चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में केजी से पीजी तक की शिक्षा शुरू की जाये ताकि बच्चों को एक ही स्थान पर गुणवतायुक्त शिक्षा उपलब्ध हो सके. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की फीस का भुगतान सरकार की ओर से किया जाएगा. इसके लिए शीघ्र ही नई योजना लाई जाएगी. मुख्यमंत्री शनिवार को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के दो दिवसीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे.
हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद की ओर से शिक्षा, नीति, स्वरोजगार एवं प्रबंधन को लेकर सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवार पहचान पत्र में जिन परिवारों की सत्यापित आय 1.80 लाख रुपए से कम है, उन परिवारों के बच्चों को विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करवाने के लिए नई योजना लाई जाएगी. इस योजना के तहत गरीब परिवारों के बच्चों की फीस का भुगतान सरकार की ओर से किया जाएगा ताकि विश्वविद्यालयों पर आर्थिक बोझ न बढ़े और गरीब बच्चों को उच्च स्तर तक की शिक्षा भी उपलब्ध हो सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में एम्लॉयमेंट ऑरियेंट प्रोग्राम तैयार किए जाएं और कम्प्यूटर एजुकेशन को अनिवार्य रूप से लागू किया जाए ताकि हर युवा कम्प्यूटर में दक्ष एवं निपुण हो सके. वर्तमान तकनीकी युग में हर युवा का कम्प्यूटर में पारंगत होना अनिवार्य है. युवाओं को ऐसी शिक्षा मिले जिससे उन्हें शिक्षा पूरी करने के बाद आसानी से रोजगार सुलभ हो सके. इसके अलावा युवा स्वरोजगार के लिए भी तैयार हो सकें.
उन्होंने कहा कि युवाओं को गुणवतायुक्त और अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए तकनीकी शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा विभाग का समायोजन किया जाएगा. इससे सरकार पर पड़ने वाला अनावश्यक बोझ भी कम होगा और युवाओं को बेहतरीन स्तर की तकनीकी और उच्चतर स्तर की शिक्षा संयुक्त रूप से मिल सकेगी. उन्होंने एलएलबी, इंजीनियरिंग आदि पाठ्यक्रमों में हिन्दी को बढ़ावा देने और अमृत सरोवर योजना के तहत इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को सरकारी विभागों के साथ जोड़ने के भी निर्देश दिए.
विश्वविद्यालयों को स्वावलम्बी बनाया जाए- मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों को आर्थिक रूप से सशक्त एवं स्वावलम्बी बनाने पर बल दिया जाए ताकि उन्हें सरकार की ग्रांट पर निर्भर न रहना पड़े. इसके लिए सरकार द्वारा बाहर से करवाए जाने वाले कार्य विश्वविद्यालयों को दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि कंसलटेंट, सर्वे आदि कार्य के लिए सरकार बाहर से एजेंसियां हायर करती है. भविष्य में ऐसे कार्य विश्वविद्यालयों को दिए जाएंगे. इससे विश्वविद्यालय की आय में इजाफा होगा और वे आर्थिक रूप सशक्त बनेंगे.
एक ही स्थान पर केजी से पीजी तक शिक्षा- मुख्यमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत प्रदेश की एमडीयू रोहतक (MDU Rohtak), कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, महिला विश्वविद्यालय खानपुर सहित चार विश्वविद्यालयों ने केजी से पीजी तक की शिक्षा एक ही स्थान पर मुहैया करवाना शुरू कर दिया है. प्रदेश की शेष यूनिवर्सिटी भी केजी से पीजी तक की शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए तेजी से कार्य करें ताकि प्रदेश के हर युवा को एक ही स्थान पर उच्चतर तक की शिक्षा आसानी से मिल सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पूर्व छात्र सम्मेलनों का हर वर्ष आयोजन किया जाए. प्रत्येक पूर्व छात्र पर विशेष ध्यान दिया जाए और जो पूर्व छात्र समर्थ होते हैं उन्हें इन सम्मेलनों में आमंत्रित किया जाए तथा उनकी मदद ली जाए. इसके अलावा वार्षिक दीक्षांत समारोह भी निश्चित अवधि में अवश्य किए जाएं. दीक्षांत समारोह में अंग्रेजो के समय से चली आ रही पुरानी प्रथा के ड्रेस कोड में भी बदलवा किया जाए.