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मेरा पानी मेरी विरासत योजना का असर: 98 हजार एकड़ में हरियाणा के किसानों ने छोड़ी धान की फसल

मंगलवार को सूक्ष्म सिंचाई और हरियाणा नहरी विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सूक्ष्म सिंचाई से संबंधित 5 मोबाईल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. इसके साथ ही सभी जिलों से दो-दो वाहनों की रवानगी भी की गई. इसका मकसद है आम जनता को जल संरक्षण की जानकारी देना.

Mera Pani Meri Virasat Yojana Haryana
Mera Pani Meri Virasat Yojana Haryana
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Published : Jun 28, 2022, 5:36 PM IST

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) ने इस दौरान पंचकूला से 7 हजार 500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के युग में सिंचाई विधि में नये नये उपयोग शुरू हो गये हैं. सूक्ष्म सिंचाई में टपका, फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते हैं और साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं. पानी के दो पक्ष हैं एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई के लिये पानी. पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते. कई बार डाॅक्टर भी हमें अधिक पानी पीने के लिये सलाह देते हैं. परंतु सिंचाई में अधिक पानी लगता है. इसलिये हमें इसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई जैसी योजना से करना होगा. धान, कपास व गन्ना में अधिक पानी लगता है. कृषि विज्ञानी कहते हैं कि एक किलो चावल तैयार होने में 3 हजार से अधिक लीटर पानी की जरूरत होती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1960 के दशक में जब देश में खाद्यानों की कमी महसूस की गई थी तो उस समय हरित क्रांति का नारा दिया गया था. पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रंति में सबसे बड़ा योगदान दिया और देश को खाद्यानों में आत्मनिर्भर बनाया. उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद्यान्नों के अधिक उपयोग व भूजल के दोहन के कारण हम खाद्यानों के मामलों में आत्मनिर्भर बन गये हैं. परंतु आज हमें दूसरे विकल्प की ओर जाना होगा. सूक्ष्म सिंचाई भी उस दिशा में एक कदम है.

Haryana Canal Development Authority
सूक्ष्म सिंचाई से संबंधित 5 मोबाईल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दो साल पहले कोरोना के काल के दौरान आरंभ की गई मेरा पानी मेरी विरासत योजना (Mera Pani Meri Virasat Yojana) के प्रति किसानो का रूझान बढ़ा है. प्रदेश के धान बाहुल जिलों में किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाना आरंभ किया है. उन्होंने कहा कि पहले वर्ष में 98 हजार एकड़ में धान के स्थान पर अन्य फसलें उगाई गई. इस बार 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है.

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं. 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दुबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में किया जा रहा है. प्राकृतिक जल स्रोतों को भी बचाना होगा. इसके लिये हमें वृक्षारोपण, बांध इत्यादि बनाने होंगे परंतु पानी को हम पैदा नहीं कर सकते हैं. जो पानी उपलब्ध है, उसी का प्रयोग हमें सावधानीपूर्वक करना होगा. मुख्यमंत्री ने इजाराईल का उदाहरण देते हुये कहा कि इजाराईल विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है. पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है. हरियाणा सरकार ने भी इजराईल के साथ साथ जल संरक्षण एवं फल-सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किये हैं. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में हमें इजराईल देश का अनुसरण करना चाहिये.

चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) ने इस दौरान पंचकूला से 7 हजार 500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक के युग में सिंचाई विधि में नये नये उपयोग शुरू हो गये हैं. सूक्ष्म सिंचाई में टपका, फव्वारा ऐसी व्यवस्था है, जिससे हम अधिक से अधिक पानी को बचा सकते हैं और साथ ही अच्छी पैदावार ले सकते हैं. पानी के दो पक्ष हैं एक पीने का पानी और दूसरा सिंचाई के लिये पानी. पीने के पानी की तो हम बचत नहीं कर सकते. कई बार डाॅक्टर भी हमें अधिक पानी पीने के लिये सलाह देते हैं. परंतु सिंचाई में अधिक पानी लगता है. इसलिये हमें इसका उपयोग सूक्ष्म सिंचाई जैसी योजना से करना होगा. धान, कपास व गन्ना में अधिक पानी लगता है. कृषि विज्ञानी कहते हैं कि एक किलो चावल तैयार होने में 3 हजार से अधिक लीटर पानी की जरूरत होती है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1960 के दशक में जब देश में खाद्यानों की कमी महसूस की गई थी तो उस समय हरित क्रांति का नारा दिया गया था. पंजाब व हरियाणा के किसानों ने हरित क्रंति में सबसे बड़ा योगदान दिया और देश को खाद्यानों में आत्मनिर्भर बनाया. उन्होंने कहा कि रासायनिक खाद्यान्नों के अधिक उपयोग व भूजल के दोहन के कारण हम खाद्यानों के मामलों में आत्मनिर्भर बन गये हैं. परंतु आज हमें दूसरे विकल्प की ओर जाना होगा. सूक्ष्म सिंचाई भी उस दिशा में एक कदम है.

Haryana Canal Development Authority
सूक्ष्म सिंचाई से संबंधित 5 मोबाईल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दो साल पहले कोरोना के काल के दौरान आरंभ की गई मेरा पानी मेरी विरासत योजना (Mera Pani Meri Virasat Yojana) के प्रति किसानो का रूझान बढ़ा है. प्रदेश के धान बाहुल जिलों में किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाना आरंभ किया है. उन्होंने कहा कि पहले वर्ष में 98 हजार एकड़ में धान के स्थान पर अन्य फसलें उगाई गई. इस बार 2 लाख एकड़ का लक्ष्य रखा गया है.

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश में लगभग 200 जल शोधन संयंत्र संचालित हैं. 50 प्रतिशत से अधिक शोधित पानी का दुबारा प्रयोग सिंचाई व अन्य कार्यों में किया जा रहा है. प्राकृतिक जल स्रोतों को भी बचाना होगा. इसके लिये हमें वृक्षारोपण, बांध इत्यादि बनाने होंगे परंतु पानी को हम पैदा नहीं कर सकते हैं. जो पानी उपलब्ध है, उसी का प्रयोग हमें सावधानीपूर्वक करना होगा. मुख्यमंत्री ने इजाराईल का उदाहरण देते हुये कहा कि इजाराईल विश्व का ऐसा देश है, जहां पानी की बहुत किल्लत है. पूरी खेती टपका सिंचाई से की जाती है. हरियाणा सरकार ने भी इजराईल के साथ साथ जल संरक्षण एवं फल-सब्जी उत्कृष्ट केंद्र के कई समझौते किये हैं. उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में हमें इजराईल देश का अनुसरण करना चाहिये.

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