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सरकार के बदले रुख पर रोडवेज कर्मचारी सख्त, केस वापस लेने का बना रहे दबाव

किलोमीटर स्कीम के तहत 700 निजी बसें चलाने को लेकर सरकार के बदले रुख को कर्मचारी संगठनों ने हथियार बना लिया है. कर्मचारियों ने इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है.

फाइल फोटो
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Published : May 20, 2019, 12:34 PM IST

चंडीगढ़: किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों को लेकर सरकार के बदलते रुख पर कर्मचारी सख्त हो गए हैं. कर्मचारियों ने बिना शर्त के योजना के रद्द होने पर आपत्ति जताते हुए जांच की मांग की है. कर्मचारियों ने 700 बसों की इस स्कीम की जांच सीबीआई और हाई कोर्ट के सीटिंग जज से कराने की मांग की है. कर्मचारियों ने उन पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने को लेकर भी दबाव बनाया है.

परिवहन विभाग ने किलोमीटर स्कीम के तहत अनुबंधित 510 बसों की ईएमडी वापस लेने का प्रस्ताव दिया है. इस मामलें सर्व कर्मचारी संघ ने करोड़ों के गबन का आरोप लगाया है.

सर्व कर्मचारी संघ की मानें तो इस मामले में 510 निजी बसों की तुलना में 190 बसों के रेट में 26 रुपये प्रति किलोमीटर का भारी अंतर है. इस पर 2018 में किलोमीटर स्कीम के खिलाफ कर्मचारीयों ने 18 दिन की लंबी हड़ताल की थी. 1974 कर्मचारियों पर केस दर्ज किया था.

ये भी पढ़े:-विधानसभा चुनाव से पहले आ सकती है 'जाट आरक्षण' पर झा कमीशन की रिपोर्ट, सुनवाई पूरी

इस दौरान एस्मा के तहत 318 कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई और 567 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया. प्रोबेशन पीरियड पर चल रहे 73 और ठेके पर भर्ती 194 कर्मचारियों को बर्खास्त करते हुए 318 कर्मचारियों को निलंबित भी किया था. बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर कर्मचारी ड्यूटी पर लगाए गए थे.

चंडीगढ़: किलोमीटर स्कीम के तहत चलने वाली बसों को लेकर सरकार के बदलते रुख पर कर्मचारी सख्त हो गए हैं. कर्मचारियों ने बिना शर्त के योजना के रद्द होने पर आपत्ति जताते हुए जांच की मांग की है. कर्मचारियों ने 700 बसों की इस स्कीम की जांच सीबीआई और हाई कोर्ट के सीटिंग जज से कराने की मांग की है. कर्मचारियों ने उन पर चल रहे मुकदमों को वापस लेने को लेकर भी दबाव बनाया है.

परिवहन विभाग ने किलोमीटर स्कीम के तहत अनुबंधित 510 बसों की ईएमडी वापस लेने का प्रस्ताव दिया है. इस मामलें सर्व कर्मचारी संघ ने करोड़ों के गबन का आरोप लगाया है.

सर्व कर्मचारी संघ की मानें तो इस मामले में 510 निजी बसों की तुलना में 190 बसों के रेट में 26 रुपये प्रति किलोमीटर का भारी अंतर है. इस पर 2018 में किलोमीटर स्कीम के खिलाफ कर्मचारीयों ने 18 दिन की लंबी हड़ताल की थी. 1974 कर्मचारियों पर केस दर्ज किया था.

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इस दौरान एस्मा के तहत 318 कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई और 567 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया. प्रोबेशन पीरियड पर चल रहे 73 और ठेके पर भर्ती 194 कर्मचारियों को बर्खास्त करते हुए 318 कर्मचारियों को निलंबित भी किया था. बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर कर्मचारी ड्यूटी पर लगाए गए थे.

Intro:हैफेड ने 54 फीसदी किसानों का किया भुगतान, खाद्य आपूर्ति विभाग 10 फीसदी पर ही अटका

-हैफेड ने खरीद 91300 एमटी सरसों, 23694 किसानों को 204.19 करोड़ रुपए का किया भुगतान

-सरसों खरीद बंद होने के बाद भी 20680 किसानों को सरसों के भुगतान का इंतजार

-खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने खरीद 11523 एमटी सरसों, सिर्फ 10 फीसदी किसानों को किया भुगतान

नारनौल। सरकार के आदेश अनुसार हैफेड ने 28 मार्च से 11 मई तक समर्थन मूल्य 4200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से जिला महेंद्रगढ़ में 6 स्थानों पर 91300 मिट्रिक टन सरसों की खरीद की थी। इस वर्ष हैफेड ने पिछले साल की तुलना में तीन गुणा ज्यादा सरसों की खरीद की है। सरसों की यह खरीद हैफेड ने नैफेड के लिए की है। जिसमें से 23694 किसानों को 204.19 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। जबकि 20680 किसानों को सरसों खरीद बंद होने के बाद भी अपनी सरसों की राशि का बैंक खाते में आने का इंतजार है। अधिकारियों का दावा है कि हैफेड रोजाना एक हजार से 1500 किसानों की सरसों का भुगतान कर रहा है। यह राशि किसानों के खाते में डाली जा रही है।

