चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत सिंह ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो (sampat singh joins congress) गए हैं. प्रोफेसर संपत सिंह (Sampat Singh) ने सोमवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस का हाथ थामा है. इस दौरान हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदय भान, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा समेत कई कांग्रेस नेता शामिल रहे. प्रोफेसर संपत सिंह हरियाणा वित्त मंत्री रह चुके (Former Haryana Finance Minister Sampat Singh) हैं.
हरियाणा की राजनीति का बड़ा चेहरा: संपत सिंह हरियाणा की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं. वो अब तक कुल 6 बार विधायक रह चुके हैं. संपत सिंह ने 1982, 1987, 1991, 1998, 2000 और 2009 में विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के राजनीतिक सलाहकार रहे संपत सिंह इंडियन नेशनल लोकदल में भी रह चुके हैं. साल 2009 में इनेलो की टिकट पर उन्होंने हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन हरियाणा के पूर्व सीएम भजन लाल से चुनाव हार गए थे.
इनेलो छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए: संपत सिंह (Sampat Singh) साल 1982 में भट्टू कलां सीट से पहली बार चुनाव जीते थे. इसके अलावा वो फतेहाबाद और नलवा विधानसभा सीट से भी विधायक रहे हैं. साल 2009 में संपत सिंह ने इनेलो छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें हिसार की नलवा विधानसभा से टिकट दिया और उन्होंने पूर्व सीएम भजन लाल की पत्नी जसमा देवी को चुनाव हराया था.
बिश्नोई और संपत सिंह में रार: साल 2019 के विधानसभा चुनाव में संपत सिंह को कांग्रेस ने टिकट नहीं मिली थी. इसके लिए संपत सिंह कुलदीप बिश्नोई को जिम्मेदार ठहराते हैं. संपत सिंह के मुताबिक क्योंकि उन्होंने साल 2009 के चुनाव में कुलदीप बिश्नोई की मां जसमा देवी को चुनाव हराया था और वो आज तक उस हार को नहीं भूले हैं. इसलिये बिश्नोई ने उन्हें टिकट नहीं मिलने दिया.
बीजेपी के हुए संपत सिंह: टिकट ना मिलने के बाद संपत सिंह ने बीजेपी ज्वाइन कर ली. इसके बाद वो चुनावी रैलियों में नजर तो आते थे लेकिन बीजेपी में जाने के बाद उन्हें कोई बड़ा पद नहीं मिला. बीजेपी में रहते हुए उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया था और कुछ समय बाद ही उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी.
कुलदीप बीजेपी में संपत कांग्रेस में: संपत सिंह अपने कांग्रेस छोड़ने की वजह कुलदीप बिश्नोई को बताते हैं. संपत सिंह के मुताबिक बीजेपी छोड़ने के बाद से वो लगातार भूपेंद्र हुड्डा के संपर्क में थे. संपत सिंह ने कहा था कि अब कुलदीप बिश्नोई के बीजेपी में जाने के साथ ही मेरी अड़चन दूर हो गई है. जिसके बाद संपत सिंह ने सोमवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस का हाथ थाम लिया.
अब आदमपुर में कुलदीप बिश्नोई बनाम संपत सिंह: कुलदीप बिश्नोई के विधायकी से इस्तीफा देने के बाद आदमपुर विधानसभा सीट खाली हो गई है. आदमपुर सीट पर उपचुनाव जब भी हो लेकिन माना जा रहा है कि कुलदीप बिश्नोई बीजेपी की टिकट पर उम्मीदवारी तय है और कांग्रेस की ओर से संपत सिंह चुनाव मैदान में हो सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो आदमपुर सीट का उपचुनाव दिलचस्प होगा और दो सियासी चेहरों की पुरानी जंग में एक और अध्याय जुड़ जाएगा.
संपत सिंह समेत पांच नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं. हिसार और आदमपुर से दर्जनभर पूर्व सरपंचों ने कांग्रेस ज्वाइन की है. कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं की लिस्ट
1. प्रोफेसर संपत सिंह: संपत सिंह 1980 से राजनीति में सक्रिय हैं. वो 6 बार विधायक रह चुके हैं. प्रदेश के वित्त मंत्री और नेता प्रतिपक्ष जैसे पदों पर आसीन रह चुके हैं. उन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की है.
2. राधेश्याम शर्मा: राधेश्याम शर्मा बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. वो नारनौल हलके से विधायक रहे चुके हैं. राधेश्याम शर्मा पूर्व में चौटाला सरकार के दौरान राजस्व राज्यमंत्री रहे. शर्मा ने 2005 में नारनौल से निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.
3. प्रोफेसर रामभगत शर्मा: नारनौंद से निर्दलीय विधायक रहे रामभगत शर्मा ने 2019 में बीजेपी ज्वाइन की थी. वो बीजेपी छोड़ने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
4. हिम्मत सिंह: यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हिम्मत सिंह को 2014 में अंबाला सिटी से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर 35 हजार वोट मिले थे. वो 2019 में हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट में शामिल हुए थे. एचडीएफ छोड़कर उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की है.
5. ललित अरोड़ा: ऑल इंडिया पंजाब नेशनल बैंक एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ललित अरोड़ा ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की है. ललित अरोड़ा मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र करनाल के प्रभावशाली नेता हैं.