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कृष्ण लाल पंवार: बॉयलर ऑपरेटर से कैबिनेट मंत्री और अब राज्यसभा पहुंचने तक का सफर

हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार (Krishan Lal Panwar) राज्यसभा चुनाव जीत गए हैं. लेकिन कई लोग उनके यहां तक पहुंचने के सफर से अनजान है. ये कहानी है एक बॉयलर ऑपरेटर के विधायक, मंत्री और राज्यसभा सांसद बनने की... पूरी कहानी पढ़िये...

कृष्ण लाल पंवार
कृष्ण लाल पंवार
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Published : Jun 11, 2022, 7:41 AM IST

Updated : Jun 11, 2022, 8:38 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार (krishan lal panwar wins rajya sabha election) राज्यसभा चुनाव में जीत चुके हैं. कृष्ण लाल पंवार को कुल 36 वोट मिले हैं. वैसे बीजेपी उम्मीदवार के रूप में कृष्ण पंवार (krishan lal panwar) की जीत पहले से तय मानी जा रही थी. क्योंकि उन्हें जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत थी, जबकि बीजेपी के कुल 40 विधायक हैं. अब कृष्ण लाल पंवार राज्यसभा पहुंच गए हैं लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें 3 दशक से अधिक का वक्त लगा है. आइये उनके सियासी करियर पर एक नजर डालते हैं.

बॉयलर ऑपरेटर से सियासतदान- हरियाणा में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election Haryana) में जीत हासिल करने वाले बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार (Who is Krishan Lal Panwar) का जन्म 1 जनवरी 1958 को पानीपत में हुआ. कृष्ण पंवार की सियासी कहानी एक आम आदमी के पार्टी कार्यकर्ता से विधायक, मंत्री और राज्यसभा तक पहुंचती है. यहां तक पहुंचने का उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. पंवार ने अपने कैरियर की शुरुआत बॉयलर ऑपरेटर के तौर पर की. पानीपत के थर्मल पावर प्लांट में वो ग्रेड-वन बॉयलर ऑपरेटर थे. लेकिन राजनीति के प्रति उनका लगाव ऐसा था कि नौकरी तक छोड़ दी. साल 1991 में नौकरी छोड़कर वो लोकदल में शामिल हो गए.

कृष्ण लाल पंवार का सियासी सफर
कृष्ण लाल पंवार का सियासी सफर

5 बार के विधायक- कृष्ण लाल पंवार 5 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. पहली बार साल 1991 में वो राष्ट्रीय जनता दल की टिकट पर विधायक चुने गए. इसके बाद चौधरी देवीलाल ने मौजूदा वक्त की इनेलो की शुरुआत हरियाणा लोकदल के नाम से की. इसी पार्टी से साल 1996 में कृष्ण पंवार दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 2000 में भी वो लगातार तीसरी बार हरियाणा की एससी सीट असंध से विधानसभा पहुंचे. साल 2009 में पार्टी ने उन्हें पानीपत जिले की इसराना सीट से विधायक बना और फिर से चुनाव जीते, लेकिन 2014 में इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें टिकट नहीं दिया. जिससे नाराज होकर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

कैबिनेट मंत्री बने- 2014 में सियासी मौसम भांपते हुए बीजेपी का कमल थामने का उनका फैसला सही साबित हुआ और इस साल बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार सरकार बनाई थी. कृष्ण पंवार इसराना सीट से फिर विधायक चुने गए और साल 2015 में उन्हें मनोहर लाल खट्टर के मंत्रिमंडल में स्थान मिला. पंवार को हाउसिंग और जेल के साथ परिवहन विभाग जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी.

प्रदेश में बड़ा एससी चेहरा- साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कृष्ण लाल पंवार चुनाव हार गए लेकिन बीजेपी ने उन्हें एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. दरअसल हरियाणा में कृष्ण लाल पंवार अनुसूचित जाति का बड़ा चेहरा हैं. यही वजह है कि हरियाणा में एससी वोट बैंक को देखते हुए जब राज्यसभा चुनाव (Haryana Rajya Sabha Election) की उम्मीदवारी की बात आई तो पार्टी ने कृष्ण लाल पंवार के नाम पर मुहर लगा दी. कहते हैं कि साल 2014 में जब इनेलो ने पंवार को टिकट नहीं दिया तो देश में बीजेपी की लहर को देखते हुए पंवार ने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने भी एससी चेहरे के रूप में उन्हें शामिल करने में देर नहीं लगाई. उस वक्त बीजेपी के पास इसराना सीट पर कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं था और पंवार ने मौके पर चौका लगा दिया था.

