चंडीगढ़: राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राजभवन में आयोजित चार दिवसीय डिजिटल कॉन्क्लेव के समापन अवसर पर कुलपति और शिक्षाविदों को सम्बोधित किया. इस कार्यक्रम में दर्जनभर विश्वविद्यालयों के कुलपति व शिक्षाविद उपस्थित थे. शेष विश्वविद्यलायों व शिक्षण संस्थाओं के कुलपति व पदाधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस से हिस्सा लिया.
इस मौके पर हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष बी.के. कुठियाला ने चार दिन तक चली डिजिटल कॉन्क्लेव के निष्कर्ष की प्रस्तुति दी. राज्यपाल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सामाजिक रूप से दबे-कुचले लोगों की शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. इन प्रावधानों को पूरी तरह अमल में लाना हम सब के लिए चुनौती होगी. इसके लिए हमें निजी संस्थानों के साथ बेहतर सामंजस्य करने की जरूरत है. नई शिक्षा नीति के मानदण्डों को अपनाते हुए यदि हम गरीब लोगों के लिए शिक्षा के समान अवसर जुटा पाएं तो ये देश के लिए गौरव की बात होगी.
राज्यपाल ने समान शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि शिक्षा तंत्र में शहरी व ग्रामीण शिक्षा की खाई को मिटाना होगा जिससे सभी को शिक्षा के समान अवसर मिल पाएंगे. देश में समान शिक्षा होगी तो वर्ण विहीन समाज होगा और नव भारत का निर्माण होगा.
उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल, रोजगार, तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता को प्राथमिकता दी गई है. इन्हीं सब पैमानों पर खरा उतरने के लिए विश्वविद्यालयों को उद्योगों से जुड़ना होगा. ताकि दोनों संस्थाएं आपस में ताल-मेल कर डिप्लोमा, डिग्री, व्यवसायी कोर्स करवाकर युवाओं को रोचक विषयों व कार्यों में पारंगत कर सकें.
देश में लोक-कलाओं और प्रादेशिक भाषाओं का खजाना है. उच्च शिक्षा स्तर पर प्राचीन लोक-कलाओं पर अनुसंधान कार्य करना होगा जिससे युवा इन्हें केरियर के रूप में अपनाकर अध्ययन कर पाएंगे.
ये भी पढ़ें- मारकंडा नदी में उफान से सैकड़ों घर डूबे, ईटीवी भारत के चेताने के बाद भी नहीं जागा प्रशासन