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Kamika Ekadashi: कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने से दूर होते हैं सारे कष्ट, मिलेगा मनचाहा फल - कामिका एकादशी व्रत

कामिका एकादशी व्रत (Kamika Ekadashi) का पारण मुहूर्त गुरुवार यानी 5 अगस्त को है. इस दिन सुबह 5 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 26 मिनट तक पारण मुहूर्त है. पारण के बाद ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान जरूर करें. इस दिन किए गए दान का विशेष महत्व माना गया है.

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Kamika Ekadashi: कामिका एकादशी के दिन व्रत रखने से दूर होते हैं सारे कष्ट, मिलेगा मनचाहा फल
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Published : Aug 4, 2021, 7:00 AM IST

चंडीगढ़: श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) मनाई जाती है. यह विष्णु भगवान की अराधना एवं पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है. मान्यता है कि विधि-विधान से इस दिन व्रत करने वालों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा फल भी मिलता है. कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) 3 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर इसका समापन 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर होगा. इस साल कामिका एकादशी का व्रत बुधवार यानि आज रखा जा रहा है और आज भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जा रही है.

कामिका एकादशी व्रत (Kamika Ekadashi) का पारण मुहूर्त गुरुवार यानी 5 अगस्त को है. इस दिन सुबह 5 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 26 मिनट तक पारण मुहूर्त है. पारण के बाद ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान जरूर करें. इस दिन किए गए दान का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि कामिका एकादशी की कथा श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी. इससे पूर्व मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सुनाई थी. जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति मिली और मोक्ष की प्राप्ति हुई.

इससे जुड़ी एक कथा इस प्रकार है. किसी गांव में एक क्षत्रिय रहता था. उसी गांव में एक ब्राह्मण भी रहता था. दोनों में बिल्कुल नहीं बनती थी. एक दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर मारपीट हो गई. ब्राह्मण को ज्यादा चोट लगी और उसकी मृत्यु हो गई. क्षत्रिय को खूब पश्चात्ताप हुआ. वो ब्राह्मण का अंतिम संस्कार अपने हाथों से करना चाहता था, लेकिन ब्राह्मणों ने कहा कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है. पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो जाओ, तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे.

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है. तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत और पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी. पंडितों के बताए हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है.

इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं. इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं.

ये भी पढ़ें- Horoscope Today 4 August 2021 राशिफल : मेष, मिथुन, तुला राशि वाले रहें सतर्क, कर्क राशि वालों को 'अर्थलाभ'

चंडीगढ़: श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) मनाई जाती है. यह विष्णु भगवान की अराधना एवं पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है. मान्यता है कि विधि-विधान से इस दिन व्रत करने वालों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा फल भी मिलता है. कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) 3 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर इसका समापन 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर होगा. इस साल कामिका एकादशी का व्रत बुधवार यानि आज रखा जा रहा है और आज भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जा रही है.

कामिका एकादशी व्रत (Kamika Ekadashi) का पारण मुहूर्त गुरुवार यानी 5 अगस्त को है. इस दिन सुबह 5 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 26 मिनट तक पारण मुहूर्त है. पारण के बाद ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान जरूर करें. इस दिन किए गए दान का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि कामिका एकादशी की कथा श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी. इससे पूर्व मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सुनाई थी. जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति मिली और मोक्ष की प्राप्ति हुई.

इससे जुड़ी एक कथा इस प्रकार है. किसी गांव में एक क्षत्रिय रहता था. उसी गांव में एक ब्राह्मण भी रहता था. दोनों में बिल्कुल नहीं बनती थी. एक दिन दोनों के बीच किसी बात को लेकर मारपीट हो गई. ब्राह्मण को ज्यादा चोट लगी और उसकी मृत्यु हो गई. क्षत्रिय को खूब पश्चात्ताप हुआ. वो ब्राह्मण का अंतिम संस्कार अपने हाथों से करना चाहता था, लेकिन ब्राह्मणों ने कहा कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है. पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो जाओ, तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे.

इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है. तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत और पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाकर सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी. पंडितों के बताए हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है.

इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं. इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं.

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