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विश्व में 'मिनी क्यूबा' की बेटियों का जलवा, ऐसे गूंज रही इनके मुक्कों की धमक - भिवानी बॉक्सिंग क्लब की स्थापना

मिनी क्यूबा कहे जाने वाले भिवानी जिले की रेतीली लाल मिट्टी के लालों के मुक्कों की धूम पूरी दुनिया में है. अब यहां के लाल ही नहीं बल्कि लाडली भी दुनिया में अपने मुक्कों की बदौलत धूम मचा रही है.

'मिनी क्यूबा' की बेटियों का जलवा
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Published : Nov 20, 2019, 2:55 PM IST

Updated : Nov 21, 2019, 9:15 AM IST

भिवानी: उन्‍नीसवीं सदी के मध्‍यकाल से लेकर 21वीं सदी तक आते- आते महिलाओं ने नए आयाम तय किए. आज की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं. बात करें खेल कूद की तो महिलाओं ने इस क्षेत्र में भी अपनी योग्यता प्रदर्शित की और आज के समय में पुरुषों से खुद को आगे पाया. इसका जीवंत उदाहरण हैं भिवानी की महिला मुक्केबाज जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने मुक्कों की घाक दिखाई है.

नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी
हरियाणा के भिवानी जिले में 'मिनी क्यूबा' नाम से चर्चित जमीन पर अब नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी तैयार की जा रही है. जो भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों में जिसके जरिए महिला खिलाड़ी अपने आने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जी जान से जुटी हैं.

भिवानी के बॉक्सर इंडिया को करते हैं रिप्रजेंट
वहीं जब महिला मुक्केबाज दर्शन से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि भिवानी के बॉक्सर इंडिया को रिप्रजेंट करते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा बॉक्सिंग महिलाओं के करियर के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही महिलाओं के सेल्फ डिफेंस के लिए भी बहुत काम चीज है.

भिवानी बॉक्सिंग क्लब
भिवानी को बॉक्सिंग का गढ़ बनाने में इस क्लब का बड़ा योगदान माना जाता है. इस क्लब ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर दिए हैं.

विश्व में 'मिनी क्यूबा' की बेटियों का जलवा

2012 में महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में किया गया शामिल
आपको बता दें साल 2012 में पहली बार महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में शामिल किया गया था. बात भिवानी की भिवानी की महिला मुक्केबाजी की करें तो भीम अवॉर्डी और वर्ल्ड एशियन वूमेन मेडलिस्ट पूजा बोहरा, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर नीरज, नुपुर, विश्व मुक्केबाजी की चैंपियन नीतू घणघस, साक्षी, सोनिया, मोनिका, रीतू ग्रेवाल, मुकेश चहल सहित दो दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जुटी हैं.

  • भिवानी के महिला मुक्केबाजों में हैवी वेट मुक्केबाज और अर्जुन अवॉर्डी कविता चहल ऐसा नाम है, जिन्होंने 2012 से 2014 तक सबसे अधिक विश्व रैंकिंग में अपना स्थान रखा और चार बार एशियन मेडलिस्ट रही.
  • बात अगर नीतू घणघस की करें तो वो भी 2015, 2017 और 2018 में तीन बार विश्व महिला मुक्केबाजी में मेडल जीत चुकी हैं.
  • वहीं साक्षी भी विश्व मुक्केबाजी में मेडलिस्ट हैं

ये हैं भिवानी की स्पोर्ट्स एकेडमी

  • भिवानी शहर में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में 100 मुक्केबाज
  • भीम स्टेडियम में 200 मुक्केबाज
  • एबीसी एकेडमी में 400 के लगभग मुक्केबाज
  • सीबीसी एकेडमी में 200 के लगभग मुक्केबाज
  • कैप्टन हवासिंह बॉक्सिंग अकादमी में 200 के लगभग मुक्केबाज
  • फोगाट फैमिली की एकेडमी में 70 बच्चे हैं, जिनमें से 40 लड़कियां हैं

हरियाणा की इन महिलाओं ने खेलकूद में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

पहलवान विनेश फोगाट

  • विनेश फोगाट के पिता का मर्डर हुआ था, रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि बिस्तर पर रही, पर बहादुर बेटी का जज्बा कम नहीं हुआ और गोल्ड जीतकर इतिहास रचा. विनेश भिवानी के बलाली गांव निवासी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता फोगाट की चचेरी बहन है.

