चंडीगढ़: हरियाणा कांग्रेस में मची उठापटक के बाद आज पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि 'पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ लंबे विचार-विमर्श के बाद और सभी कांग्रेसियों और जनता के लिए अच्छी तरह से ज्ञात कारणों के साथ, मैं प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं'
समर्थकों का छलका दर्द
अशोक तंवर के इस ट्वीट के बाद उनके समर्थकों का दर्द छलक उठा. किसी समर्थक ने मीम बनाकर लिखा कि साथ थे, साथ हैं और साथ रहेंगे. तो किसी ने लिखा 'मिस यू', किसी ने लिखा 'एक ही नारा एक ही जंग, मरते दम तक अशोक तंवर के संग'
कांग्रेस को किया बाय-बाय
यहां तक कि कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस को बाय-बाय करते हुए लिखा कि 'जहां अशोक तंवर वहां हम'.
इस्तीफे पर कुछ लोगों ने दी बधाई
'जहां एक तरफ तंवर समर्थकों का दर्द छलका है, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों ने इस्तीफे पर बधाई भी दी है'
पिछले तीन दिन का घटनाक्रम
कांग्रेस ने 3 अक्तूबर को अपनी पहली लिस्ट जारी की थी उससे दो दिन पहले से ही अशोक तंवर के समर्थक सोनिया गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. इसके बाद 2 अक्तूबर को अशोक तंवर ने सोनिया गांधी के घर के बाहर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए सोहना विधानसभा सीट की टिकट 5 करोड़ में बेचने का गंभीर आरोप लगाया. 3 अक्तूबर को जब कांग्रेस की पहली लिस्ट आई तो अशोक तंवर ने कांग्रेस की तमाम समितियों और कमेटियां से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद आज उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ दी.
अशोक तंवर क्यों हुए नाराज ?
दरअसल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही नहीं अशोक तंवर को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. दरअसल पिछले पांच साल से भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी कभी बनी नहीं. और हुड्डा ने चुनाव से पहले अशोक तंवर के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस पर दबाव बनाकर अशोक तंवर की छुट्टी करा दी.
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