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पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स लगाकर हर साल इतना कमाती है हरियाणा सरकार! - हरियाणा सरकार आमदनी पेट्रोलियम टैक्स न्यूज

हरियाणा सरकार ने 2020 में पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स लगाकर करीब 20 हजार करोड़ रुपये इकठ्ठा किए. सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 19.62 रुपये टैक्स लगाती है. आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक अगर सरकार टैक्स हटाएगी, तो भी राहत मिलने की कम ही संभावना है.

haryana government earning petroleum products tax
हरियाणा सरकार पेट्रोलियम उत्पाद टैक्स
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Published : Mar 1, 2021, 2:26 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा में 5 मार्च से बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में प्रदेश की जनता सरकार से महंगाई से राहत चाहती है, लेकिन आज कल महंगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है, इस महंगाई में आग लगाने का काम कर रहे हैं पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दाम. ऐस में हमने आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. बिमल अंजुम से जानने की कोशिश की कि क्या हरियाणा सरकार आने वाले बजट में अपने स्तर पर लोगों को पेट्रोल और डीजल की कीमत कम कर राहत दे सकती है?

टैक्स की वजह से बढ़ते हैं पेट्रोलियम के दाम

डॉ. बिमल अंजुम कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है पेट्रोलियम उत्पादन पर लगाए गए भारी भरकम टैक्स. केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर कई तरह के टैक्स लगाती है, जिस वजह से उनका दाम बढ़ जाता है. इसके अलावा राज्य सरकारें भी पेट्रोल और डीजल पर वैट और सेस लगाती है. जिससे रेट में और ज्यादा इजाफा हो जाता है.

हरियाणा सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए टैक्स से कमाती है करीब 20000 करोड़

2020 में हरियाणा ने इकट्ठे किए 16-18 हजार करोड़ रुपये तेल पर टैक्स

डॉ. बिमल अंजुम ने बताया कि पिछले साल हरियाणा सरकार ने करीब 51 हजार करोड रुपए रेवेन्यू सिर्फ टैक्स के जरिए कमाया था. जिस में पेट्रोल और डीजल से सरकार ने 16 से 18 हजार करोड़ रुपये इकट्ठे किए थे. अब पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तरह से बड़े हैं उसे देखकर कहा जा सकता है कि इस साल सरकार पेट्रोल और डीजल के टैक्स से इकट्ठे किए जाने वाली धनराशि का लक्ष्य 20 हजार करोड़ तक रख सकती है.

ये भी पढ़ें: पेट्रोल-डीजल के दामों पर बोले रॉबर्ट वाड्रा- बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करे सरकार

हरियाणा सरकार लगाती है करीब 19.62 रुपये प्रति लीटर टैक्स

इस समय सरकार पेट्रोल और डीजल पर जितने टैक्स लगाती है उससे सरकार के पास औसतन 19.62 रुपये प्रति लीटर जाते हैं. सरकार लोगों को 19.62 रुपये प्रति लीटर की रियायत तो नहीं दे सकती, क्योंकि यह एक बहुत बड़ी धनराशि बन जाती है.

ये भी पढ़ें: अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए बढ़े पेट्रोल और डीजल के दाम- ओपी धनखड़

टैक्स माफ हुआ तो भी बढ़ेंगी मुश्किलें?

हालांकि सरकार जितना रेवेन्यू पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए टैक्स से कमाती है. उतना रेवेन्यू दूसरे टैक्स से भी कमा सकती है, लेकिन तेल दामों को ज्यादा कम नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने से पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ जाएगी. जो देश के लिए सही नहीं होगा, क्योंकि भारत 95 फीसदी पेट्रोलियम उत्पादों को आयात करता है. ऐसे में जब पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ जाएगी तो देश पर आयात का बोझ भी बढ़ जाएगा.

केंद्र सरकार के पास कई तरह के लोन का बोझ भी होता है. यह कम करने के लिए टैक्स को कम नहीं किया जा सकता. पेट्रोलियम कंपनियां भी खुद को घाटे में दिखाती हैं. उस घाटे को पूरा करने के लिए भी दामों में बढ़ोतरी करनी पड़ती है. अगर हम अलग-अलग सेक्टर्स की बात करें तो पेट्रोलियम उत्पादों का 42 फीसदी हिस्सा इंडस्ट्रियल सेक्टर को जाता है. 27 फीसदी हाउसहोल्ड के पास जाता है. 8 फीसदी सामान्य जनसंख्या के पास जाता है.

