चंडीगढ़ः हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और देवी लाल(Devi Lal) के राजनीतिक वारिस ओमप्रकाश चौटाला(op chautala) जब जेल से रिहा हुए तो गुरुग्राम में इनेलो कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. गाड़ी की अगली सीट पर अपने पोचे करण चौटाला के बगल में बैठे ओपी चौटाला से जब पूछा गया कि क्या अब वो सीधे घर जाएंगे तो उन्होंने रजामंदी में सर हिलाया. वो थोड़े कमजोर से लग रहे थे क्योंकि उम्र का ये पड़ाव और ऊपर से कई बीमारियां चेहरे के तेज पर असर तो डालती ही हैं.
बहरहाल ओपी चौटाला जेबीटी भर्ती घोटाले(jbt scam) में अपनी सजा पूरी करके वापस आ चुके हैं और जो पहला ऐला उनके नाम से अभय चौटाला ने किया है, उसने सियासी हलकों में हलचल जरूर बढ़ा दी है. अभय चौटाला ने ऐलान किया कि जैसे ही ओपी चौटाला की सेहत में सुधार होगा वो किसान आंदोलन में शामिल होने जाएंगे और आंदोलन स्थल पर जाकर किसानों को अपना समर्थन देंगे. तो अब राजनीतिक पंडित ये तोलने में लगे हैं कि ओपी चौटाला के किसान आंदोलन में आने से नफा-नुकसान किसे होगा.
ओमप्रकाश चौटाला के इस फैसले का अगर इनेलो के हालिया राजनीतिक प्रदर्शन से जोड़कर तुलनात्मक विवरण करें तो पाएंगे कि जितना उन्हें पिछले विधानसभा और लोकसभा में वोट मिला वो बताता है कि इस फैसले का सियासी ताकत के तौर पर कोई मोल नहीं है, लेकिन इसका एक दूसरा पहलू ये हो सकता है कि ओमप्रकाश चौटाला देवी लाल की उस विरासत के वाहक हैं, किसानों के लिए बनी और किसानों के लिए ही लड़ी. ओपी चौटाला ने ना सिर्फ चौधरी देवी लाल के करीब रहकर काम किया बल्कि किसानों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह के साथ भी उन्होंने काम किया है.
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इसके अलावा किसानों के बीच इनेलो की एक मजबूत पकड़ रही है, जो पिछले विधानसभा चुनाव में छिटककर जेजेपी के पास चली गई थी, और इनेलो से टूटकर बनी नई नवेली जन नायक जनता पार्टी 10 सीटें जीतकर किंग मेकर बन गई. लेकिन अब जो वोट बैंक उन्हें मिला था वही उनके खिलाफ खड़ा दिख रहा है, क्योंकि किसान कई बार कह चुके हैं कि जो राजनेता उनके समर्थन में है और सरकार के साथ है वो सरकार का साथ छोड़ दे. जिसके बाद हरियाणा के दो निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस भी ले लिया.
हालांकि जन नायक जनता पार्टी अब भी सरकार के साथ है और उस पर आरोप लग रहे हैं कि उन्होंने अपने वोटरों के साथ धोखा करके सरकार में हिस्सेदारी पा रखी है. इस आरोप के जवाब में जेजेपी हमेशा ये तर्क देती है कि ये केंद्र सरकार का मसला है और हम उनसे बात कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि किसानों की बात सुनी जानी चाहिए. लेकिन अब ये बात पुरानी हो चुकी है और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला(Dushyant chautala) कहने लगे हैं कि ये आंदोलन अब किसानों का नहीं रह गया है.
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ओम प्रकाश चौटाला के किसानों को समर्थन देने से क्या बदलेगा इसका इशारा बीजेपी सरकार में मंत्री और ओपी चौटाला के छोटे भाई रणजीत चौटाला ने कर दिया. उन्होंने कहा है कि ओमप्रकाश चौटाला राजनीति के माहिर हैं, अब वो आगे क्या कदम उठाएंगे और उसका क्या असर होगा ये तो बाद में ही पता चलेगा. हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल का इस पर कुछ और कहना है, उनका कहना है कि वो पहले भी राजनीतिक पार्टी में थे अब भी हैं तो किसानों के साथ जाने का क्या ही फर्क पड़ेगा.
इसी दूरी को इनेलो अवसर के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश में है. किसानों के समर्थन में अभय चौटाला पहले ही विधायकी से इस्तीफा दे चुके हैं, जगह-जगह जाकर किसानों के समर्थन में सभाएं कर रहे हैं. और अब ओपी चौटाला का किसान आंदोलन में जाने का फैसला इनेलो के अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए आखिरी दांव माना जा रहा है.
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