पहलवान गीता फोगाट

  • गीता फोगाट भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. गीता ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था. साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया.

पहलवान बबीता फोगाट

  • बबीता फोगाट हरियाणा के भिवानी जिले में रहने वाली भारतीय महिला पहलवान हैं. स्काटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स 2014 में भारतीय महिला पहलवान बबीता कुमारी ने 55 किलोग्राम भार वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा की महिला पहलवान ब्रितानी लाबेरदूरे को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था.

साइना नेहवाल

  • भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. वर्तमान में वह दुनिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा इस मुकाम तक पहुंचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला हैं. साथ ही एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली भी वो अकेली महिला खिलाड़ी हैं.

गीतिका जाखड़

  • गीतिका जाखड़ एक भारतीय महिला पहलवान हैं. इन्होंने 2014 में ग्लासगो कामनवेल्थ गेम्स में 63 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता.

ललिता सहरावत

  • एक भारतीय महिला पहलवान हैं. 2014 में ग्लासगो कामनवेल्थ गेम्स में 53 किलोग्राम भार वर्ग कुश्ती में भारत की पहलवान ललिता सहरावत ने सिल्वर मेडल जीता.

एकता भ्याण

  • जकार्ता में साल 2018 में आयोजित तीसरे एशियन पैरा गेम्स में एथलेटिक्स मुकाबले में एकता भ्याण ने गोल्ड मेडल हासिल किया था.

अनीता कुंडू

  • तीन बार माउंट एवरेस्ट को फतह कर चुकी हैं. जिले की बेटी अनीता कुंडू ने तीसरी बार एवरेस्ट की चोटी को फतह कर वहां तिरंगा फहराया है.

शिवांगी पाठक

  • शिवांगी पाठक ने 16 साल की उम्र में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर हरियाणा का नाम रोशन किया है. सबसे छोटी उम्र में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली शिवांगी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है

कृष्णा पूनिया

  • राष्ट्रमंडल खेल 2010 की स्वर्ण पदक विजेता चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया वर्तमान में राजस्थान के सादुलपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं.

ये भी पढ़ें: भारत का 'मिनी क्यूबा' भिवानी, जहां हर घर में पैदा होता है बॉक्सर

भिवानी: उन्‍नीसवीं सदी के मध्‍यकाल से लेकर 21वीं सदी तक आते- आते महिलाओं ने नए आयाम तय किए. आज की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं. बात करें खेल कूद की तो महिलाओं ने इस क्षेत्र में भी अपनी योग्यता प्रदर्शित की और आज के समय में पुरुषों से खुद को आगे पाया. इसका जीवंत उदाहरण हैं भिवानी की महिला मुक्केबाज जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने मुक्कों की घाक दिखाई है.

नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी
हरियाणा के भिवानी जिले में 'मिनी क्यूबा' नाम से चर्चित जमीन पर अब नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी तैयार की जा रही है. जो भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों में जिसके जरिए महिला खिलाड़ी अपने आने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जी जान से जुटी हैं.

भिवानी के बॉक्सर इंडिया को करते हैं रिप्रजेंट
वहीं जब महिला मुक्केबाज दर्शन से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि भिवानी के बॉक्सर इंडिया को रिप्रजेंट करते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा बॉक्सिंग महिलाओं के करियर के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही महिलाओं के सेल्फ डिफेंस के लिए भी बहुत काम चीज है.

भिवानी बॉक्सिंग क्लब
भिवानी को बॉक्सिंग का गढ़ बनाने में इस क्लब का बड़ा योगदान माना जाता है. इस क्लब ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर दिए हैं.

विश्व में 'मिनी क्यूबा' की बेटियों का जलवा

2012 में महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में किया गया शामिल
आपको बता दें साल 2012 में पहली बार महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में शामिल किया गया था. बात भिवानी की भिवानी की महिला मुक्केबाजी की करें तो भीम अवॉर्डी और वर्ल्ड एशियन वूमेन मेडलिस्ट पूजा बोहरा, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर नीरज, नुपुर, विश्व मुक्केबाजी की चैंपियन नीतू घणघस, साक्षी, सोनिया, मोनिका, रीतू ग्रेवाल, मुकेश चहल सहित दो दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जुटी हैं.