ये भी पढ़ें: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से चढ़े सब्जियों के भाव, 3 से 4 गुना महंगाई ने बिगाड़ा रसोई का बजट

चंडीगढ़: हरियाणा में 5 मार्च से बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. ऐसे में प्रदेश की जनता सरकार से महंगाई से राहत चाहती है, लेकिन आज कल महंगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है, इस महंगाई में आग लगाने का काम कर रहे हैं पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दाम. ऐस में हमने आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. बिमल अंजुम से जानने की कोशिश की कि क्या हरियाणा सरकार आने वाले बजट में अपने स्तर पर लोगों को पेट्रोल और डीजल की कीमत कम कर राहत दे सकती है?

टैक्स की वजह से बढ़ते हैं पेट्रोलियम के दाम

डॉ. बिमल अंजुम कहते हैं कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है पेट्रोलियम उत्पादन पर लगाए गए भारी भरकम टैक्स. केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल पर कई तरह के टैक्स लगाती है, जिस वजह से उनका दाम बढ़ जाता है. इसके अलावा राज्य सरकारें भी पेट्रोल और डीजल पर वैट और सेस लगाती है. जिससे रेट में और ज्यादा इजाफा हो जाता है.

हरियाणा सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाए गए टैक्स से कमाती है करीब 20000 करोड़

2020 में हरियाणा ने इकट्ठे किए 16-18 हजार करोड़ रुपये तेल पर टैक्स

डॉ. बिमल अंजुम ने बताया कि पिछले साल हरियाणा सरकार ने करीब 51 हजार करोड रुपए रेवेन्यू सिर्फ टैक्स के जरिए कमाया था. जिस में पेट्रोल और डीजल से सरकार ने 16 से 18 हजार करोड़ रुपये इकट्ठे किए थे. अब पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तरह से बड़े हैं उसे देखकर कहा जा सकता है कि इस साल सरकार पेट्रोल और डीजल के टैक्स से इकट्ठे किए जाने वाली धनराशि का लक्ष्य 20 हजार करोड़ तक रख सकती है.

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हरियाणा सरकार लगाती है करीब 19.62 रुपये प्रति लीटर टैक्स

इस समय सरकार पेट्रोल और डीजल पर जितने टैक्स लगाती है उससे सरकार के पास औसतन 19.62 रुपये प्रति लीटर जाते हैं. सरकार लोगों को 19.62 रुपये प्रति लीटर की रियायत तो नहीं दे सकती, क्योंकि यह एक बहुत बड़ी धनराशि बन जाती है.

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टैक्स माफ हुआ तो भी बढ़ेंगी मुश्किलें?

हालांकि सरकार जितना रेवेन्यू पेट्रोल और डीजल पर लगाए गए टैक्स से कमाती है. उतना रेवेन्यू दूसरे टैक्स से भी कमा सकती है, लेकिन तेल दामों को ज्यादा कम नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने से पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ जाएगी. जो देश के लिए सही नहीं होगा, क्योंकि भारत 95 फीसदी पेट्रोलियम उत्पादों को आयात करता है. ऐसे में जब पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ जाएगी तो देश पर आयात का बोझ भी बढ़ जाएगा.

केंद्र सरकार के पास कई तरह के लोन का बोझ भी होता है. यह कम करने के लिए टैक्स को कम नहीं किया जा सकता. पेट्रोलियम कंपनियां भी खुद को घाटे में दिखाती हैं. उस घाटे को पूरा करने के लिए भी दामों में बढ़ोतरी करनी पड़ती है. अगर हम अलग-अलग सेक्टर्स की बात करें तो पेट्रोलियम उत्पादों का 42 फीसदी हिस्सा इंडस्ट्रियल सेक्टर को जाता है. 27 फीसदी हाउसहोल्ड के पास जाता है. 8 फीसदी सामान्य जनसंख्या के पास जाता है.

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