चंडीगढ़: अकेले राजस्थान में टिड्डी दल के हमले के कारण 60 हजार से ज्यादा किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और किसानों के आंसू थम नहीं रहे हैं. ये आंकड़ें यहीं रुकने वाले नहीं है. वहीं हरियाणा कृषि विभाग के निदेशक ने हिसार कृषि विश्वविद्यालय से तकनीकी मदद मांगी है. निदेशक की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है कि टिड्डी दल पंजाब व राजस्थान में प्रवेश कर चुका है और हरियाणा की तरफ बढ़ रहा है. सिरसा जिले के तीन गांवों में टिड्डियां प्रवेश कर चुकी हैं. ये दूसरे जिलों में भी अपना कहर बरपा सकती हैं.
हरियाणा में कई जिलें हाई अलर्ट पर
इसी के चलते हरियाणा के 5-6 जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है. फतेहाबाद जिला प्रशासन ने टिड्डी दल से निपटने के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है. गांव के मंदिरों, गुरुद्वारों और मस्जिदों से घोषणाएं करवाई जा रही हैं. उपायुक्त ने हैफेड को निर्देश दिए कि वे सभी ब्लॉक में टिड्डी दल पर काबू पाने वाले कीटनाशक भंडारण का समुचित व्यवस्था करके रखें. इसके अलावा उन्होंने कृषि विभाग से कहा है कि जिन किसानों के पास स्प्रे ड्रम्प पम्प हैं, उनकी सूची तैयार करें और आपदा के समय उनको प्रयोग में लाया जाए.
टिड्डी दल को फसल पर बैठने से रोकें किसान
किसानों से कहा गया है कि खेत में टिड्डी दल दिखाई देने पर किसान डीजे, थाली, ढोल, नगाड़े व खाली पीपों की आवाज करके टिड्डी दल को बैठने से रोक सकता है. साथ ही कीटनाशकों के प्रयोग द्वारा भी इस पर काबू पाया जा सकता है. अगर कहीं भी टिड्डी दल देखने व होने की सूचना प्राप्त होती है तो वे तुरंत कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित करें. फतेहाबाद उपायुक्त ने कहा कि जिला स्तर पर टिड्डी दल नियंत्रण कक्ष बनाया गया है, जिसका नंबर 01667-231122 है. कृषि विभाग के टोल फ्री नंबर 18001802117 पर भी किसानों को टिड्डी दल से बचाव के बारे में जानकारी दी जा रही है. इसके अलावा चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा भी किसान जागरूकता एवं बचाव संबंधी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
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पहले भी किया है टिड्डी दल ने हमला
इस साल जिस तरह से टिडि्डयों का बड़ा हमला हुआ है. इससे पहले 2010, 2005 और 1997 में टिड्डी दल का बड़ा हमला हुआ था. वहीं वर्ष 1993 में पड़ोसी देश पाकिस्तान की तरफ से टिड्डी ने राजस्थान के सीमावर्ती जिलों बाड़मेर, जैसलमेर के इलाकों में हमला किया था. इससे पहले 1989, 1986, 1983 और 1978 में टिड्डी दल आया था. वर्ष 1978 में आई टिड्डी अफ्रीका से आई थी और इन टिड्डियों ने 4 महीने तक भारत में उत्पात मचाया था.
कैसे और कहां से आया ये टिड्डी दल?
टिड्डियों का कहर क्यों बना हुआ है, इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि मोटे तौर पर माना जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जिस तरह मौसम का पैटर्न बदला है, उससे टिड्डियों को गुजरात में ठहरने का अधिक मौका मिल गया है. इस बार गुजरात में बारिश की शुरुआत देरी से हुई है, जबकि राजस्थान में जहां टिड्डियां सक्रिय थीं, वहां मौसम ठंडा हो गया, जबकि बारिश न होने के कारण गुजरात का मौसम गर्म था, इस कारण ये टिड्डियां गुजरात में प्रवेश कर गईं. राजस्थान और गुजरात के कुछ इलाकों में पाकिस्तान से टिड्डियां आई थीं, लेकिन गुजरात के जिन इलाकों में अब टिड्डियों का हमला हुआ है, वे राजस्थान से आई हैं.
क्यों डरा रहा है टिड्डी दल?
बता दें कि टिड्डी एक ऐसा कीट है, जो सभी प्रकार की वनस्पति को खाकर नुकसान पहुंचाती है. टिड्डी दल रात को फसल पर बैठती है और देखते ही देखते उसे चट कर जाती है. फिलहाल पंजाब के फाजिल्का में टिड्डी दल ने ज्यादा कहर बरपा रखा है. पंजाब के फाजिल्का से हरियाणा का फतेहाबाद महज 200 किलोमीटर दूर है. टिड्डियों के उड़ने की स्पीड करीब 15 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है इसलिए यहां कभी भी टिड्डियों का हमला हो सकता है.
मरुस्थलीय टिड्डी एक बार में 60 से 100 अंडे देती है. इनका दल करीब एक किलोमीटर लंबा व चौड़ा होता है. जब यह दल प्रवेश करता है तो सूरज को ढक देता है और अंधेरा छा जाता है. एक टिड्डी दल में लाखों की संख्या में टिड्डियां होती हैं. जहां भी यह दल पड़ाव डालता है वहां फसलों तथा अन्य वनस्पतियों को चट करता हुआ चला जाता है.
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एक दिन में 10 हाथी के बराबर खा सकता है टिड्डी दल
बताया गया है कि दुनिया में टिड्डियों की 10 प्रजातियां सक्रिय हैं. इनमें से चार प्रजातियां भारत में समय-समय पर देखी गई हैं. इनमें से सबसे खतरनाक रेगिस्तानी टिड्डी होती है. इसके अलावा प्रवासी टिड्डियां, बॉम्बे टिड्डी और वृक्ष टिड्डी भी भारत में देखी गई है. इस बार जो प्रजाति सक्रिय है, वह रेगिस्तानी टिड्डियां है. एक वयस्क टिड्डी की रफ्तार 12 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा बताई गई है. ये टिड्डियां किस कदर नुकसानदायक हो सकती हैं, इसका अनुमान ऐसे लगाया जा सकता है कि इन टिड्डियों का एक छोटा दल एक दिन में 10 हाथी और 25 ऊंट या 2500 आदमियों के बराबर खाना खा सकता है.
पाकिस्तान के कारण हुआ ज्यादा नुकसान
आजादी के बाद देश में राजस्थान और गुजरात समेत पंजाब में हाल ही में सबसे बड़ा टिड्डी हमला हुआ है. ये दल अब हरियाणा की ओर रुख कर रहा है जिससे नुकसान के आंकड़ें और बढ़ेंगा. इस बार टिड्डी दल का हमले में ज्यादा नुकसान का एक कारण पाकिस्तान भी है. अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत उसे टिडि्डयों की ब्रीडिंग व उनके मूवमेंट की जानकारी साझा करनी थी, मगर उसने नहीं की. वहीं टिड्डियों के हमले की गूंज लोकसभा और राज्यसभा में भी उठ रही है. अब देखना ये होगा कि क्या हरियाणा सरकार टिड्डी दल के हमले से राज्य के किसानों की फसल बचवाने में कामयाब रहेगी या नहीं.
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