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इनेलो के लिए कुछ खास नहीं रहा 2019, परिवार टूटा, पार्टी टूटी और वोट बैंक भी छिटका

साल 2019 इंडियन नेशनल लोकदल के लिए कुछ खास नहीं रहा. इस साल में ही इनेलो ने न सिर्फ अपनी राजनीतिक साख गंवाई बल्कि उनका परिवार भी टूट गया.

indian national lokdal
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Published : Dec 31, 2019, 7:10 AM IST

चंडीगढ़ः वर्ष 2019 इनेलो के लिए कैसा रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो पार्टी कई बार हरियाणा की सत्ता के शीर्ष पर रही और पिछले 15 साल से लगातार मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरती रही. 2014 से पहले जब बात कांग्रेस के विकल्प की होती थी तो इनेलो का ही नाम लिया जाता था. लेकिन 2014 में मोदी सुनामी के बाद 2019 में पार्टी और परिवार की टूट ने इनेलो को भी तोड़ कर रख दिया.

इनेलो के लिए ऐसा रहा 2019
2019 की शुरुआत ही इनेलो के लिए खराब रही. पहले उनका परिवार टूटा और पार्टी टूटी. उसके बाद जींद उपचुनाव में उनके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई और इनेलो से टूटकर अलग पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे.

इनेलो के लिए कुछ खास नहीं रहा 2019, परिवार टूटा, पार्टी टूटी और वोट बैंक भी छिटका

लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव 2019 इनेलो के लिए काफी खराब रहा. इस चुनाव में उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

  • लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो एक भी सीट नहीं जीत पाई
  • लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई
  • लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो को मात्र 1.9 फीसदी वोट मिले
  • 2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को 24.43 फीसदी वोट मिले थे
  • लोकसभा चुनाव 2014 में इनेलो ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी

विधानसभा चुनाव 2019 में इनेलो का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव 2019 की तरह ही इनेलो को विधानसभा चुनाव में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. 2014 में 19 सीटें जीतने वाली इनेलो इस बार मात्र एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई. इतना ही नहीं उसका वोट बैंक भी पूरी तरह से खिसक गया और उसने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया. इनलो को 2014 के विधानसभा चुनाव में 24.11 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को मात्र 2.44 फीसदी वोट मिले और उनके ज्यादातर उम्मीदवार जमानत बचाने में नाकम रहे. ये हाल तब हुआ जब इनेलो ने अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.

इनेलो और चौटाला परिवार दोनों को बुरी यादें दे गया 2019
वर्ष 2019 न इनेलो के लिए अच्छा रहा और न ही चौटाला परिवार के लिए. परिवार टूटने के बाद इनेलो के सामने अपनी पार्टी की साख बचाने की चुनौति थी जिसमें वो नाकाम साबित हुई.

चंडीगढ़ः वर्ष 2019 इनेलो के लिए कैसा रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो पार्टी कई बार हरियाणा की सत्ता के शीर्ष पर रही और पिछले 15 साल से लगातार मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरती रही. 2014 से पहले जब बात कांग्रेस के विकल्प की होती थी तो इनेलो का ही नाम लिया जाता था. लेकिन 2014 में मोदी सुनामी के बाद 2019 में पार्टी और परिवार की टूट ने इनेलो को भी तोड़ कर रख दिया.

इनेलो के लिए ऐसा रहा 2019
2019 की शुरुआत ही इनेलो के लिए खराब रही. पहले उनका परिवार टूटा और पार्टी टूटी. उसके बाद जींद उपचुनाव में उनके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई और इनेलो से टूटकर अलग पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे.

इनेलो के लिए कुछ खास नहीं रहा 2019, परिवार टूटा, पार्टी टूटी और वोट बैंक भी छिटका

लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव 2019 इनेलो के लिए काफी खराब रहा. इस चुनाव में उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

  • लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो एक भी सीट नहीं जीत पाई
  • लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई
  • लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो को मात्र 1.9 फीसदी वोट मिले
  • 2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को 24.43 फीसदी वोट मिले थे
  • लोकसभा चुनाव 2014 में इनेलो ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी

विधानसभा चुनाव 2019 में इनेलो का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव 2019 की तरह ही इनेलो को विधानसभा चुनाव में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. 2014 में 19 सीटें जीतने वाली इनेलो इस बार मात्र एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई. इतना ही नहीं उसका वोट बैंक भी पूरी तरह से खिसक गया और उसने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया. इनलो को 2014 के विधानसभा चुनाव में 24.11 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को मात्र 2.44 फीसदी वोट मिले और उनके ज्यादातर उम्मीदवार जमानत बचाने में नाकम रहे. ये हाल तब हुआ जब इनेलो ने अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.

