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फीस वसूली मामला: निजी स्कूलों को HC से नहीं मिली कोई राहत, सितंबर तक टली सुनवाई - bhiwani latest news

लॉकडाउन के दौरान स्कूली बच्चों से फीस और अन्य फंड वसूली की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में गए सर्व विद्यालय एवं निजी स्कूलों को कोई राहत नहीं मिली. बता दें कि, हरियाणा सरकार ने लॉकडाउन की अवधि में निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस लेने, और किसी भी तरह के चार्ज या फीस नहीं लेने के आदेश दिए थे.

private School Fees matter haryana
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Published : Jun 22, 2020, 3:09 PM IST

Updated : Jun 22, 2020, 9:30 PM IST

भिवानी: हरियाणा के निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा छात्रों से अन्य किसी भी तरह की फीस की वसूली पर हरियाणा सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के जो आदेश दिए गए उन आदेशों को निजी स्कूलों की संस्था सर्व विद्यालय संघ हरियाणा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी, लेकिन निजी स्कूलों को हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सात सितंबर तक टाल दी है.

सरकार के आदेश पर स्टे चाहते हैं निजी स्कूल

दरअसल सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बंद पड़े निजी स्कूल पंजाब की तर्ज पर स्कूली बच्चों से 70 फीसदी फीस व फंड जमा कराने की मांग करते हुए सरकार के ट्यूशन फीस के आदेश पर स्टे चाहते थे. मगर कोर्ट ने कोई राहत नहीं देते हुए इस मामले की सुनवाई सितंबर तक टाल दी. वहीं स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह व अन्य अभिभावक संगठनों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में भी अभिभावकों का पक्ष रखा.

निजी स्कूलों को HC से नहीं मिली कोई राहत, सितंबर तक टली सुनवाई.

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल ने बताया कि न्यायालय में निजी स्कूल हरियाणा सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने पर भी फीस और अन्य फंड लेने की अनुमति के लिए पहुंचे थे. निजी स्कूलों का तर्क था कि उनके पास स्टॉफ की सैलरी और संचालन के लिए कोई फंड नहीं है इसलिए सरकार द्वारा इस अवधि के दौरान केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेश पर स्टे दिया जाए.

ये भी पढ़ें- अगले दो दिन में हरियाणा पहुंच सकता है मानसून, होगी झमाझम बारिश

उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के पास रिजर्व फंड है और अधिकांश निजी स्कूल करोड़ों रुपयों का सालाना लाभ भी अर्जित कर रहे हैं. इस अवधि के दौरान बच्चों पर फीस व अन्य फंडों का बोझ नहीं डाला जा सकता, जबकि स्कूलों का संचालन इन मद्दों में रिर्जव राशि से किया जा सकता है. संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि निजी स्कूल पंजाब में फीस पर हुए स्टे का हवाला दे रहे हैं, जबकि हरियाणा में एजुकेशन एक्ट और नोटिफिकेशन भी अलग है.

कोर्ट जानना चाहता है अभिभावकों का पक्ष

इसी लिहाज से निजी स्कूलों को हरियाणा शिक्षा नियमावली की अनुपालना भी जरूरी है. मगर सभी निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय में एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 17(5) के तहत ऑडिट बैलेंस सीट तक जमा नहीं करा रहे हैं. निजी स्कूलों ने अभिभावक व संगठनों के इस मामले में सुनवाई की औपचारिकता पर ही सवाल उठाए थे, जिस पर कोर्ट ने ये भी माना है कि इस मामले में सुनवाई की जल्दी नहीं है, इसमें अभिभावकों का पक्ष जानना भी आवश्यक है. इसके बाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई सात सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.

भिवानी: हरियाणा के निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के अलावा छात्रों से अन्य किसी भी तरह की फीस की वसूली पर हरियाणा सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के जो आदेश दिए गए उन आदेशों को निजी स्कूलों की संस्था सर्व विद्यालय संघ हरियाणा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी, लेकिन निजी स्कूलों को हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सात सितंबर तक टाल दी है.

सरकार के आदेश पर स्टे चाहते हैं निजी स्कूल

दरअसल सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान बंद पड़े निजी स्कूल पंजाब की तर्ज पर स्कूली बच्चों से 70 फीसदी फीस व फंड जमा कराने की मांग करते हुए सरकार के ट्यूशन फीस के आदेश पर स्टे चाहते थे. मगर कोर्ट ने कोई राहत नहीं देते हुए इस मामले की सुनवाई सितंबर तक टाल दी. वहीं स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह व अन्य अभिभावक संगठनों ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में भी अभिभावकों का पक्ष रखा.

निजी स्कूलों को HC से नहीं मिली कोई राहत, सितंबर तक टली सुनवाई.

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल ने बताया कि न्यायालय में निजी स्कूल हरियाणा सरकार द्वारा लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने पर भी फीस और अन्य फंड लेने की अनुमति के लिए पहुंचे थे. निजी स्कूलों का तर्क था कि उनके पास स्टॉफ की सैलरी और संचालन के लिए कोई फंड नहीं है इसलिए सरकार द्वारा इस अवधि के दौरान केवल ट्यूशन फीस लेने के आदेश पर स्टे दिया जाए.

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उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के पास रिजर्व फंड है और अधिकांश निजी स्कूल करोड़ों रुपयों का सालाना लाभ भी अर्जित कर रहे हैं. इस अवधि के दौरान बच्चों पर फीस व अन्य फंडों का बोझ नहीं डाला जा सकता, जबकि स्कूलों का संचालन इन मद्दों में रिर्जव राशि से किया जा सकता है. संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि निजी स्कूल पंजाब में फीस पर हुए स्टे का हवाला दे रहे हैं, जबकि हरियाणा में एजुकेशन एक्ट और नोटिफिकेशन भी अलग है.

कोर्ट जानना चाहता है अभिभावकों का पक्ष

इसी लिहाज से निजी स्कूलों को हरियाणा शिक्षा नियमावली की अनुपालना भी जरूरी है. मगर सभी निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय में एजुकेशन एक्ट 1995 के सेक्शन 17(5) के तहत ऑडिट बैलेंस सीट तक जमा नहीं करा रहे हैं. निजी स्कूलों ने अभिभावक व संगठनों के इस मामले में सुनवाई की औपचारिकता पर ही सवाल उठाए थे, जिस पर कोर्ट ने ये भी माना है कि इस मामले में सुनवाई की जल्दी नहीं है, इसमें अभिभावकों का पक्ष जानना भी आवश्यक है. इसके बाद हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई सात सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी.

Last Updated : Jun 22, 2020, 9:30 PM IST
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