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ओपी चौटाला के बाहर आने से खतरे में हुड्डा का वोट बैंक? कांग्रेस में ताजा खलबली के ये हैं बड़े कारण!

ओपी चौटाला(op chautala) के जेल से बाहर आने के बाद से ही कांग्रेस में खलबली का स्थिति है पहले कांग्रेस विधायकों ने अभय चौटाला(abhay chautala) से 7 सवाल पूछकर एक तरीके से सफाई पेश की, कि ओपी चौटाला को जेल भेजने के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा(bhupinder singh hooda) का कोई हाथ नहीं था, और अब पूरा हुड्डा खेमा दिल्ली तक दौड़ लगा रहा है.

op chautala bhupinder hooda
op chautala bhupinder hooda
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Published : Jul 5, 2021, 10:21 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 10:35 PM IST

चंडीगढ़ः हरियाणा में दशकों से जाट-गैर जाट की राजनीति होती रही है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. जब देवी लाल बड़े जाट चेहरे के तौर पर हरियाणा में स्थापित थे तो कांग्रेस के पास गैर जाट के तौर पर भजन लाल हुआ करते थे. उसी दौर में कांग्रेस(congress) के पास बंसी लाल के रूप में बड़ा जाट चेहरा भी था. वक्त जब बदला तो देवी लाल की जगह ओम प्रकाश चौटाला(op chautala) ने ले ली और कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा(bhupinder singh hooda) जाट चेहरे के तौर पर आ गए, और धीरे-धीरे उन्होंने खुद को स्थापित कर लिया. आज के राजनीतिक परिपेक्ष्य में देखें तो हरियाणा में दो सबसे बड़े जाट चेहरे हैं औक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दूसरे ओम प्रकाश चौटाला.

अब जब ओम प्रकाश चौटाला जेल से बाहर आ गए हैं तो राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं ये हैं कि उनकी मौजूदगी का सबसे ज्यादा असर जेजेपी और कांग्रेस पर पड़ेगा. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि कांग्रेस में भी सीधा असर भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर पड़ेगा क्योंकि उनका और ओपी चौटाला के वोट बैंक का आधार एक ही है. इसे समझने के लिए 2000 से अब तक के विधानसभा चुनावों में मत प्रतिसत का खेल देखिए. 2000 में इनेलो को 29 फीसदी वोट मिला और कांग्रेस को 31 फीसदी लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन की वजह से इनेलो ने सरकार बनाई. 2005 के चुनाव में इनेलो को 26 फीसदी वोट मिला और कांग्रेस ने 42 फीसदी वोट के साथ सरकार बनाई, जिसमें हुड्डा सीएम बने.

op chautala
एक रैली में ओपी चौटाला (फाइल फोटो)

2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत घट गया और उसे 35 प्रतिशत वोट मिले लेकिन इनेलो को तब भी लगभग 26 फीसदी वोट मिले. 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई लेकिन तब भी इनेलो का वोट बैंक नहीं हिला और उसे 24.11 फीसदी वोट मिले. जबकि कांग्रेस को 20 प्रतिशत. इन सभी चुनावों में ओम प्रकाश चौटाला ने इनेलो की कमान संभाले रखी, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले चौटाला परिवार में फूट हुई और जेजेपी का जन्म हुआ. जब नतीजे आये तो पता चला कि इनेलो से निकली जेजेपी को 14 प्रतिशत वोट मिले. जबकि कांग्रेस का मत प्रतिशत 20 से 28 फीसदी पर पहुंच गया. जबकि 2014 के मुकाबले बीजेपी को भी 3 फीसदी वोट ज्यादा मिले. ये वोट कहां से आये. ये सारे वोट इनेलो के थे क्योंकि मोदी लहर में भी अपना वोट बैंक बचा जाने वाली पार्टी 2019 में मात्र 2.44 फीसदी वोट ही पा सकी.

ये भी पढ़ेंः संगठन में बदलाव को लेकर केसी वेणुगोपाल से मिले कांग्रेस के 5 विधायक, किरण चौधरी ने की अलग से मुलाकात

इनेलो के इस प्रदर्शन का फायदा सबसे ज्यादा जेजेपी को मिला और फिर कांग्रेस को, जिसकी कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में थी. तो अगर ओम प्राकाश चौटाला इनेलो में जान फूंकने में कामयाब हो गए तो जो सपना भूपेंद्र सिंह हुड्डा देख रहे हैं वो आंखो में ही रह जाएगा. क्योंकि अगर इनेलो खुद ना भी जीती तो ओपी चौटाला हराने लायक वोट तो काट ही सकते हैं. और इससे फायदा बीजेपी को हो जाएगा. यही वजह है कि कांग्रेस में अब खलबली मची है और हुड्डा समर्थक दौड़कर दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने आलाकमान के सामने ये आशंका जताई है कि अगर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान नहीं दी गई तो इनेलो की मजबूती कांग्रेस की कमजोरी बन जाएगी.

bhupinder hooda
रैली को संबोधित करते भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो)

इसका असर ऐसे भी समझिए कि अभय चौटाला, ओपी चौटाला को जेल होने के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. जिसके जवाब में कांग्रेस विधायकों ने पिछले दिनों उनसे 7 सावल पूछकर ये साफ करने की कोशिश की थी कि ओपी चौटाला को जेल भेजने में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कोई हाथ नहीं था.

