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PGI कर्मचारियों को वापस करना होगा 3 साल का दिवाली बोनस, जानें वजह - दिवाली बोनस न्यूज

मंत्रालय ने पीजीआई को निर्देश दिया है कि वो ग्रुप बी, सी और डी के कर्मियों से साल 2015-16 से 2017-2018 तक दिवाली पर दिए गए बोनस को वापस ले.

PGI के कर्मचारियों को वापस करना होगा 3 साल का दिवाली बोनस
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Published : Nov 5, 2019, 7:55 PM IST

चंडीगढ़: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश से पीजीआई के पांच हजार कर्मियों के पैरो तले जमीन खिसक गई. मंत्रालय ने पीजीआई को निर्देश दिया है कि वो ग्रुप बी, सी और डी के कर्मियों से साल 2015-16 से 2017-2018 तक दिवाली पर दिए गए बोनस को वापस ले.

पीजीआई यूनियनें हुई सख्त
इस निर्देश के खिलाफ पीजीआई की यूनियनें सख्त हो गई हैं. उनका कहना है कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है. दिवाली पर बोनस हर किसी का अधिकार होता है. यदि इस तरह की कोई रिकवरी की गई तो इसका कड़ा विरोध जताया जाएगा.

क्लिक कर देखें वीडियो

3 साल का बोनस किया जाएगा रिकवर
उनका कहना है की वित्त मंत्रालय के पत्र के नाम पर उनसे यह बोनस वापस लेने की बात कही जा रही है क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह कहा गया है कि बोनस को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से कोई पत्र जारी नहीं किया गया है इसलिए पिछले 3 साल का बोनस रिकवर किया जाए.

बोनस पर स्वास्थ्य मंत्रालय को क्यों है आपत्ति ?
वहीं पीजीआई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष अश्वनी मुंजाल ने कहा कि पीजीआई के कर्मचारियों को साल 1967 से हर साल बोनस दिया जा रहा है. जबकि आज तक वित्त मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया. अगर स्वास्थ्य मंत्रालय को बोनस की रिकवरी करनी है तो पिछले 3 साल की ही नहीं बल्कि 1967 से करे. जब बोनस दिए जाने को लेकर वित्त मंत्रालय को कोई आपत्ति नहीं है तो स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर आपत्ति क्यों जा रहा है.

वित्त मंत्रालय को लिखा जाए पत्र
साथ ही उन्होंने कहा जब बोनस वापस लेने का मुद्दा उठा था तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह निर्देश दिए थे की एक चिट्ठी वित्त मंत्रालय को भेजी जाए और उसके बाद बोनस के मामले पर फैसला लिया जाए. वित्त मंत्रालय बोनस को लेकर एक पत्र जारी जारी करे. जिसके बाद इस फैसले इस मामले पर कोई फैसला लिया जा सके. लेकिन मंत्रालय में बैठे एक अफसर ने बिना वित्त मंत्रालय के पत्र के जारी हुए अपनी तरफ से यह आदेश जारी कर दिया कि पीजीआई कर्मचारियों से उनका बोनस वापस लिया जाए. ऐसा करना उसने स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य मंत्रालय और चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक का अपमान किया है.

5 हजार कर्मचारियों पर असर
आपको बता दें कि अगर कर्मचारियों से बोनस वापस लिया गया तो इसका असर करीब 5000 कर्मियों पर पड़ेगा जिनसे बोनस के 10 से 12 करोड़ वसूल की जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: नौकरी छोड़ पर्यावरण बचाने निकला ये युवक, 13 हजार किलोमीटर की करेगा पदयात्रा

चंडीगढ़: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आदेश से पीजीआई के पांच हजार कर्मियों के पैरो तले जमीन खिसक गई. मंत्रालय ने पीजीआई को निर्देश दिया है कि वो ग्रुप बी, सी और डी के कर्मियों से साल 2015-16 से 2017-2018 तक दिवाली पर दिए गए बोनस को वापस ले.

पीजीआई यूनियनें हुई सख्त
इस निर्देश के खिलाफ पीजीआई की यूनियनें सख्त हो गई हैं. उनका कहना है कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है. दिवाली पर बोनस हर किसी का अधिकार होता है. यदि इस तरह की कोई रिकवरी की गई तो इसका कड़ा विरोध जताया जाएगा.

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3 साल का बोनस किया जाएगा रिकवर
उनका कहना है की वित्त मंत्रालय के पत्र के नाम पर उनसे यह बोनस वापस लेने की बात कही जा रही है क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह कहा गया है कि बोनस को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से कोई पत्र जारी नहीं किया गया है इसलिए पिछले 3 साल का बोनस रिकवर किया जाए.

बोनस पर स्वास्थ्य मंत्रालय को क्यों है आपत्ति ?
वहीं पीजीआई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष अश्वनी मुंजाल ने कहा कि पीजीआई के कर्मचारियों को साल 1967 से हर साल बोनस दिया जा रहा है. जबकि आज तक वित्त मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया. अगर स्वास्थ्य मंत्रालय को बोनस की रिकवरी करनी है तो पिछले 3 साल की ही नहीं बल्कि 1967 से करे. जब बोनस दिए जाने को लेकर वित्त मंत्रालय को कोई आपत्ति नहीं है तो स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर आपत्ति क्यों जा रहा है.