बता दे कि सरकार के आदेश पर हैफेड ने नैफेड के लिए 28 मार्च से सरसों खरीद शुरू की थी। करीब डेढ़ महीने चली सरसों खरीद प्रक्रिया में हैफेड ने गत सालों का रिकार्ड तोड़ते हुए 91300 मिट्रिक टन सरसों खरीदी। हैफेड की ओर से जिला महेंद्रगढ़ में नारनौल नई अनाज मंडी, अटेली अनाज मंडी, नांगल चौधरी अनाज मंडी, कनीना अनाज मंडी, सतनाली अनाज मंडी व महेंद्रगढ़ में हुडा सेक्टर में सरसों की खरीद की गई थी। बम्पर खरीद के चलते बारदाने की कमी पड़ने के कारण किसानों को सरसों बेचने में काफी परेशानी हुई थी।




Body:हैफेड ने खरीदी इस वर्ष तीन गुणा ज्यादा सरसों

इस वर्ष हैफेड गत वर्ष 2018 की तुलना में तीन गुणा ज्यादा सरसों की खरीद की है। हैफेड ने इस बार 91300 एमटी सरसों की खरीदी है। जबकि गत वर्ष 2018 में करीब 30 हजार एमटी सरसों की खरीद की थी। इससे पहले वर्ष 2012 में 4254 एमटी, 2013 में 6028 एमटी, 2014 में 2962 एमटी, 2015 में 402 एमटी, 2016 में 3851 एमटी, 2017 में 9000 एमटी सरसों की खरीद की थी।

हैफेड ने किस मंडी में कितनी खरीद सरसों

अटेली अनाज मंडी में 10224 किसानों से कुल 20293 एमटी सरसों की खरीद की गई। इसी प्रकार नारनौल में 9525 किसानों से 18854 एमटी सरसों, महेंद्रगढ़ में 5939 किसानों ने 12306 एमटी सरसों, कनीना में 7520 किसानों ने 16856 एमटी सरसों, नांगल चौधरी में 7797 किसानों से 15869 एमटी सरसों व सतनाली में 3369 किसानों की 7122 एमटी सरसों खरीद गई। इस प्रकार जिला महेंद्रगढ़ में कुल 44374 किसानों की 91300 एमटी सरसों खरीदी।

कितनी सरसों की हुई लिफ्टिंग

हैफेड ने अटेली अनाज मंडी में 20293 एमटी सरसों की खरीद की गई थी। जिसमें से 16205 एमटी सरसों की लिफ्टिंग 14 मई तक की जा चुकी थी। जबकि 4088 एमटी सरसों खरीद स्थल पर ही पड़ी है। इसी प्रकार नारनौल में 18854 एमटी सरसों की खरीद की है, जिसमें से 13873 एमटी सरसों का उठान किया जा चुका है, जबकि 4981 बची हुई है। महेंद्रगढ़ में 12306 एमटी सरसों में से 9328 एमटी सरसों की लिफ्टिंग की जा चुकी है, जबकि 2978 खरीद स्थल पर बची है। कनीना में 16856 एमटी सरसों में से 14831 की लिफ्टिंग की जा चुकी है व 2025 एमटी की लिफ्टिंग बाकी है। नांगल चौधरी अनाज मंडी में 15869 एमटी में से 10547 की लिफ्टिंग हुई है, 5322 खरीद स्थल पर पड़ी है। सतनाली में 7122 एमटी में से 5831 का उठान किया जा चुका है, जबकि 1291 एमटी सरसों बची है।




Conclusion:खाद्य एवं आपूर्ति विभाग नहीं कर पाया है 90 फीसदी किसानों को भुगतान

खाद्य आपूर्ति विभाग ने सरकार के आदेश पर जिला में 11523 एमटी सरसों की खरीद की थी। जिसमें सिर्फ 10 फीसदी किसानों को ही उनकी सरसों का भुगतान किया गया है, जबकि 90 फीसदी किसानों को सरसों बेचने के 23 दिन बाद भी फसल की राशि नहीं मिल पाई है। जिसके कारण किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

भुगतान में देरी के कारण

इस बारे खाद्य आपूर्ति विभाग के आईएफएससी कप्तान सिंह ने बताया कि चुनाव में कर्मचारियों की ड्यूटी लगने व मार्केट कमेटी की ओर से जे-फार्म को आॅनलाइन फीड करने में देरी के कारण किसानों के भुगतान में देरी हो रही है। फिर भी प्रयास है जल्द से जल्द किसानों को सरसों का भुगतान किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर मार्केट कमेटी कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि भुगतान में देरी का कारण जे-फार्म नहीं है। उनके यहां से जे-फार्म आॅनलाइन जनरेट कर दिए जाते है। तकनीकि कमी के चलते एक-दो जे-फार्म जनरेट नहीं हो पाते है। जिसके खाद्य आपूर्ति विभाग किसानों का भुगतान नहीं कर रहा है। कर्मचारी ने बताया कि खाद्य आपूर्ति विभाग से बात की तो उन्होंने कहा कि जब फर्म द्वारा की गई सरसों के सभी जे-फार्म आॅनलाइन होंगे, तभी भुगतान किया जाएगा। जबकि ऐसा जरूरी नहीं है, खाद्य आपूर्ति विभाग जिन किसानों के जे-फार्म को मार्केट कमेटी जनरेट करती है, उनका भुगतान कर सकता है।

bite: DFSC कप्तान सिंह


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