भिवानी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से देश की जनता से संयम व संकल्प का पालन करते हुए घरों में बने रहने की अपील करते हुए जनता से संवाद साधा. प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के कारण लोगों को घरों में रखने के लिए देश की जनता से माफी मांगते हुए इसे देश की जनता के लिए आवश्यक कदम बताया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर की स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े 20 लाख स्वास्थ्य कर्मियों का 50 लाख रूपये का बीमा सरकार ने किया है, ताकि वे निर्बाध रूप से स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं देते रहे.
प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम को भिवानी वासियों ने घर में ही विभिन्न संचार माध्यम से लाइव सुना तथा उनकी बातों की गंभीरता को समझने का प्रयास किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के स्वास्थ्य के लिए घरों में बने रहकर लोगों को रचनात्मक कार्य करने चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि वे भी घर मे रहकर क्या कार्य करते है, उनकी वीडियो जल्द ही जनता से सांझा करेंगे.
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामलों को देखे तो इनमें अचानक से वृद्धि होती है, इसीलिए आम जनता को चाहिए कि वे अब बाहर झांकने की बजाए घर में रहकर अपने अंदर झांके. प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नर्सिंग सेवाओं से जुड़े कार्यकर्ताओं को समर्पित है, क्योंकि परीक्षा की इस घड़ी में देश भर के डॉक्टर व नर्स के अलावा बिजली, पानी, बैंकिंग व आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई करने वाले लोग आज देश के वास्तविक हीरो हैं. हमें इनका सम्मान करना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब घर में रहकर सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों में जान फूंकने का समय है. मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से कोरोना बीमारी से ठीक हुए परिवारों और इन्हें ठीक करने वाले डॉक्टरों से भी जनता का संवाद करवाकर देशवासियों का हौसला बढ़ाया तथा उनके अनुभव जनता से सांझे किए.
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना की बीमारी से क्वारंटाइन हुए लोगों से बुरा बर्ताव करने की सूचनाएं उन्हें प्राप्त हुई हैं, इससे उन्हें काफी पीड़ा पहुंची है. इसीलिए लोगों को चाहिए कि वे बुरा बर्ताव न करें, बल्कि भूखे व जरूरतमंदों को खाना खिलाएं, यही हमारी संस्कृति हैं.
प्रधानमंत्री का वक्तव्य सुनने के बाद भिवानी वासियों ने बताया कि प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें घरों में रहकर रचनात्मक कार्य करने की प्रेरणा मिली है तथा इस बीमारी को ठीक करने वाले डॉक्टरों के संवाद सुनकर उनका डर दूर हुआ है तथा इस बात का भी आभास हुआ है कि इस बीमारी से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंस अपनानी जरूरी है.
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