जोधपुर/चंडीगढ़: देश में लगातार हो रही कोरोना की मौतों ने लोगों को डरा दिया है. अब आलम यह है कि सामान्य शव को ले जाने के लिए कोई गाड़ी तैयार नहीं होती है. हालांकि राजस्थान में जोधपुर शहर के सरकारी अस्पतालों में कोरोना शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए नगर निगम ने वाहन उपलब्ध करवा रखे हैं, लेकिन मंगलवार को सैनिक अस्पताल पहुंचने से पहले एक महिला की मौत होने के बाद उसके शव को श्मशान तक पहुंचाने के लिए उसकी बेटियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी.
काफी समय तक वे सैनिक अस्पताल के बाहर एंबुलेंस और अन्य वाहन चालकों से मिन्नतें करती रही, लेकिन कोई भी कोरोना का शव लेकर जाने को तैयार नहीं हुआ. जबकि संतोष लता की कोरोना जांच भी नही हुई थी. जिसके बाद एक लोडिंग टैंपो चालक ने हिम्मत दिखाई और वह उनकी मां का शव लेकर हिंदू सेवा मंडल के श्मशान घाट पहुंचा जहां परिचितों के सहयोग से तीनों बेटियों ने अपनी मां का अंतिम संस्कार किया.
दरअसल यूपी के अकबपुर जिले के रहने वाले राजीव कुमार चतुर्वेदी सेना से रिटार्यड सूबेदार की पत्नी संतोष लता कि सोमवार रात को घर पर ही तबीयत खराब हो गई थी. पूरी रात तीनों बेटियों ने मां की सेवा की. सुबह जल्दी से उन्हें लेकर सैनिक अस्पताल की ओर निकली, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही संतोष लता ने दम तोड़ दिया. अस्पताल पहुंचने पर सैनिक अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को इसकी सूचना दे दी.
पढ़ेंः हरियाणा में पिछले साल से 10 गुना ज्यादा जानलेवा हुआ कोरोना, 33 दिनों में 1462 लोगों ने गंवाई जान
शाम करीब 4 बजे संतोष लता का शव बेटियों को सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन श्मशान तक ले जाने के लिए उन्हें कोई साधन नहीं मिला. इसके चलते हुए सैनिक अस्पताल के बाहर लोगों से गुहार करने लगी थी.
इस दौरान उनके परिचित थानाराम ने टैंपो चालक कानाराम को रोका और उससे मदद की गुहार की तो वह तैयार हो गया, लेकिन शमशान पहुंचने तक बीच रास्ते में उसकी टैंपो का डीजल खत्म हो गया. बड़ी मुश्किल से डीजल लेकर शव को श्मशान पहुंचाया गया.
बेसुध बेटी टैंपो में रोती रही
संतोष लता की बड़ी बेटी दीपिका तो दाह संस्कार के पहले तक टैंपो में शव के साथ बैठी अकेली रोती रही, लेकिन छोटी बेटी सुप्रिया ने हौंसला रखा. उसने पहले पीपीई किट पहना, फिर दीपिका ने दाह संस्कार की रस्म अदा की. दाह संस्कार के अंतिम दर्शन यूपी में बैठे पिता और परिजनों को भी मोबाइल पर लाइव करवाए.
अंतिम संस्कार से पहले कोरोना संक्रमण के खौफ के बीच दोनों बेटियों के साथ कुछ लोगों ने वृद्धा को कुछ देर कांधा दिया. सेवा मंडल के राजेंद्र सिंह की मदद से दाह संस्कार करवाया गया. वहीं, तीसरी बेटी सलोनी घर पर ही रही.