चंडीगढ़/दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र शेखावत के साथ पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के निर्माण को पूरा करने के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करने की पुरजोर वकालत की है.
सीएम मनोहर लाल ने हरियाणा को आवंटित पानी के वैध हिस्से को लाने के लिए पर्याप्त क्षमता की नहर के निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया. पंजाब के मुख्यमंत्री के इस दावे के संबंध में कि पानी की उपलब्धता कम हो गई है. मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल का निर्माण और पानी की उपलब्धता दो अलग-अलग मुद्दे हैं और एक दूसरे से जुड़े हुए नहीं हैं तथा इस मामले में भ्रमित नहीं करना चाहिए.
1981 के समझौते के अनुसार पानी की वर्तमान उपलब्धता के आधार पर राज्यों को पानी का आवंटन किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी, 2002 को दिए अपने फैसले में भी यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एसवाईएल नहर के निर्माण को पूरा करना है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने यह भी तर्क दिया है कि पिछले 10 वर्षों में रावी, सतलुज और ब्यास का अतिरिक्त पानी पाकिस्तान में गया है, जो राष्ट्रीय संसाधन की भारी बर्बादी है. जबकि, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने रावी नदी से इस प्रवाह की मात्रा 0.58 एमएएफ निर्धारित की थी और धर्मकोट में एक अन्य रावी-ब्यास लिंक के निर्माण की वकालत की थी. मानसून के दौरान पानी विशेष रूप से फिरोजपुर से पाकिस्तान में नीचे की तरफ बह जाता है.
इसके अलावा, भरने की अवधि के दौरान, यानी 21 मई से 20 सितंबर तक, व्यावहारिक रूप से भाखड़ा जलाशय से पानी निकालने की मांग पर बीबीएमबी द्वारा कोई प्रतिबंध नहीं है. दक्षिण हरियाणा के पानी की कमी वाले क्षेत्रों और भू-जल के पुनर्भरण के लिए इस तरह के अतिरिक्त पानी का दोहन किया जा सकता है. बजाय इसके कि यह पाकिस्तान में प्रवाहित हो.
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि चैनलों की मरम्मत और रखरखाव की अनुमति देने के लिए प्रत्येक नहर नेटवर्क में अतिरिक्त नहर की आवश्यकता होती है. वर्तमान में हरियाणा में रावी, ब्यास और सतलुज जल के मुख्य वाहक भाखड़ा मेन लाइन (बीएमएल) और नरवाना ब्रांच हैं, जो 50 साल से अधिक पुरानी हैं और 365 दिन व 24 घंटे चलती हैं. इनकी हालत काफी खराब हो चुकी है और रखरखाव की अति आवश्यकता है.
अगर इनमें से किसी में भी कोई बड़ी दरार आ जाए तो एक बड़ी मानवीय आपदा हो सकती है, क्योंकि इनमें पीने और सिंचाई के उद्देश्य के लिए पानी होता है. इसलिए एक वैकल्पिक कैरियर समय की जरूरत है. एसवाईएल नहर इन सभी उद्देश्यों को पूरा कर सकती है. इसके अलावा, हरियाणा के पानी की वैध हिस्सेदारी और इंडेंट फ्री सरप्लस पानी भी ले सकती है, जो अन्यथा पाकिस्तान में बह रहा है.
हालांकि, हरियाणा इस विषय पर बातचीत और चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन स्पष्ट शर्त और स्थितियों के साथ कि एसवाईएल का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार पूरा होना चाहिए. यह हरियाणा के पानी से वंचित क्षेत्रों के लोगों के साथ अन्याय है, जो अपने पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्णय के बावजूद पानी का उचित हिस्सा प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट को असंवैधानिक करार दिया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू किया जाना चाहिए.
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