक्त लड़ाई लड़ी. अपने हकों के लिए हमने लाठियां भी खाई, धरने भी दिए लेकिन देर से ही सही अब फैसला हमारे हक में आया है. उन्होंने कहा कि हमारे हरियाणा के सभी गुरुद्वारों का सालाना इकट्ठा हुआ दान 400 करोड़ के लगभग होता है. जो अमृतसर के गुरुद्वारे में जाता था. अब इतना पैसा हरियाणा में रहेगा. हमारे गुरुद्वारों के साथ-साथ हम समाज हित में भी काम करेंगे जिसे हमारे हरियाणा को फायदा होगा.