नई दिल्ली/चंडीगढ़: एसवाईएल मामले पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के बीच मंगलवार को बैठक हुई. इस बैठक में दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े. वहीं अगले सप्ताह फिर से बैठक होगी. इस बैठक को लेकर लगातार हरियाणा के नेताओं की प्रतिक्रिया भी आ रही हैं. एसवाईएल मामले को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि एसवाईएल को लेकर हरियाणा लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहा है. हमें उम्मीद है कि हरियाणा के लोगों का लंबा इंतजार जल्द ही दूर होगा.
सैलजा ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल से ये अपेक्षा है कि वह हरियाणा के लोगों के हक की बात को पूरी ताकत से रखेंगे और हरियाणावासियों को उनके हक का हिस्सा जरूर मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि एसवाईएल का मुद्दा काफी सालों से लंबित पड़ा है. हरियाणा के लोग इसके लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामला बहुत सालों तक चलता रहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बैठक कर इस मुद्दे का आपस में हल निकालना था.
हमारी पहले भी केंद्र सरकार से उम्मीद थी कि जब तीनों जगह इनकी अपनी पार्टी की सरकारें थी, तो ये हल निकाल सकते थे. अभी भी हम उम्मीद कर सकते हैं कि मुख्यमंत्री आपस में बैठकर कुछ ऐसा हल निकालें, जो दोनों राज्य के लोगों के हक में हो. कुमारी सैलजा ने कहा कि आगे भी हम उम्मीद करते हैं कि जो अगली बैठक होगी और उसके बाद जो रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जाएगी, तब तक इसका कुछ हल निकल जाएगा. जिससे एक अच्छे माहौल में दोनों को अपना हिस्सा मिले. पंजाब भी बड़े भाई के रूप में हरियाणा को उसका पानी देने का काम करें और शांति के साथ ये मामला निपट जाए.
एसवाईएल पर मंगलवार को हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक
बता दें कि, एसवाईएल मामले पर हरियाणा सरकार की ओर से केंद्र सरकार को लिखे पत्र के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मंगलवार बैठक हुई. इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी जुड़े. बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि आज की बैठक में दोनों राज्यों के बीच खुले मन से बात हुई.
सीएम ने कहा कि बैठक में खुली बातचीत का मकसद था कि एसवाईएल नहर बननी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है. अब उसका कार्यक्रम क्या होगा? हम सुप्रीम कोर्ट में जाकर बताएंगे. जल्द ही हम दूसरे दौर की बैठक करेंगे. मिलनसार संसोधन कैसे हो सकता है? इसके लिए सारे रास्ते खुले हैं. जो भी सहमति होगी वो हम सुप्रीम कोर्ट में बताएंगे. बैठक के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि एसवाईएल को लेकर अगले सप्ताह फिर से बैठक होगी. दूसरे दौर की बैठक के बाद मामले की पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी.
क्या है एसवाईएल विवाद?
ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.
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इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.