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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: अगर NOTA को मिले सबसे ज्यादा वोट तो क्या होगा?

अगर आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो आप नोटा को वोट दे सकते हैं.

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Published : Oct 20, 2019, 11:34 AM IST

Updated : Oct 20, 2019, 12:11 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को मतदान होगा. चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए 1169 प्रत्याशी मैदान में हैं. वहीं नोटा का विकल्प भी मौजूद हैं.

ये भी पढ़ें- मतदाता पहचान पत्र नहीं है तो घबराएं नहीं, यहां जानिए बिना पहचान पत्र के कैसे डलेगा वोट

क्या है नोटा?
नोटा यानि NONE OF THE ABOVE. अगर आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो आप नोटा को वोट दे सकते हैं. नोटा का अर्थ इनमें से कोई नहीं होता है.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में ये एक बटन के रूप में होता है. मतदान करते समय यदि मतदाता को ये आभास होता है कि जितने प्रत्याशी चुनाव में भाग ले रहे है. वे सभी उसकी इच्छा के अनुरूप नहीं है, तो वो नोटा के बटन को प्रेस करके अपने विरोध को दर्ज करा सकता है.

वहीं अगर किसी सीट पर नोटा का प्रतिशत अधिक होता है, तो चुनाव आयोग प्रत्याशी बदलने का निर्देश प्रदान कर सकता है.

नोटा का प्रयोग सबसे पहले साल 2013 में हुआ, 2015 में पूरे देश में

नोटा का इस्तेमाल सबसे पहले 2013 में छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुआ. इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में भी नोटा का इस्तेमाल हुआ. 2015 तक देशभर के सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों पूरी तरह नोटा लागू हो गया.

ये भी पढ़ें- सोमवार को हरियाणा में 1169 उम्मीदवारों के भाग्य का होगा फैसला, 1.83 करोड़ मतदाता डालेंगे वोट

चंडीगढ़: हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को मतदान होगा. चुनाव आयोग ने इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए 1169 प्रत्याशी मैदान में हैं. वहीं नोटा का विकल्प भी मौजूद हैं.

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क्या है नोटा?
नोटा यानि NONE OF THE ABOVE. अगर आपको कोई भी उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो आप नोटा को वोट दे सकते हैं. नोटा का अर्थ इनमें से कोई नहीं होता है.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में ये एक बटन के रूप में होता है. मतदान करते समय यदि मतदाता को ये आभास होता है कि जितने प्रत्याशी चुनाव में भाग ले रहे है. वे सभी उसकी इच्छा के अनुरूप नहीं है, तो वो नोटा के बटन को प्रेस करके अपने विरोध को दर्ज करा सकता है.

वहीं अगर किसी सीट पर नोटा का प्रतिशत अधिक होता है, तो चुनाव आयोग प्रत्याशी बदलने का निर्देश प्रदान कर सकता है.

नोटा का प्रयोग सबसे पहले साल 2013 में हुआ, 2015 में पूरे देश में

नोटा का इस्तेमाल सबसे पहले 2013 में छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुआ. इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में भी नोटा का इस्तेमाल हुआ. 2015 तक देशभर के सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों पूरी तरह नोटा लागू हो गया.

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Last Updated : Oct 20, 2019, 12:11 PM IST
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