ETV Bharat / city

नगर निगम ने लावारिस छोड़ दिए 13 गांव, बिना प्रतिनिधि के रहने को मजबूर ग्रामीण - chandigarh nagar nigam

नगर निगम ने सिटी ब्यूटीफुल के 13 गांवों को लावारिस हालत में छोड़ दिया है क्योंकि इन गांवों में लोगों की आवाज को सुनने वाला कोई प्रतिनिधि नहीं बचा है. ना ही कोई सरपंच है और ना ही कोई पार्षद, जो जनता की समस्याओं को अधिकारियों तक पहुंचा सके.

chandigarh nagar nigam
author img

By

Published : Jun 25, 2019, 5:10 PM IST

चंडीगढ़: इस साल नगर निगम ने चंडीगढ़ के 13 गांवों में पंचायतों को बर्खास्त करके उन्हें नगर निगम में शामिल कर लिया था. नगर निगम के इस कदम का ग्रामीणों ने जबरदस्त विरोध किया था. इसके बावजूद नगर निगम ने इन गांवों की पंचायतों को भंग कर दिया था. अब इन गांवों के लोगों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

नगर निगम ने लावारिस छोड़ दिए 13 गांव, बिना प्रतिनिधि को रहने के लिए मजबूर ग्रामीण.

नगर निगम ने नहीं करवाए चुनाव
पंचायतों को भंग करने के बाद सरपंच और पंचों के पद खत्म हो गए लेकिन नगर निगम ने यहां पर चुनाव नहीं करवाएं. जिससे यहां पर कोई पार्षद भी नहीं चुना गया. इस तरह से इन 13 गावों में ऐसा कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है जो गांव के लोगों की समस्याओं को सुनें और उन्हें अधिकारियों तक पहुंचाने या सुलझाने का प्रयास करें.

छोटे-छोटे कामों के लिए भी दर-दर भटकते हैं ग्रामीण
गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है. जैसे किसी फार्म पर किसी जनप्रतिनिधि के हस्ताक्षर करवाना, पहचान पत्र, वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि इन सभी कामों के लिए उन्हें चंडीगढ़ में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं क्योंकि उनके गांव में नगर निगम की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं है.

नगर निगम पर लगाए शोषण के आरोप
इन लोगों का कहना है कि एक तरफ तो पंचायतों को रद्द कर दिया गया और दूसरी ओर नगर निगम गांव के लोगों का शोषण भी करना शुरू कर रहा है. अभी तक गांव में आने वाली दुकानों पर कोई टैक्स नहीं लिया जाता था लेकिन इन दुकानों को अब नगर निगम में शामिल कर लिया गया है तो नगर निगम अब दुकानों पर टैक्स लेने की तैयारी कर रहा है.

साथ ही नगर निगम में शामिल होने के बावजूद इन गांवों की हालत सुधरने की बजाय और बदतर हो गई है. अगर गांव को नगर निगम में शामिल किया है तो यहां पर चंडीगढ़ जैसी सुविधाएं भी होनी चाहिए. मगर ऐसा नहीं हो रहा इसलिए ग्रामीण नगर निगम के इस फैसले का आज भी विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि यहां पर एक प्रतिनिधि को चुना जाए साथ ही इन गांव में चंडीगढ़ की तरह सुविधाएं भी दी जाए. वहीं इस बारे में बात करने के लिए कोई भी अधिकारी उपलब्ध नहीं था.

इन गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया-
किशनगढ़, मौली जागरां, दरिया, रायपुर कलां, मक्खन माजरा, बहलाना, रायपुर खुर्द, धनास, सारंगपुर, खुड्डा अलीशेर, खुड्डा जस्सू, लाहौरा और कैंबवाला का एरिया शामिल है.

चंडीगढ़: इस साल नगर निगम ने चंडीगढ़ के 13 गांवों में पंचायतों को बर्खास्त करके उन्हें नगर निगम में शामिल कर लिया था. नगर निगम के इस कदम का ग्रामीणों ने जबरदस्त विरोध किया था. इसके बावजूद नगर निगम ने इन गांवों की पंचायतों को भंग कर दिया था. अब इन गांवों के लोगों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है.

नगर निगम ने लावारिस छोड़ दिए 13 गांव, बिना प्रतिनिधि को रहने के लिए मजबूर ग्रामीण.

नगर निगम ने नहीं करवाए चुनाव
पंचायतों को भंग करने के बाद सरपंच और पंचों के पद खत्म हो गए लेकिन नगर निगम ने यहां पर चुनाव नहीं करवाएं. जिससे यहां पर कोई पार्षद भी नहीं चुना गया. इस तरह से इन 13 गावों में ऐसा कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है जो गांव के लोगों की समस्याओं को सुनें और उन्हें अधिकारियों तक पहुंचाने या सुलझाने का प्रयास करें.

