चंडीगढ़: हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को निर्देश दिए है कि वे सुनिश्चित करें कि जिस व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता की आवश्यकता है. उसे तुरंत साइकेट्रिक की सहायता उपलब्ध करवाई जाए. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा की आधारित बेंच ने कहा कि सरकार का फर्ज भी है कि इस दौरान कोई आत्महत्या ना करें.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को निर्देश दिए हैं कि वो कोविड 19 के कारण मनो रोगियों और लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति में इजाफा होने के चलते लोगों को उचित मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाने पर विचार करें.
मामले में पंचकूला निवासी एडवोकेट सुमित जैन ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. याचिका में कोर्ट को बताया गया कि कोविड-19 संकट के बीच मनो रोगियों की संख्या में 20% तथा आत्महत्या करने की प्रवृत्ति में 35% का इजाफा हुआ है.
इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी के हवाले से हाई कोर्ट को बताया गया कि कोविड-19 के बाद से देश में मनो रोगियों की संख्या में 20% का इजाफा हुआ है. इसके साथ ही ये भी बताया गया कि तनाव बढ़ने और अन्य कारणों से आत्महत्या की प्रवृत्ति में भी 35% बढ़ोतरी हुई है.
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अपील की है कि हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को निर्देश दिया जाए कि वो मनो रोगियों को उचित मानसिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाएं.
यूटी प्रशासन की ओर से बताया गया कि सेक्टर-32 के अस्पताल में साइकेट्रिक मौजूद हैं, जो काउंसलिंग दे रहे हैं. इसके साथ ही सेक्टर-16 के अस्पताल में भी साइकेट्रिक की नियुक्ति की गई है. जो लोग कोविड-19 के टेस्ट के लिए आते हैं. वहां उनके परिवार वालों की काउंसलिंग की जाती है. इसके अलावा प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है जिस पर लोगों की प्रतिक्रिया मिल रही है.
हरियाणा और पंजाब की ओर से भी लगभग ऐसा ही जवाब दिया गया. हाई कोर्ट ने इस पर कहा कि इस आपदा की स्थिति में सरकार और प्रशासन जरूरतमंद लोगों को अपनी ओर से मदद मुहैया करवा रहे हैं. हालांकि हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ को निर्देश दिए है कि वे सुनिश्चित करें कि जिस व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता की आवश्यकता है उसे तुरंत मनोचिकित्सक की सहायता उपलब्ध करवाई जाए.
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