  • भिवानी के महिला मुक्केबाजों में हैवी वेट मुक्केबाज और अर्जुन अवॉर्डी कविता चहल ऐसा नाम है, जिन्होंने 2012 से 2014 तक सबसे अधिक विश्व रैंकिंग में अपना स्थान रखा और चार बार एशियन मेडलिस्ट रही.
  • बात अगर नीतू घणघस की करें तो वो भी 2015, 2017 और 2018 में तीन बार विश्व महिला मुक्केबाजी में मेडल जीत चुकी हैं.
  • वहीं साक्षी भी विश्व मुक्केबाजी में मेडलिस्ट हैं

ये हैं भिवानी की स्पोर्ट्स एकेडमी

  • भिवानी शहर में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में 100 मुक्केबाज
  • भीम स्टेडियम में 200 मुक्केबाज
  • एबीसी एकेडमी में 400 के लगभग मुक्केबाज
  • सीबीसी एकेडमी में 200 के लगभग मुक्केबाज
  • कैप्टन हवासिंह बॉक्सिंग अकादमी में 200 के लगभग मुक्केबाज
  • फोगाट फैमिली की एकेडमी में 70 बच्चे हैं, जिनमें से 40 लड़कियां हैं

हरियाणा की इन महिलाओं ने खेलकूद में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

पहलवान विनेश फोगाट

  • विनेश फोगाट के पिता का मर्डर हुआ था, रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि बिस्तर पर रही, पर बहादुर बेटी का जज्बा कम नहीं हुआ और गोल्ड जीतकर इतिहास रचा. विनेश भिवानी के बलाली गांव निवासी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता फोगाट की चचेरी बहन है.

पहलवान गीता फोगाट

  • गीता फोगाट भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. गीता ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था. साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया.

पहलवान बबीता फोगाट

  • बबीता फोगाट हरियाणा के भिवानी जिले में रहने वाली भारतीय महिला पहलवान हैं. स्काटलैंड के ग्लास्गो में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स 2014 में भारतीय महिला पहलवान बबीता कुमारी ने 55 किलोग्राम भार वर्ग में फ्रीस्टाइल कुश्ती में कनाडा की महिला पहलवान ब्रितानी लाबेरदूरे को हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था.

साइना नेहवाल

  • भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. वर्तमान में वह दुनिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं तथा इस मुकाम तक पहुंचने वाली वे प्रथम भारतीय महिला हैं. साथ ही एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली भी वो अकेली महिला खिलाड़ी हैं.

गीतिका जाखड़

  • गीतिका जाखड़ एक भारतीय महिला पहलवान हैं. इन्होंने 2014 में ग्लासगो कामनवेल्थ गेम्स में 63 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीता.

ललिता सहरावत

  • एक भारतीय महिला पहलवान हैं. 2014 में ग्लासगो कामनवेल्थ गेम्स में 53 किलोग्राम भार वर्ग कुश्ती में भारत की पहलवान ललिता सहरावत ने सिल्वर मेडल जीता.

एकता भ्याण

  • जकार्ता में साल 2018 में आयोजित तीसरे एशियन पैरा गेम्स में एथलेटिक्स मुकाबले में एकता भ्याण ने गोल्ड मेडल हासिल किया था.

अनीता कुंडू

  • तीन बार माउंट एवरेस्ट को फतह कर चुकी हैं. जिले की बेटी अनीता कुंडू ने तीसरी बार एवरेस्ट की चोटी को फतह कर वहां तिरंगा फहराया है.

शिवांगी पाठक

  • शिवांगी पाठक ने 16 साल की उम्र में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर हरियाणा का नाम रोशन किया है. सबसे छोटी उम्र में विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली शिवांगी का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है

कृष्णा पूनिया

  • राष्ट्रमंडल खेल 2010 की स्वर्ण पदक विजेता चक्का फेंक खिलाड़ी कृष्णा पूनिया वर्तमान में राजस्थान के सादुलपुर विधानसभा सीट से विधायक हैं.