छोटे-छोटे कामों के लिए भी दर-दर भटकते हैं ग्रामीण
गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है. जैसे किसी फार्म पर किसी जनप्रतिनिधि के हस्ताक्षर करवाना, पहचान पत्र, वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि इन सभी कामों के लिए उन्हें चंडीगढ़ में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं क्योंकि उनके गांव में नगर निगम की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं है.

नगर निगम पर लगाए शोषण के आरोप
इन लोगों का कहना है कि एक तरफ तो पंचायतों को रद्द कर दिया गया और दूसरी ओर नगर निगम गांव के लोगों का शोषण भी करना शुरू कर रहा है. अभी तक गांव में आने वाली दुकानों पर कोई टैक्स नहीं लिया जाता था लेकिन इन दुकानों को अब नगर निगम में शामिल कर लिया गया है तो नगर निगम अब दुकानों पर टैक्स लेने की तैयारी कर रहा है.

साथ ही नगर निगम में शामिल होने के बावजूद इन गांवों की हालत सुधरने की बजाय और बदतर हो गई है. अगर गांव को नगर निगम में शामिल किया है तो यहां पर चंडीगढ़ जैसी सुविधाएं भी होनी चाहिए. मगर ऐसा नहीं हो रहा इसलिए ग्रामीण नगर निगम के इस फैसले का आज भी विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि यहां पर एक प्रतिनिधि को चुना जाए साथ ही इन गांव में चंडीगढ़ की तरह सुविधाएं भी दी जाए. वहीं इस बारे में बात करने के लिए कोई भी अधिकारी उपलब्ध नहीं था.

इन गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया-
किशनगढ़, मौली जागरां, दरिया, रायपुर कलां, मक्खन माजरा, बहलाना, रायपुर खुर्द, धनास, सारंगपुर, खुड्डा अलीशेर, खुड्डा जस्सू, लाहौरा और कैंबवाला का एरिया शामिल है.

Intro:चंडीगढ़ नगर निगम ने चंडीगढ़ के 13 गांवों को लावारिस हालत में छोड़ दिया है । क्योंकि इन गांवों में लोगों की आवाज को सुनने वाला कोई प्रतिनिधि नहीं बचा है , ना ही कोई सरपंच है और ना ही कोई पार्षद, जो जनता की समस्याओं को अधिकारियों तक पहुंचा सके ।
आपको बता दें कि इस साल नगर निगम ने चंडीगढ़ के 13 गांवों में पंचायतों को बर्खास्त करके उन्हें नगर निगम में शामिल कर लिया था । नगर निगम के इस कदम का गांवों के लोगों ने जबरदस्त विरोध किया था। इसके बावजूद नगर निगम ने इन गांवों की पंचायतों को भंग कर दिया। अब इन गांवों के लोग ना बारिश हो जैसी जिंदगी जीने को मजबूर है क्योंकि इनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है।


Body:नगर निगम ने पंचायतों को भंग कर दिया ।जिससे सरपंच और पंचों के पद भी खत्म हो गए। लेकिन नगर निगम ने यहां पर चुनाव नहीं करवाएं। जिससे यहां पर कोई पार्षद भी नहीं चुना गया ।इस तरह से इन 13 गावों में ऐसा कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं है जो गांव के लोगों की समस्याओं को सुने और उन्हें अधिकारियों तक पहुंचा है या उन्हें सुलझाने का प्रयास करें। इस समय गांव में लोगों को जितनी भी समस्याएं पेश आती हैं वे उन्हें अधिकारियों तक नहीं पहुंचा पाते। गांव के लोगों का कहना है इसके अलावा उन्हें छोटे-छोटे कामों के लिए भी दर-दर भटकना पड़ता है। जैसे कोई किसी फार्म किसी जनप्रतिनिधि के हस्ताक्षर करवाना ,पहचान पत्र ,वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि इन सभी कामों के लिए उन्हें चंडीगढ़ में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। क्योंकि उनके गांव में नगर निगम की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं है। इन लोगों का कहना है कि एक तरफ तो पंचायतों को रद्द कर दिया गया और दूसरी ओर नगर निगम गांव के लोगों का शोषण भी करना शुरू कर रहा है।
अभी तक गांव में आने वाली दुकानों पर कोई टैक्स नहीं लिया जाता था ।मगर इन दुकानों को अब नगर निगम में शामिल कर लिया गया है तो नगर निगम अब दुकानों पर टैक्स लेने की तैयारी कर रहा है। साथ ही नगर निगम में शामिल होने के बावजूद इन गांवों की हालत सुधरने की बजाय और बदतर हो गई है अगर गांव को नगर निगम में शामिल किया है तो यहां पर चंडीगढ़ जैसी सुविधाएं भी होनी चाहिए । मगर ऐसा नहीं हो रहा , इसलिए वे नगर निगम के इस फैसले का आज भी विरोध करते हैं और नगर एवं से मांग करते हैं। यहां पर एक प्रतिनिधि को चुना जाए साथ ही इन गांव में चंडीगढ़ की तरह सुविधाएं भी दी जाए।

one to one with - गुरप्रीत सिंह हैप्पी पूर्व सरपंच, दढ़वा


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.