चंडीगढ़: कोविड-19 एक महामारी का रूप लेकर पूरे विश्व में फैल चुका है. लोग किसी भी वस्तु को छूने से बच रहे हैं. चाहे वो पेपर हो लकड़ी या अन्य कोई वस्तु. इसी डर के चलते लोगों ने अपने घरों और दफ्तरों आदि में अखबार बंद करवा दिए हैं. जिसके चलते अखबार के रूप में मिलने वाली रद्दी गलियों में फेरी लगाकर इकट्ठा करने वालों को नहीं मिल पा रही है.
कबाड़ के काम को नुकसान
इन महीनों में क्योंकि बच्चों की परीक्षाएं खत्म हो जाती हैं तो कबाड़ या रद्दी खरीदने वालों का धंधा जोरों पर रहता है. क्योंकि अभिभावक अपनी परीक्षा पास कर चुके बच्चों की पुरानी किताबें रद्दी वालों को दे देते हैं. लेकिन अब कोरोना महामारी के चलते हर कोई सोशल डिस्टेंसिंग को महत्व दे रहा है और किसी भी प्रकार से गरीब तबके के कॉन्टेक्ट में आने से बच रहा है. जिसके चलते रद्दी कबाड़ वालों की दशा बहुत ही दयनीय हो गई है.
कोरोना के कारण काम बंद
धंधा मंदा होने के चलते प्रदेश के तकरीबन सभी रद्दी कबाड़ वाले वापस अपने घरों को जाना चाहते हैं. लेकिन परिस्थितियों में वो अपने घरों को लौटने में भी असमर्थ हैं. क्योंकि प्रशासन द्वारा अपने आप को रजिस्टर कराने वाले लोगों को जो लिंक दिए गए हैं. उन पर दो से तीन बार भी रजिस्टर्ड करवाने के बाद भी प्रशासन की ओर से उन्हें किसी प्रकार का जवाब नहीं मिल पा रहा है.
घर जाना चाहते हैं प्रवासी
कबाड़ी का काम करने वालों ने बताया कि ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह का समय देखने को मिलेगा. लॉकडाउन के समय 3 से 4 दिन लगातार भूखे रहना पड़ा. किसी भी तरह की मदद इन तक नहीं पहुंची पाई. जैसे तैसे इस बुरे समय में अपना जीवन को बचाए रखा. उन्होंने कहा कि वो वापस अपने मूल प्रदेश लौटना चाहते हैं.
प्रशासन ने शुरू की ऑनलाइन एप्लीकेशन की सुविधा
हालांकि चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से प्रवासियों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं. इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने ऑनलाइन एप्लीकेशन की सुविधा भी शुरू की है. जिसके जरिए प्रवासी ऑनलाइन फॉर्म भरकर अपने गृह राज्य जाने के लिए अप्लाई कर सकते हैं. जिसके बाद प्रशासन की ओर से ट्रेनों के माध्यम से उन्हें चंडीगढ़ से रवाना किया जा सके. लेकिन इसके बावजूद प्रवासी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि इन लोगों के इस ऑनलाइन प्रणाली के बारे में पूरी जानकारी नहीं है.
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