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कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टर मां-बाप, घर में अकेले रह रहा 7 साल का बेटा - डॉक्टरों की परेशानी

डॉक्टर सबसे आगे आकर पहली पंक्ति में कोरोना की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन उनके मन में ये पीड़ा भी है कि लोग उनसे दूर भागते हैं.

corona warriorunhappy with people
डॉक्टर गीतिका सिंह
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Published : Apr 22, 2020, 4:33 PM IST

Updated : Apr 22, 2020, 6:20 PM IST

चंडीगढ़: कोरोना योद्धा यानी डॉक्टर देश के लोगों के लिए कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. वो सबसे आगे आकर पहली पंक्ति में इस लड़ाई को लड़ रहे हैं. हमें सुरक्षित रख सकें. लेकिन उनके मन में ये पीड़ा भी है कि लोग कहने के लिए तो उन्हें कोरोना योद्धा कहते हैं लेकिन सामने आने पर वो ही उनसे दूर भागते हैं. जिसका उन्हें दुख है. लेकिन फिर भी वे जी जान से इस लड़ाई में लगे हुए हैं. ये कहना है चंडीगढ़ की डॉक्टर गीतिका सिंह का.

चंडीगढ़ के कोरोना योद्धा डॉ. गीतिका सिंह से खास बातचीत

7 साल के बेटे को घर में बंद कर जाती हैं अस्पताल

डॉक्टर गीतिका सिंह ने बताया कि मैं खुद डॉक्टर हूं. इसलिए मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता है. ऐसे में उन्हें अपने 7 साल के बेटे को घर में बंद करके जाना पड़ता है. अपने बेटे को इस तरह अकेला घर में बंद करके जाते हुए उन्हें बहुत दुख होता है. लेकिन समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि बेटे की देखभाल के लिए उन्होंने कई लोगों से संपर्क किया लेकिन कोई भी आगे नहीं आया. कोई भी उनके बेटे को एक घंटे के लिए अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं होता. इसलिए मजबूरी में उन्हें अपने 7 साल के बेटे को घर में ही बंद करके जाना पड़ता है. लेकिन उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है क्योंकि वो अपने परिवार से ज्यादा समाज की सेवा को तवज्जो देती हैं और उनके पति भी कोरोना के मरीजों की सेवा में दिन-रात लगे हुए हैं.

'पति पीजीआई में डॉक्टर, काफी दिनों से घर नहीं आए'

उन्होंने बताया कि कि वो और उनके पति दोनों ही डॉक्टर हैं. उनके पति पीजीआई में कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं और पिछले काफी दिनों से वो घर नहीं आए हैं. इस समय वे क्वॉरेंटाइन हैं और अगर उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आता है. उसके बाद ही वे घर आ पाएंगे.

लोगों से अपील- घर से न निकलें

उन्होंने कहा कि लोग इस बात को समझें कि घर से बाहर निकलना हम सबके लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए लोग घर से बाहर ना निकलें. ऐसा करके वो ना सिर्फ अपने आप को बचाएंगे बल्कि अपने परिवार को भी बचाएंगे. अगर लोग हम जैसे कोरोना योद्धा को सम्मान देना चाहते हैं तो वो हमारा सम्मान सिर्फ इसी तरह से करें कि वे घर से ना निकले.

बेटे को अकेले लगता है डर

इस मौके पर हमने डॉक्टर गीतिका सिंह के बेटे रिज्वल से भी बात की. रिज्वल ने कहा कि उसे घर पर अकेले डर लगता है. जब अंधेरा होने लगता है तो उसे और ज्यादा डर लगता है. ऐसे में वो अपने पापा-मम्मी को फोन करता है ताकि उसे डर ना लगे. लेकिन वो जानता है कि उसके माता-पिता का अस्पताल में होना बेहद जरूरी है क्योंकि वो कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. इसलिए वो घर पर अकेला रह लेता है और अपने मम्मी-पापा से घर पर रुकने या उनके साथ जाने के लिए जिद नहीं करता.

