चंडीगढ़ः हरियाणा के सबसे बड़े और पुराने राजनीतिक परिवारों में से एक चौटाला परिवार में कई बार सियासी तलवारें खिंच चुकी हैं. वैसे राजनीतिक परिवारों में ये कोई बड़ी बात नहीं है और ना ही इसमें कुछ नया है. लेकिन ज्यादातर ये सियासी जंगे भाइयों या चाचा-भतीजों में लड़ी गई हैं. हरियाणा में जब चौटाला परिवार दोबारा राजनीतिक तौर पर दो फाड़ हुआ तो दादा-पोते आमने-सामने नजर आये. यही सियासी लड़ाई एक बार फिर नए सिरे से प्रदेश में शुरू हुई है, जिसे ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई ने हवा दी है.
जिस दिन ओमप्रकाश चौटाला जेबीटी भर्ती घोटाले(jbt scam) की सजा पूरी करके तिहाड़ से बाहर आये उसी दिन अभय चौटाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस पत्रकार वार्ता के जरिए उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए. उनसे जब ये पूछा गया कि अगर दुष्यंत और दिग्विजय पार्टी में दोबारा आना चाहें तो क्या आप उन्हें मौका देंगे. इसके जवाब में अभय चौटाला(abhay chautala) ने कहा कि आप किन लोगों की बात कर रहे हैं, मैं नहीं जानता कौन है दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला. अभय चौटाला ने ये तक कह डाला की आप अच्छे लोगों की बात करें ना कि इन दोनों के बारे में.
इसके अलावा अभयौ चौटाला ने एक और बड़ी बात प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही, उन्होंने दुष्यंत चौटाला(dushyant chautala) पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि,'दुष्यंत चौटाला ने जींद उपचुनाव (Jind By Election 2019) में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल(Arvind kejriwal) के साथ मिलकर ओपी चौटाला को जानबूझकर फरलो पर बाहर नहीं आने दिया था.' दरअसल अभय चौटाला उस चुनाव की बात कर रहे थे जब जेजेपी ने आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. उस दौरान ओपी चौटाला फरलो पर बाहर आना चाहते थे लेकिन दिल्ली सरकार ने अनुमति नहीं दी थी.
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क्या दोनों परिवार नए सिरे से लड़ेंगे सियासी लड़ाई ?
वैसे तो अब दोनों परिवारों के रास्ते अगल हो चुके हैं लेकिन सियासी पिच दोनों की अभी भी एक ही है. क्योंकि इनेलो और जेजेपी के वोटर भी एक ही माने जाते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में जब जेजेपी 10 सीटें मिलीं तो इनेलो को मात्र एक सीट हाथ लगी और मत प्रतिशत भी 2 फीसदी से कम रहा. हालत ये थी कि ज्यादातर सीटों पर उसके प्रत्याशी जमानत बचाने में भी नाकाम रहे. जिसके बाद राजनीतिक पंडितों ने कहा कि जो वो इनेलो का था वो जेजेपी के साथ चला गया. क्योंकि दुष्यंत की युवाओं में बड़ी अच्छी पकड़ थी और दिग्विजय चौटाला इनेलो की स्टूडेंट इकाई इनसो देखते थे. इसके अलावा इनकी माता नैना चौटाला हरी चुनरी चौपाल कार्यक्रम करती थीं जो प्रदेशभर की महिलाओं के बीच काफी लोकप्रिय था.
दूसरा जब दुष्यंत-दिग्विजय के बाद अजय चौटाला को भी इनेलो से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया तो दुष्यंत खेमे ने लोगों को ये समझाया कि इनके साथ ज्यादती हुई है और सारी पार्टी अभय चौटाला ने हड़प ली है. इसी की सहानुभूति लेकर दुष्यंत चौटाला चुनाव में उतरे और अपने पर दादा का दामन पकड़कर आगे बढ़ते चले गए, और अब हरियाणा सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं. वो बात अलग है कि वो इनेलो में रहते हुए सीएम पद का उम्मीदवार बनना चाहते थे जिसके लिए ना तो अभय चौटाला राजी थे और ना ही ओपी चौटाला.
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बहरहाल अब परिवार में सियासी जंग पार्ट-2 का आगाज हो गया है. जिसमें ओपी चौटाला फ्रंट फुट पर दिखेंगे और अभय चौटाला उन्हें कवर देंगे. जिसका सामना अजय चौटाला और उनके बेटों को करना होगा, क्योंकि परिवार के मुखिया के नाते ओपी चौटाला के खिलाफ ना तो दुष्ंयत-दिग्विजय और ना ही अजय चौटाला बहुत कुछ बोल पाते हैं. क्योंकि ये मामला सिर्फ पारिवारिक नहीं है राजनीतिक तौर पर भी ऐसा करने से उन्हें नुकसान हो सकता है.