चंडीगढ़ः वर्ष 2019 इनेलो के लिए कैसा रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो पार्टी कई बार हरियाणा की सत्ता के शीर्ष पर रही और पिछले 15 साल से लगातार मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरती रही. 2014 से पहले जब बात कांग्रेस के विकल्प की होती थी तो इनेलो का ही नाम लिया जाता था. लेकिन 2014 में मोदी सुनामी के बाद 2019 में पार्टी और परिवार की टूट ने इनेलो को भी तोड़ कर रख दिया.
इनेलो के लिए ऐसा रहा 2019
2019 की शुरुआत ही इनेलो के लिए खराब रही. पहले उनका परिवार टूटा और पार्टी टूटी. उसके बाद जींद उपचुनाव में उनके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई और इनेलो से टूटकर अलग पार्टी बनाने वाले दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे.
लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव 2019 इनेलो के लिए काफी खराब रहा. इस चुनाव में उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.
- लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो एक भी सीट नहीं जीत पाई
- लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई
- लोकसभा चुनाव 2019 में इनेलो को मात्र 1.9 फीसदी वोट मिले
- 2014 के लोकसभा चुनाव में इनेलो को 24.43 फीसदी वोट मिले थे
- लोकसभा चुनाव 2014 में इनेलो ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी
विधानसभा चुनाव 2019 में इनेलो का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव 2019 की तरह ही इनेलो को विधानसभा चुनाव में भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. 2014 में 19 सीटें जीतने वाली इनेलो इस बार मात्र एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई. इतना ही नहीं उसका वोट बैंक भी पूरी तरह से खिसक गया और उसने अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया. इनलो को 2014 के विधानसभा चुनाव में 24.11 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को मात्र 2.44 फीसदी वोट मिले और उनके ज्यादातर उम्मीदवार जमानत बचाने में नाकम रहे. ये हाल तब हुआ जब इनेलो ने अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा.
इनेलो और चौटाला परिवार दोनों को बुरी यादें दे गया 2019
वर्ष 2019 न इनेलो के लिए अच्छा रहा और न ही चौटाला परिवार के लिए. परिवार टूटने के बाद इनेलो के सामने अपनी पार्टी की साख बचाने की चुनौति थी जिसमें वो नाकाम साबित हुई.