चंडीगढ़: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा हिसार के बरवाला स्थित प्राइवेट स्कूल का 10वीं कक्षा का रिजल्ट रोके जाने के मामले पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने वीरवार को बोर्ड के चेयरमैन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के निर्देश दिए.
जस्टिस अनमोल रतन सिंह ने बोर्ड की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इंस्पेक्शन के दौरान यदि स्कूल में बोगस स्टूडेंट थे तो फिर एक लाख का जुर्माना क्यों लगाया गया. स्कूल की मान्यता रद्द क्यों नहीं की गई. हाईकोर्ट ने कहा कि इन सवालों के जवाब बोर्ड के चेयरमैन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देंगे.
हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड की तरफ से सुनवाई के दौरान कहा गया कि बच्चों के हित को देखते हुए स्कूल की मान्यता रद्द मानकर स्कूल पर जुर्माना लगाया गया. जिसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि वाकई ऐसा था तो फिर अभी स्कूल में पढ़ने वाले दसवीं क्लास के छात्रों का रिजल्ट क्यों रोका गया है.
दरअसल हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड ने 10वीं क्लास का रिजल्ट 10 जुलाई को जारी कर दिया था. लेकिन जिला हिसार के बरवाला स्थित प्राइवेट स्कूल का रिजल्ट जारी नहीं किया गया. बताया जा रहा है कि स्कूल में बोगस दाखिले किए गए थे. बोर्ड ने परीक्षण के दौरान पाया कि जिन छात्रों का रिजल्ट रोका गया है. वो ना तो स्कूल में स्टाफ था और ना ही बच्चे.
उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि शिक्षा बोर्ड ने ऐसे बच्चों के रिजल्ट पर रोक लगाई है. जिन्होंने बोर्ड प्रशासन द्वारा लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया था. उन्होंने कहा कि ये मामला स्कूल प्रशासन और शिक्षा बोर्ड के बीच का है. इसमें बच्चों की कोई भूमिका या गलती नहीं है. ऐसे में बच्चों का रिजल्ट रोकना केवल उनके अधिकारों का उल्लंघन है. साथ ही उनके हितों से खिलवाड़ भी है.
ये भी पढ़ें: ऑनलाइन एजुकेशन के फायदे कम और नुकसान ज्यादा, छात्रों-अभिभावकों ने बताई अपनी पीड़ा
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर सुनिश्चित करें कि जिन बच्चों का दसवीं क्लास का रिजल्ट बोर्ड ने रोक दिया है. उन्हें आगे 11वीं कक्षा में दाखिला लेने में कोई परेशानी ना हो.