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चंडीगढ़ मल्टीलेवल पार्किंग निर्माण का मामला, कोर्ट ने नगर निगम से मांगा जवाब

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में बन रही मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण कार्य के मामले पर चंडीगढ़ नगर निगम को कोई कठोर कार्रवाई ना करने के निर्देश दिए हैं.

chandigarh multilevel parking case
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Published : Aug 25, 2020, 5:26 PM IST

चंडीगढ़: सेक्टर-17 में बन रही मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण कार्य के मामले पर चंडीगढ़ नगर निगम के आदेशों पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई ना करने के निर्देश दिए हैं. बिल्डर की याचिका पर कोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब की मांग की है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस दौरान बिल्डर के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए.

बिल्डर की तरफ से याचिका दायर कर चंडीगढ़ नगर निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के 11 अगस्त 2020 के फैसले को खारिज करने की मांग की गई. जिसमें कहा गया कि रेमेडियल वर्क बिल्डर की रिस्क और कॉस्ट पर क्यों ना कार्रवाई की जाए.

ये भी पढ़ें- कौन से बिल होंगे पेश, किन मुद्दों पर होगी चर्चा? डिप्टी स्पीकर ने खास बातचीत में बताया

याचिका में कहा गया कि ये सही फैसला नहीं है. मल्टीलेवल पार्किंग का काम उसकी फर्म को 18 सितंबर 2013 को दिया गया था और उसे 31 दिसंबर 2015 तक पूरा किया था. काम को लेकर फर्म को 3 जनवरी 2018 को आउटस्टैंडिंग परफॉर्मस सर्टिफिकेट भी दिया गया. ऐसे में जब कुछ ड्राइंग की खामियां जताते हुए रेमेडियल वर्क करने के लिए कहा जा रहा है तो कॉन्ट्रैक्ट के तहत नहीं है.

याचिका में ये भी कहा गया कि उन्होंने बेहतरीन काम किया और इसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट भी मिला. ऐसे नियम से काम में गलत ढंग से कमियां निकाली जा रही हैं. हाईकोर्ट ने याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद चंडीगढ़ नगर निगम को बिल्डर फर्म के खिलाफ फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई ना करने के निर्देश देते हुए जवाब तलब किया है.

ये भी पढ़ें- बंदर के कारण टैटू आर्टिस्ट को भेजा जेल, हाईकोर्ट में पहुंचा मामला

चंडीगढ़: सेक्टर-17 में बन रही मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण कार्य के मामले पर चंडीगढ़ नगर निगम के आदेशों पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई ना करने के निर्देश दिए हैं. बिल्डर की याचिका पर कोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब की मांग की है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस दौरान बिल्डर के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए.

बिल्डर की तरफ से याचिका दायर कर चंडीगढ़ नगर निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के 11 अगस्त 2020 के फैसले को खारिज करने की मांग की गई. जिसमें कहा गया कि रेमेडियल वर्क बिल्डर की रिस्क और कॉस्ट पर क्यों ना कार्रवाई की जाए.

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याचिका में कहा गया कि ये सही फैसला नहीं है. मल्टीलेवल पार्किंग का काम उसकी फर्म को 18 सितंबर 2013 को दिया गया था और उसे 31 दिसंबर 2015 तक पूरा किया था. काम को लेकर फर्म को 3 जनवरी 2018 को आउटस्टैंडिंग परफॉर्मस सर्टिफिकेट भी दिया गया. ऐसे में जब कुछ ड्राइंग की खामियां जताते हुए रेमेडियल वर्क करने के लिए कहा जा रहा है तो कॉन्ट्रैक्ट के तहत नहीं है.

याचिका में ये भी कहा गया कि उन्होंने बेहतरीन काम किया और इसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट भी मिला. ऐसे नियम से काम में गलत ढंग से कमियां निकाली जा रही हैं. हाईकोर्ट ने याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद चंडीगढ़ नगर निगम को बिल्डर फर्म के खिलाफ फिलहाल कोई कठोर कार्रवाई ना करने के निर्देश देते हुए जवाब तलब किया है.

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