चंडीगढ़: सावन का महीना चल रहा है. सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (sawan pradosh vrat) को भगवान शिव से जोड़ा गया है. हर माह में दो एकादशी होती है, उसी तरह दो प्रदोष भी होते हैं. त्रयोदशी (तेरस) को प्रदोष कहते हैं. हिन्दू धर्म में एकादशी को विष्णु से तो प्रदोष को शिव से जोड़ा गया है. दरअसल, इन दोनों ही व्रतों से चंद्र का दोष दूर होता है. आइये जानते हैं कि इस व्रत के दौरान क्या खाना या नहीं खाना चाहिए.
प्रदोष को प्रदोष (sawan pradosh vrat) कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है. दरअसल चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्ट हो रहा था. भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था, इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा. स्कंद पुराण में प्रदोष व्रत (sawan pradosh vrat) के महामात्य का वर्णन मिलता है. इस व्रत को करने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है.
पद्म पुराण की एक कथा के अनुसार चंद्रदेव जबअपनी 27 पत्नियों में से सिर्फ एक रोहिणी से ही सबसे ज्यादा प्यार करते थे और बाकी 26 को उपेक्षित रखते थे. जिसके चलते उन्हें श्राप दे दिया था, जिसके कारण उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था. ऐसे में अन्य देवताओं की सलाह पर उन्होंने शिवजी की आराधना की और जहां आराधना की, वहीं पर एक शिवलिंग स्थापित किया. शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें न केवल दर्शन दिए बल्कि उनका कुष्ठ रोग भी ठीक कर दिया. चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है. उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी, इसीलिए इस स्थान का नाम 'सोमनाथ' हो गया.
- प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है.
- प्रदोष व्रत में लाल मिर्च, अन्न, चावल और सादा नमक नहीं खाना चाहिए. हालांकि आप पूर्ण उपवास या फलाहार भी कर सकते हैं.
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