वित्त मंत्रालय को लिखा जाए पत्र
साथ ही उन्होंने कहा जब बोनस वापस लेने का मुद्दा उठा था तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह निर्देश दिए थे की एक चिट्ठी वित्त मंत्रालय को भेजी जाए और उसके बाद बोनस के मामले पर फैसला लिया जाए. वित्त मंत्रालय बोनस को लेकर एक पत्र जारी जारी करे. जिसके बाद इस फैसले इस मामले पर कोई फैसला लिया जा सके. लेकिन मंत्रालय में बैठे एक अफसर ने बिना वित्त मंत्रालय के पत्र के जारी हुए अपनी तरफ से यह आदेश जारी कर दिया कि पीजीआई कर्मचारियों से उनका बोनस वापस लिया जाए. ऐसा करना उसने स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य मंत्रालय और चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक का अपमान किया है.

5 हजार कर्मचारियों पर असर
आपको बता दें कि अगर कर्मचारियों से बोनस वापस लिया गया तो इसका असर करीब 5000 कर्मियों पर पड़ेगा जिनसे बोनस के 10 से 12 करोड़ वसूल की जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें: नौकरी छोड़ पर्यावरण बचाने निकला ये युवक, 13 हजार किलोमीटर की करेगा पदयात्रा

Intro:केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय केक आदेश के बाद पीजीआई के करीब 5000 कर्मचारियों के होश उड़ गए हैं मंत्रा या नहीं पीजीआई को यह आदेश दिया है कि वह ग्रुप सी और डी के कर्मचारियों से पिछले 3 साल का दिवाली बोनस वापस ले ले इस आदेश के बाद पीजीआई प्रबंधन को खुद भी है समझ में नहीं आ रहा कि वह बिजली कर्मचारियों से पिछले 3 साल का बोनस वापस कैसे वसूल करें


Body:मंत्रालय के आदेश के बाद पी जाएगी कर्मचारी यूनियन भी सख्त हो गई हैं उनका कहना है कि दिवाली बोनस पर हर कर्मचारी का अधिकार होता है इस तरह से कोई रिकवरी के नाम पर उनका हक उनसे नहीं छीन सकता।
उनका कहना है की वित्त मंत्रालय के पत्र के नाम पर उनसे यह बोनस वापस लेने की बात कही जा रही है क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह कहा गया है कि बोनस को लेकर वित्त मंत्रालय की ओर से कोई पत्र जारी नहीं किया गया है इसलिए पिछले 3 साल का बोनस रिकवर किया जाए

पीजीआई कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष अश्वनी मुंजाल ने कहा कि पीजीआई के कर्मचारियों को साल 1967 से हर साल बोनस दिया जा रहा है। जबकि आज तक वित्त मंत्रालय की ओर से ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया । अगर स्वास्थ्य मंत्रालय को बोनस की रिकवरी करनी है तो पिछले 3 साल की ही नहीं बल्कि 1967 से करे। जब बोनस दिए जाने को लेकर वित्त मंत्रालय को कोई आपत्ति नहीं है तो स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर आपत्ति क्यों जा रहा है

साथ ही उन्होंने कहा जब बोनस वापस लेने का मुद्दा उठा था तब स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह निर्देश दिए थे की एक चिट्ठी वित्त मंत्रालय को भेजी जाए और उसके बाद बोनस के मामले पर फैसला लिया जाए और वित्त मंत्रालय बोनस को लेकर एक पत्र जारी जारी करे। जिसके बाद इस फैसले इस मामले पर कोई फैसला लिया जा सके। लेकिन मंत्रालय में बैठे एक अफसर ने बिना वित्त मंत्रालय के पत्र के जारी हुए। अपनी तरफ से यह आदेश जारी कर दिया कि पीजीआई कर्मचारियों से उनका बोनस वापस लिया जाए ।ऐसा करना उसने स्वास्थ्य मंत्री , स्वास्थ्य मंत्रालय और चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक का अपमान किया है । क्योंकि जब तक मंत्रालय की ओर से स्वास्थ्य मंत्री खुद कोई आदेश जारी नहीं करते ऐसे में कोई अफसर मंत्रालय की ओर से कोई आदेश कैसे जारी कर सकता है। हम इस कदम की घोर निंदा करते हैं और इसका विरोध भी करते हैं।

आपको बता दें कि अगर कर्मचारियों से बोनस वापस लिया गया तो इसका असर करीब 5000 कर्मियों पर पड़ेगा जिनसे बोनस के 10 से 12 करोड़ वसूल की जा सकते हैं

बाइट - अश्वनी मुंजाल, अध्यक्ष , पीजीआई कर्मचारी यूनियन


Conclusion:
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