ये भी पढ़ें: Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान, 21 को मतगणना

चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार (krishan lal panwar wins rajya sabha election) राज्यसभा चुनाव में जीत चुके हैं. कृष्ण लाल पंवार को कुल 36 वोट मिले हैं. वैसे बीजेपी उम्मीदवार के रूप में कृष्ण पंवार (krishan lal panwar) की जीत पहले से तय मानी जा रही थी. क्योंकि उन्हें जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत थी, जबकि बीजेपी के कुल 40 विधायक हैं. अब कृष्ण लाल पंवार राज्यसभा पहुंच गए हैं लेकिन यहां तक पहुंचने में उन्हें 3 दशक से अधिक का वक्त लगा है. आइये उनके सियासी करियर पर एक नजर डालते हैं.

बॉयलर ऑपरेटर से सियासतदान- हरियाणा में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Election Haryana) में जीत हासिल करने वाले बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार (Who is Krishan Lal Panwar) का जन्म 1 जनवरी 1958 को पानीपत में हुआ. कृष्ण पंवार की सियासी कहानी एक आम आदमी के पार्टी कार्यकर्ता से विधायक, मंत्री और राज्यसभा तक पहुंचती है. यहां तक पहुंचने का उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. पंवार ने अपने कैरियर की शुरुआत बॉयलर ऑपरेटर के तौर पर की. पानीपत के थर्मल पावर प्लांट में वो ग्रेड-वन बॉयलर ऑपरेटर थे. लेकिन राजनीति के प्रति उनका लगाव ऐसा था कि नौकरी तक छोड़ दी. साल 1991 में नौकरी छोड़कर वो लोकदल में शामिल हो गए.

कृष्ण लाल पंवार का सियासी सफर
कृष्ण लाल पंवार का सियासी सफर

5 बार के विधायक- कृष्ण लाल पंवार 5 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. पहली बार साल 1991 में वो राष्ट्रीय जनता दल की टिकट पर विधायक चुने गए. इसके बाद चौधरी देवीलाल ने मौजूदा वक्त की इनेलो की शुरुआत हरियाणा लोकदल के नाम से की. इसी पार्टी से साल 1996 में कृष्ण पंवार दूसरी बार विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 2000 में भी वो लगातार तीसरी बार हरियाणा की एससी सीट असंध से विधानसभा पहुंचे. साल 2009 में पार्टी ने उन्हें पानीपत जिले की इसराना सीट से विधायक बना और फिर से चुनाव जीते, लेकिन 2014 में इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें टिकट नहीं दिया. जिससे नाराज होकर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया.

कैबिनेट मंत्री बने- 2014 में सियासी मौसम भांपते हुए बीजेपी का कमल थामने का उनका फैसला सही साबित हुआ और इस साल बीजेपी ने हरियाणा में पहली बार सरकार बनाई थी. कृष्ण पंवार इसराना सीट से फिर विधायक चुने गए और साल 2015 में उन्हें मनोहर लाल खट्टर के मंत्रिमंडल में स्थान मिला. पंवार को हाउसिंग और जेल के साथ परिवहन विभाग जैसी बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी.

प्रदेश में बड़ा एससी चेहरा- साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कृष्ण लाल पंवार चुनाव हार गए लेकिन बीजेपी ने उन्हें एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी. दरअसल हरियाणा में कृष्ण लाल पंवार अनुसूचित जाति का बड़ा चेहरा हैं. यही वजह है कि हरियाणा में एससी वोट बैंक को देखते हुए जब राज्यसभा चुनाव (Haryana Rajya Sabha Election) की उम्मीदवारी की बात आई तो पार्टी ने कृष्ण लाल पंवार के नाम पर मुहर लगा दी. कहते हैं कि साल 2014 में जब इनेलो ने पंवार को टिकट नहीं दिया तो देश में बीजेपी की लहर को देखते हुए पंवार ने बीजेपी का दामन थाम लिया और बीजेपी ने भी एससी चेहरे के रूप में उन्हें शामिल करने में देर नहीं लगाई. उस वक्त बीजेपी के पास इसराना सीट पर कोई सशक्त उम्मीदवार नहीं था और पंवार ने मौके पर चौका लगा दिया था.

ये भी पढ़ें: Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान, 21 को मतगणना

Last Updated : Jun 11, 2022, 8:38 AM IST
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