चंडीगढ़: सर्दी का मौसम शुरू होते ही तापमान भी गिरना शुरू हो गया है और दिसंबर तक धुंध फ्लाइट्स का शेड्यूल बिगाड़ देगी. इसकी वजह होगी चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) कैट-थ्री का नहीं होना क्योंकि मौजूदा समय में इंटरनेशल एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) कैट-2 इंस्टाल है.
आईएलएस कैट-2 की मदद से न्यूनतम 350 मीटर विजिबिलिटी तक फ्लाइट्स का संचालन हो पाता है, लेकिन दिसंबर और जनवरी में शहर में घनी धुंध पड़ती है. ऐसे में फ्लाइट्स को लैंडिंग में दिक्कत होती है. इसी वजह से पिछले साल दुबई जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट पूरे दो महीने तक बंद थी. इस बार कोविड-19 के चलते मंत्रालय ने ही चंडीगढ़ से उड़ान भरने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर रोक लगा दी है. इसके अलावा अन्य फ्लाइट्स का संचालन भी प्रभावित हुआ था.
चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर कैट थ्री-बी लगाने की मंजूरी नहीं मिली
चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कैट थ्री-बी की मदद से 50 मीटर की विजिबिलिटी पर फ्लाइट ऑपरेशन संभव हो जाती है, लेकिन इस बार भी कैट थ्री-बी लगाने की मंजूरी नहीं मिल पाई है. इसकी पुष्टि एयरपोर्ट के सीईओ अजय कुमार ने की है. उन्होंने बताया कि इस विंटर में कैट-2 आईएलएस से फ्लाइट ऑपरेशन होगा, इससे 350 मीटर की विजिबिलिटी पर फ्लाइट ऑपरेट हो सकेंगी. इससे पहले कैट-3 आईएलएस लगा हुआ था, इसकी मदद से 1250 मीटर की विजिबिलिटी पर फ्लाइट ऑपरेशन संभव हो पाता था.
दो हजार करोड़ खर्चे, फिर भी इंटरनेशनल उड़ानें नहीं हो पाई शुरू
दिल्ली से इंटरनेशनल फ्लाइट लेने वाले सबसे ज्यादा यात्री पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर से होते हैं. अगर चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू हो जाएं तो यहां के लोगों को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन यहां प्रॉपर तरीके से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू नहीं हो पाई हैं.
पहले पुराने एयरपोर्ट को 400 करोड़ खर्च कर रेनोवेट किया गया और फिर 1400 करोड़ रुपये खर्च कर नया एयरपोर्ट बना दिया. करीब 2 हजार करोड़ खर्च करने के बाद भी अब तक सही तरह से इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू नहीं हो पाई हैं. वहीं पहले कैट-3 बी मंजूर था और इसे पूरा करने की समय सीमा भी दे दी गई थी और अब कोरोना काल के बाद इस विषय पर कोई चर्चा ही नहीं है.
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