चंडीगढ़: वर्ष 2010 में हुड्डा सरकार के दौरान के भर्ती हुए 1983 शारीरिक शिक्षकों (पीटीआई) को बीते सोमवार को हरियाणा सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से निकाल दिया गया था. इस मामले को लेकर, हटाए गए एक पीटीआई शिक्षक द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी.
सरकार के आदेश को दी हाई कोर्ट में चुनौती
पीटीआई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा सरकार के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी. बता दें कि, हरियाणा सरकार ने तीन दिन के भीतर सभी टीचर की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी किए थे. याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने उनकी एसएलपी को खारिज करते हुए सरकार को पांच महीनों के भीतर नई भर्ती करने के आदेश दिए थे.
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सुप्रीम कोर्ट ने उनको हटाने के बारे में कोई आदेश जारी करने को नहीं कहा था. याची ने कोर्ट को बताया कि नई भर्ती में पांच महीने का समय लगेगा तब तक स्कूलों में पीटीआई टीचर का काम कौन करेगा. याची ने हाई कोर्ट से मांग की है कि जब तक नई भर्ती नहीं होती तब तक उनको ना हटाया जाए. हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के आदेश दिए हैं.
गौरतलब है कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था जिसमें हाई कोर्ट ने हुड्डा सरकार के दौरान भर्ती किए गए 1983 पीटीआई टीचर की भर्ती को रद्द कर दिया था. इससे पहले हाई कोर्ट की बेंच ने 11 सितंबर 2012 को भर्ती रद्द करने का फैसला किया था जिसके बाद 30 सितंबर 2013 को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी एकल बेंच के आदेश पर मोहर लगा दी थी.
हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल सिलेक्शन लिस्ट जारी कर यह नियुक्ति की थी. हाई कोर्ट ने कमीशन को निर्देश दिया था कि आयोग नियमों के तहत नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करें और पांच महीनों के अंदर इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए. हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर सवाल उठाया. हाई कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्रवाई में शामिल होने से आयोग की नकारात्मक छवि को उजागर करता है.
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