चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को चंडीगढ़ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों के लघु उद्योग भारती एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बातचीत की. बैठक में उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, जिनके पास उद्योग एवं वाणिज्य विभाग का प्रभार भी है, भी उपस्थित थे. इस दौरान आर्थिक एवं औद्योगिक विकास में लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए लॉकडाउन के दौरान बंद पड़े हुए इन उद्योगों को पुन: पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री ने कई घोषणाएं की हैं.
इनमें बैंकों से संबंधित मुद्दों के निवारण के लिए वित्त विभाग ने बैंक शिकायत सूचना केंन्द्र स्थापित करना, बिना जुर्माने के बिजली के बिल जमा करने की तिथि को 31 मई, 2020 तक बढ़ाना, बैंक ऋण के लिए एमएसएमई को भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक की ओर से दी जाने वाली गारंटी को राज्य सरकार द्वारा दिया जाना तथा 20 किलोवाट तक के कृषि आधारित उद्योगों के लिए बिजली की दर 4.75 रुपये प्रति यूनिट करना, श्रमिकों के लिए फैक्टरियों के अन्दर ही प्री-फैबरिकेटिड आवास का निर्माण करवाना शामिल है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान सभी राज्यों की आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ा है और इन्हें चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है. उन्होंने कहा कि हरियाणा की वर्ष 2015 की उद्यम प्रोत्साहन नीति की पूरे देश में सराहना हुई थी. अब अगस्त, 2020 से नई उद्यम प्रोत्साहन नीति तैयार की जा रही है जिसमें सभी हितधारकों से सुझाव लेकर फिर से देश की सबसे अच्छी उद्योग नीति बनाने का उनका संकल्प है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो महीनों से राजस्व न के बराबर प्राप्त हुआ है. राजस्व मुख्य रूप से जीएसटी, आबकारी, स्टैम्प डयूटी, केन्द्र सरकार से वैट रिफंड तथा खनन से प्राप्त होता है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एचएसआईआईडीसी से संबंधित मुद्दों के लिए अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा. इसके अलावा, 2017 के वैट रिफंड से संबंधित मुद्दों का त्वरित समाधान किया जा रहा है.
लगभग 1300 आवदेनों में से अप्रैल से अब तक 162 करोड़ रुपये के वैट का रिफंड किया जा चुका है. उन्होंने एमएसएमई के बैंक ऋणों का पुन: आंकलन करवाने का आश्वासन भी दिया. 10 प्रतिशत कार्यशील पूंजी उपलब्ध करवाने की योजना केन्द्र सरकार की ओर से घोषित की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि दीर्घावधि के ऋणों में एमएसएमई से ली जाने वाली मार्जन मनी को घटा कर 15 प्रतिशत किया जाएगा.
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उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान हरियाणा में बेहतर प्रबंध किए गए थे. सरकार द्वारा जरूरतमंदों के लिए 1047 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है. सभी सामाजिक संगठनों ने भी जरूरतमंदों को खाने पीने का राशन पहुंचाने में मदद की है. हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में विभिन्न संगठनों व लोगों ने 250 करोड़ रुपये का योगदान दिया है. कोरोना संघर्ष सेनानी पोर्टल पर 72,000 लोगों ने पंजीकरण करवाया है और कोरोना की लड़ाई में स्वेच्छा से सहयोग देने की पेशकश की है.