चंडीगढ़: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना में सुधार के बाद अब किसानों को खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि का दो प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का भुगतान करना होगा. कपास के लिए पांच प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान करना होगा.
हालांकि राज्य की फसल विविधिकरण योजना के तहत कपास सहित वैकल्पिक फसलों की खेती करने वाले किसानों को ऐसी फसलों पर कोई बीमा प्रीमियम नहीं देना होगा. राज्य सरकार पांच जिलों के आठ खंडों में मक्का की फसल के प्रीमियम का शत-प्रतिशत खर्च भी वहन करेगी.
विभाग के अतिरिक्त मुख्यसचिव संजीव कौशल ने बताया कि राज्य में गत तीन वर्षों के दौरान 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के तहत किसानों और केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा सामूहिक रूप से भुगतान किए गए प्रीमियम की तुलना में किसानों को दावों के लिए अधिक धनराशि मिली है. किसानों को खरीफ 2016 और रबी 2018-19 के बीच प्रीमियम के रूप में अदा किए गए 1,672.03 करोड़ रुपये की तुलना में दावों के लिए 2,097.93 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है.
इसके अलावा पड़ोसी राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश जहां क्रमश: 8,501.31 करोड़ रुपये एवं 4,085.71 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में अदा किए गए. किसानों को क्रमश: 6,110.77 करोड़ रुपये एवं 1,392.6 करोड़ रुपये दावे के रूप में प्राप्त हुए रुपये की तुलना में हरियाणा में किसानों ने सबसे कम भुगतान किया और दावों में सबसे अधिक राशि प्राप्त की है.
राष्ट्रीय स्तर पर, किसानों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा सामूहिक रूप से प्रीमियम के रूप में 76,154 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. जबकि किसानों ने 55,617 करोड़ रुपये की राशि दावों के रूप में प्राप्त की. उन्होंने कहा कि राज्य में खरीफ 2016 और खरीफ 2019 के बीच योजना के तहत 49,78,226 किसानों को कवर किया गया.
इस अवधि के दौरान कुल 2,524.98 करोड़ रुपये की प्रीमियम राशि का भुगतान किया गया. जिसमें से किसानों ने 812.31 करोड़ रुपये, राज्य सरकार ने 996.01 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार ने 716.66 करोड़ रुपये अदा किए.इसकी तुलना में किसानों को दावों के रूप में 2,662.44 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
किसानों की आशंकाओं को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष के आरंभ में फसल बीमा योजना में किए गए बदलाव उनके लिए फायदेमंद साबित होंगे. क्योंकि इस योजना को किसानों के लिए फसल ऋण के साथ-साथ स्वैच्छिक बनाया गया है. इसके अलावा बीमा कंपनियों के लिए अनुबंध की अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर तीन वर्ष तक किया गया है और एकल जोखिम के लिए भी बीमा की अनुमति दी गई है.
अब किसान अपनी फसलों के लिए अधिक महंगे बहु-जोखिम कारक जिनमें से कई कारकों के किसी क्षेत्र विशेष में होने की संभावना न के बराबर होती है का कवर के लिए भुगतान करने की बजाय उन जोखिम कारकों का चयन कर सकते हैं. जिसके लिए वे अपनी फसल का बीमा करवाना चाहते हैं
वर्ष 2016 में हरियाणा में इस योजना को शुरू किया गया था. उस समय धान, बाजरा, मक्का और कपास जैसी खरीफ फसलों और गेहूं, सरसों, चना और जौ जैसी रबी फसलों को इसके तहत कवर किया गया था. जिसके बाद रबी 2018-19 से सूरजमुखी को भी इस योजना के तहत कवर किया गया.
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राज्य में 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के कार्यान्वयन के लिए हरियाणा सरकार द्वारा किए गए उपायों में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने लंबित शिकायतों का फास्ट ट्रैक स्तर पर निवारण करने के लिए राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति की स्थापना की है. इसके अतिरिक्त, विभाग ने योजना से संबंधित कार्य को संभालने के लिए प्रत्येक जिले में विशेष रूप से एक परियोजना अधिकारी और एक सर्वेक्षक नियुक्त किया है.