इनेलो और चौटाला परिवार दोनों को बुरी यादें दे गया 2019
वर्ष 2019 न इनेलो के लिए अच्छा रहा और न ही चौटाला परिवार के लिए. परिवार टूटने के बाद इनेलो के सामने अपनी पार्टी की साख बचाने की चुनौति थी जिसमें वो नाकाम साबित हुई.

Intro:एंकर -
हरियाणा के सबसे बड़े क्षेत्रीय दल रहे इंडियन नेशनल लोकदल की लगातार हाशिये पर आ रही है । किसी समय में हरियाणा की सत्ता में विराजमान रहे इंडियन नेशनल लोकदल हरियाणा में लगातार तीन कार्यकाल में मुख्य विपक्षी दल के तौर पर तत्कालीन सरकारों को घेरती रही । मगर 2019 में इंडियन नेशनल लोकदल महज एक विधायक वाली पार्टी रह गई है । इंडियन नेशनल लोकदल को परिवार की टूट और पार्टी की फूट का बड़ा नुकसान झेलना पड़ा है । साल 2005 , 2009 और 2014 में हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल रहे इंडियन नेशनल लोकदल ने तीन कार्यकाल में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई मगर 2018 में इंडियन नेशनल लोकदल के 11 का बीजेपी में गए कई विधायकों के चलते पार्टी ने मुख्य विपक्षी दल का ओहदा भिगो दिया था और 2019 में पार्टी को टूट का खामियाजा इस कदर भुगतना पड़ा कि महज एक ही विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे ।


Body:वीओ -
हरियाणा में सबसे मजबूत वोट बैंक वाली सबसे बड़ी क्षेत्रीय दल रहे इंडियन नेशनल लोकदल महज एक विधानसभा सीट पर सिमट गई है । 2004 से पहले कई बार सत्ता में रहे इंडियन नेशनल लोकदल इसके बाद लगातार तीन कार्यकाल के दौरान मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा चुकी है । मगर 2018 में पार्टी में परिवारिक तौर पर फूट का नतीजा यह रहा कि एक-एक करके इंडियन नेशनल लोकदल के करीब 10 विधायकों ने पार्टी को अलविदा कह कर भाजपा का दामन थाम लिया । जबकि इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर बनी जननायक जनता पार्टी में 4 विधायको ने अपनी आस्था दिखाई । वहीं 2019 में इंडियन नेशनल लोकदल एक लोकसभा सीट भी नहीं जीत पाई जबकि 2014 में मोदी लहर के बावजूद हरियाणा की 10 में से 2 सीटों पर इंडियन नेशनल लोकदल ने कब्जा जमाया था जबकि 2014 के ही विधानसभा चुनाव में 19 विधायकों के साथ इंडियन नेशनल लोकदल मुख्य विपक्षी दल रही थी । लेकिन 2019 में लोकसभा में एक भी सीट नहीं जीत पाने और विधानसभा में केवल एक सीट इनेलो जीत पाई ।
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फिलहाल आने वाले समय में भी इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला के लिए पार्टी के वोट बैंक को बढ़ाना या बचाए रखना बड़ी चुनौती रहेगा ।
बाइट - योगेंद्र शर्मा , वरिष्ठ पत्रकार


Conclusion:वीओ -
गौरतलब है कि करीब 3 दशक पुरानी पार्टी लोकदल जोकि बाद में इंडियन नेशनल लोक दल बनी ओर सत्ता में कई बार विराजमान राह चुकी इंडियन नेशनल लोक दल आज 1 विधायक के साथ बेहद खराब स्तिथि में है । यानी 2019 का साल पार्टी के लिए कई मुश्किलों को साथ लेकर आया ।
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