ये भी पढ़ें- मोबाइल फोन से पढ़ाई बनी बच्चों के लिए आफत, कमजोर हो रही आंखें

चंडीगढ़: कोरोना योद्धा यानी डॉक्टर देश के लोगों के लिए कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं. वो सबसे आगे आकर पहली पंक्ति में इस लड़ाई को लड़ रहे हैं. हमें सुरक्षित रख सकें. लेकिन उनके मन में ये पीड़ा भी है कि लोग कहने के लिए तो उन्हें कोरोना योद्धा कहते हैं लेकिन सामने आने पर वो ही उनसे दूर भागते हैं. जिसका उन्हें दुख है. लेकिन फिर भी वे जी जान से इस लड़ाई में लगे हुए हैं. ये कहना है चंडीगढ़ की डॉक्टर गीतिका सिंह का.

चंडीगढ़ के कोरोना योद्धा डॉ. गीतिका सिंह से खास बातचीत

7 साल के बेटे को घर में बंद कर जाती हैं अस्पताल

डॉक्टर गीतिका सिंह ने बताया कि मैं खुद डॉक्टर हूं. इसलिए मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल जाना पड़ता है. ऐसे में उन्हें अपने 7 साल के बेटे को घर में बंद करके जाना पड़ता है. अपने बेटे को इस तरह अकेला घर में बंद करके जाते हुए उन्हें बहुत दुख होता है. लेकिन समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाना भी जरूरी है.

उन्होंने बताया कि बेटे की देखभाल के लिए उन्होंने कई लोगों से संपर्क किया लेकिन कोई भी आगे नहीं आया. कोई भी उनके बेटे को एक घंटे के लिए अपने पास रखने के लिए तैयार नहीं होता. इसलिए मजबूरी में उन्हें अपने 7 साल के बेटे को घर में ही बंद करके जाना पड़ता है. लेकिन उन्हें इस बात का कोई मलाल नहीं है क्योंकि वो अपने परिवार से ज्यादा समाज की सेवा को तवज्जो देती हैं और उनके पति भी कोरोना के मरीजों की सेवा में दिन-रात लगे हुए हैं.

'पति पीजीआई में डॉक्टर, काफी दिनों से घर नहीं आए'

उन्होंने बताया कि कि वो और उनके पति दोनों ही डॉक्टर हैं. उनके पति पीजीआई में कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे हैं और पिछले काफी दिनों से वो घर नहीं आए हैं. इस समय वे क्वॉरेंटाइन हैं और अगर उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आता है. उसके बाद ही वे घर आ पाएंगे.

लोगों से अपील- घर से न निकलें

उन्होंने कहा कि लोग इस बात को समझें कि घर से बाहर निकलना हम सबके लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए लोग घर से बाहर ना निकलें. ऐसा करके वो ना सिर्फ अपने आप को बचाएंगे बल्कि अपने परिवार को भी बचाएंगे. अगर लोग हम जैसे कोरोना योद्धा को सम्मान देना चाहते हैं तो वो हमारा सम्मान सिर्फ इसी तरह से करें कि वे घर से ना निकले.

बेटे को अकेले लगता है डर

इस मौके पर हमने डॉक्टर गीतिका सिंह के बेटे रिज्वल से भी बात की. रिज्वल ने कहा कि उसे घर पर अकेले डर लगता है. जब अंधेरा होने लगता है तो उसे और ज्यादा डर लगता है. ऐसे में वो अपने पापा-मम्मी को फोन करता है ताकि उसे डर ना लगे. लेकिन वो जानता है कि उसके माता-पिता का अस्पताल में होना बेहद जरूरी है क्योंकि वो कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. इसलिए वो घर पर अकेला रह लेता है और अपने मम्मी-पापा से घर पर रुकने या उनके साथ जाने के लिए जिद नहीं करता.

ये भी पढ़ें- मोबाइल फोन से पढ़ाई बनी बच्चों के लिए आफत, कमजोर हो रही आंखें

Last Updated : Apr 22, 2020, 6:20 PM IST
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