ये भी पढ़ेंः Haryana Congress Crisis: हरियाणा में कांग्रेस मतलब हुड्डा? क्या टक्कर ले पाएंगी कुमारी सैलजा?

चंडीगढ़ः हरियाणा में दशकों से जाट-गैर जाट की राजनीति होती रही है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. जब देवी लाल बड़े जाट चेहरे के तौर पर हरियाणा में स्थापित थे तो कांग्रेस के पास गैर जाट के तौर पर भजन लाल हुआ करते थे. उसी दौर में कांग्रेस(congress) के पास बंसी लाल के रूप में बड़ा जाट चेहरा भी था. वक्त जब बदला तो देवी लाल की जगह ओम प्रकाश चौटाला(op chautala) ने ले ली और कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा(bhupinder singh hooda) जाट चेहरे के तौर पर आ गए, और धीरे-धीरे उन्होंने खुद को स्थापित कर लिया. आज के राजनीतिक परिपेक्ष्य में देखें तो हरियाणा में दो सबसे बड़े जाट चेहरे हैं औक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दूसरे ओम प्रकाश चौटाला.

अब जब ओम प्रकाश चौटाला जेल से बाहर आ गए हैं तो राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं ये हैं कि उनकी मौजूदगी का सबसे ज्यादा असर जेजेपी और कांग्रेस पर पड़ेगा. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि कांग्रेस में भी सीधा असर भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर पड़ेगा क्योंकि उनका और ओपी चौटाला के वोट बैंक का आधार एक ही है. इसे समझने के लिए 2000 से अब तक के विधानसभा चुनावों में मत प्रतिसत का खेल देखिए. 2000 में इनेलो को 29 फीसदी वोट मिला और कांग्रेस को 31 फीसदी लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन की वजह से इनेलो ने सरकार बनाई. 2005 के चुनाव में इनेलो को 26 फीसदी वोट मिला और कांग्रेस ने 42 फीसदी वोट के साथ सरकार बनाई, जिसमें हुड्डा सीएम बने.

op chautala
एक रैली में ओपी चौटाला (फाइल फोटो)

2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत घट गया और उसे 35 प्रतिशत वोट मिले लेकिन इनेलो को तब भी लगभग 26 फीसदी वोट मिले. 2014 के चुनाव में मोदी लहर के बीच बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई लेकिन तब भी इनेलो का वोट बैंक नहीं हिला और उसे 24.11 फीसदी वोट मिले. जबकि कांग्रेस को 20 प्रतिशत. इन सभी चुनावों में ओम प्रकाश चौटाला ने इनेलो की कमान संभाले रखी, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले चौटाला परिवार में फूट हुई और जेजेपी का जन्म हुआ. जब नतीजे आये तो पता चला कि इनेलो से निकली जेजेपी को 14 प्रतिशत वोट मिले. जबकि कांग्रेस का मत प्रतिशत 20 से 28 फीसदी पर पहुंच गया. जबकि 2014 के मुकाबले बीजेपी को भी 3 फीसदी वोट ज्यादा मिले. ये वोट कहां से आये. ये सारे वोट इनेलो के थे क्योंकि मोदी लहर में भी अपना वोट बैंक बचा जाने वाली पार्टी 2019 में मात्र 2.44 फीसदी वोट ही पा सकी.

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इनेलो के इस प्रदर्शन का फायदा सबसे ज्यादा जेजेपी को मिला और फिर कांग्रेस को, जिसकी कमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में थी. तो अगर ओम प्राकाश चौटाला इनेलो में जान फूंकने में कामयाब हो गए तो जो सपना भूपेंद्र सिंह हुड्डा देख रहे हैं वो आंखो में ही रह जाएगा. क्योंकि अगर इनेलो खुद ना भी जीती तो ओपी चौटाला हराने लायक वोट तो काट ही सकते हैं. और इससे फायदा बीजेपी को हो जाएगा. यही वजह है कि कांग्रेस में अब खलबली मची है और हुड्डा समर्थक दौड़कर दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने आलाकमान के सामने ये आशंका जताई है कि अगर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कमान नहीं दी गई तो इनेलो की मजबूती कांग्रेस की कमजोरी बन जाएगी.

bhupinder hooda
रैली को संबोधित करते भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो)

इसका असर ऐसे भी समझिए कि अभय चौटाला, ओपी चौटाला को जेल होने के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं. जिसके जवाब में कांग्रेस विधायकों ने पिछले दिनों उनसे 7 सावल पूछकर ये साफ करने की कोशिश की थी कि ओपी चौटाला को जेल भेजने में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कोई हाथ नहीं था.

ये भी पढ़ेंः Haryana Congress Crisis: हरियाणा में कांग्रेस मतलब हुड्डा? क्या टक्कर ले पाएंगी कुमारी सैलजा?

Last Updated : Jul 5, 2021, 10:35 PM IST
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