ये भी पढ़ें: भारत का 'मिनी क्यूबा' भिवानी, जहां हर घर में पैदा होता है बॉक्सर

Intro:रिपोर्ट इन्द्रवेश भिवानी
दिनांक 19 नवंबर।
देश में बढ़ा महिला मुक्केबाजी का क्रेज
भिवानी में अभ्यास कर रही दो दर्जन अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज
2012 ओलंपिक में पहली बार शामिल की गई थी महिला मुक्केबाज
2012 के बाद महिला मुक्केबाजी में बढ़ा एकाएक ग्राफ
ओलंपिक मैडल पर पंच जमाने को तैयार महिला मुक्केबाज
आज महिलाएं पुरूषों से किन्ही भी मायनों में कम नहीं हैं। इस बात का जीवंत उदाहरण भिवानी की महिला मुक्केबाज हैं। जिन्होंने अंंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने मुक्कों की धाक जमाकर देश का नाम रोशन किया हैं। वह दिन दूर नहीं जब अगले एक दशक में महिला मुक्केबाज पुरूष मुक्केबाजों से अधिक पदक देश की झोली में डालेंगी। इसको लेकर भिवानी में नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी तैयार की जा रही हंै। मिनी क्यूबा के नाम से प्रसिद्ध भिवानी शहर में दर्जन भर के लगभग खेल अकादमियों में सैंकड़ों राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज निरंतर अभ्यास कर भविष्य में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारियो में जुटी हैं। अब इन महिला मुक्केबाजों ने ओलंपिक मैडल पर पंच जमाने की तरफ अपनी नजरें गड़ाए हुई है।
वर्ष 2012 में पहली बार महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में शामिल किया गया था। इस पहले ही अवसर में भारतीय मुक्केबाज मैरिकोम ने देश के लिए ओलंपिक में ब्रांज मैडल जीतकर भारतीय महिला मुक्केबाजों के जज्बे को दिखा दिया था। भिवानी की महिला मुक्केबाजी की बात करें तो भीम अवॉर्डी व वल्र्ड एशियन वूमैन मैडलिस्ट पूजा बोहरा, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर नीरज, नुपुर, विश्व मुक्केबाजी की चैंपियन नीतू घणघस, साक्षी, सोनिया, मोनिका, रीतू ग्रेवाल, मुकेश चहल सहित दो दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जुटी हैं। जो इस बात को साबित करता है कि महिला मुक्केबाजी में आने वाले समय में भारत का भविष्य बेहतर होगा।
Body: भिवानी के महिला मुक्केबाजों ने हैवी वेट मुक्केबाज, अर्जुन अवॉर्डी कविता चहल ऐसा नाम है, जिन्होंने 2012 से 2014 तक सबसे अधिक विश्व रैंकिंग में अपना स्थान रखा तथा चार बार एशियन मैडलिस्ट रही। नीतू घणघस भी 2015, 2017 व 2018 में तीन बार विश्व महिला मुक्केबाजी में मैडल प्राप्त कर चुकी है। वही साक्षी भी विश्व मुक्केबाजी में मैडलिस्ट हैं। इन महिला मुक्केबाजों के अनुशासन व कड़े परिश्रम को देखते हुए भारतीय महिला मुक्केबाजी का भविष्य पदकों से झोली भरने वाला नजर आ रहा हैं। भिवानी के ओलंपियन मुक्केबाजों की तर्ज पर महिला मुक्केबाजी भी दिन-प्रतिदिन उन्नति करती नजर आ रही हैं।
Conclusion: राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज मोनिका व दर्शन का कहना है कि पुरूष मुक्केबाजों से अधिक मैडल उन्हे महिला मुक्केबाजी में आते नजर आ रहे हैं, क्योंकि हालही में हुए वल्र्ड चैंपियनशिप में भारत को पुरूष मुक्केबाजी में दो मैडल मिले थे, जबकि महिला मुक्केबाजी में चार मैडल मिले थे। पिछले तीन सालों के दौरान महिला मुक्केबाजी न केवल भिवानी, बल्कि देश में तेजी से बढ़ी है। जिसका कारण 2012 में लंदन ओलंपिक में आईओसी द्वारा महिला मुक्केबाजी को शामिल करना हैं। उन्होंने कहा कि महिला मुक्केबाजों को पुरूष मुक्केबाजों से अधिक मेहनत करनी पड़ती हैं। क्योंकि कुछ परिवारों की महिला मुक्केबाजों को अपने घर के काम भी करने पड़ते है तथा कुछ मामलों में परिवारिक सहयोग भी कम ही मिल पाता हैं। हालांकि इन मुक्केबाजों ने कहा कि भिवानी में अभ्यास कर रही महिला मुक्केबाज पुरूष मुक्केबाजों से अधिक गंभीरता व अनुशासन से अभ्यास करती है। यही बात उन्हे आगे बढ़ाने में सहायक है।
बाईट : दर्शन व मोनिका राष्ट्रीय मुक्केबाज।
Last Updated : Nov 21, 2019, 9:15 AM IST
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