चंडीगढ़ः तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के दर पर बैठे हैं और उन्हें 7 महीने का लंबा वक्त हो गया है. तब से लेकर अब तक किसान आंदोलन के कई रंग हम देख चुके हैं. कई मौसम भी बदले हैं और किसानों के विरोध का तरीका भी बदला है. हरियाणा में किसान जहां टोल और अन्य जगहों पर मोर्चा लगाकर बैठे हैं वहीं वो सरकार के मंत्री विधायकों के दौरों का विरोध भी कर रहे हैं, और बीजेपी-जेजेपी के नेताओं का विरोध भी किसान कर रहे हैं.
ये विरोध ऐसा है जिसने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है. पहले जो सरकार के नुमाइंदे किसानों को अपना भाई बताकर कहते थे कि बातचीत के जरिए सब सुलझा लिया जाएगा. वो अब कह रहे हैं कि विरोध करने वाले किसान ही नहीं हैं. डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल तक विरोध करने वालों को किसान नहीं मानते. क्योंकि जितना विरोध हो रहा है उसका शायद यही काट इस वक्त सरकार को नजर आ रही है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल हों या डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला या सरकार का कोई मंत्री, ये जहां भी जाते हैं किसानों के विरोध का सामना करना पड़ता है. कई बार ये विरोध बढ़ जाता है और किसान उग्र भी हो जाते हैं. उदाहरण के तौर पर बीते रविवार 11 जुलाई को डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा का सिरसा में एक कार्यक्रम था, जहां उनका विरोध करते-करते किसान उग्र हो गए और रणबीर गंगवा की गाड़ी का शीशा तोड़ दिया.
11 जुलाई को ही सिरसा में सांसद सुनीता दुग्गल को आना था, पहले तो उन्हें किसानों के काफी विरोध के बीच बामुश्किल मीटिंग की जगह एंट्री मिली. लेकिन जब निकलने का वक्त हुआ तो बाहर किसानों के जमावड़े को देखकर वो एसडीएम की गाड़ी में बैठकर बाहर निकलीं.
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10 जनवरी 2021 को सीएम का करनाल के कैमला गांव में कार्यक्रम था जहां किसानों ने उनका हेलिपैड उखाड़ दिया. इसी कार्यक्रम का मंच भी किसानों ने उखाड़ दिया और पंडाल के साथ स्टेज पर भी अपना कब्जा जमा लिया. इसी तरह 24 दिसंबर 2020 को जींद में किसानों ने डिप्टी सीएम के हैलिकॉप्टर के लिए बना हेलिपैड फावड़े से खोद दिया.
3 जुलाई को करनाल में बीजेपी जिला कार्यकारिणी की बैठक थी जहां किसानों ने पहुंचकर बीजेपी का झंडा उतारकर तिरंगा लहरा दिया. 10 जुलाई को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ का गुरू जंभेश्वर यूनिवर्सिटी में प्रोग्राम था, जिसका विरोध करने किसान पहुंचे तो उन्हें पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोका. जिस पर किसान गुस्सा हो गए और पुलिस के साथ उनकी काफी तनातनी देखने को मिली.
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4 जुलाई को डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा का हिसार में कार्यक्रम था, जहां किसानों का विरोध देखकर उन्हें उल्टे पांव लौटना पड़ा. जिसके बाद किसानों ने उनकी गाड़ी के पीछे दौड़ भी लगाई. किसानों का खौफ अब ऐसा हो गया है कि 28 जून को जब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला फरीदाबाद में कष्ट निवारण समिति की बैठक लेने पहुंचे तो पुलिस ने त्रिस्तरीय सुरक्षा का इंतजाम किया, ताकि किसान उनके पास तक ना पहुंच सकें.
24 जून को हिसार में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक होनी थी, जिसका किसानों ने जबरदस्त विरोध किया और भारतीय जनता पार्टी के झंडे और बैनर फाड़ दिये. इन विरोधी स्वरों का असर ये है कि जेजेपी विधायक देवेंद्र सिंह बबली किसानों से भिड़ गए थे लेकिन बाद में उन्हें माफी मांगनी पड़ी. उसी तरह 11 जुलाई को हिसार में बीजेपी विधायक विनोद भयाना की गाड़ी में बैठे व्यक्ति पर महिला किसानों की ओर अश्लील इशारा करने का आरोप लगा, जिसके बाद विधायक को खुद किसानों से माफी मांगनी पड़ी.
थोड़ा पीछे चलें तो 17 अप्रैल को हरियाणा विमुक्त घुमंतू विकास बोर्ड के वाइस चैयरमेन और भाजपा नेता जय सिंह पाल को किसानों ने खूब दौड़ाया. और पीटने का आरोप भी किसानों पर लगा. इस तरह के विरोध के लिए किसानों पर मुकदमे भी दर्ज हुए और गिरफ्तारियां भी हुई, लेकिन किसान नेताओं ने बार-बार इकट्ठा होकर और प्रशासन के खिलाफ भी मोर्चा खोलकर किसानों को रिहा करवाया.
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