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अंबाला: सब्जियों के दामों के बाद अब दालों की कीमतों में भी आया उछाल

सब्जियों के दामों में हो रही लगातार भारी बढ़ोत्तरी के बाद अब रसोई का स्वाद दालें खराब करेंगी. दालों के दामों में 30 से 40 फीसदी तक वृद्धि हुई है. गृहणियों ने कहा कि महंगाई ने रसोई का बजट बिगाड़ कर रख दिया है.

price hike in pulses in ambala
दालों के दामों में वृद्धि
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Published : Jan 21, 2020, 8:54 PM IST

अंबाला: देश और प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों की रसोई का स्वाद बिगाड़ कर रख दिया है. प्याज और टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं मटर, गोभी, शिमला मिर्च, भिंडी और अन्य सब्जियां ग्राहकों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं. जहां सब्जियों के रेट आसमान छू रहे हैं वहीं दालों के रेट भी 30 से 40 फीसदी बढ़ चुके हैं. आम ग्राहकों का कहना है कि हर -घर में रोजाना रात के समय सब्जी के साथ डाल जरूर बनती है क्योंकि बिना दाल चावल के खाने में स्वाद नहीं आता. लेकिन अब बेतहाशा बढ़े दालों के दामों में भी आम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

लोग कम खरीद रहे दाल

जो लोग पहले राशन में 1 से 2 किलो दाल खरीदा करते थे वो अब एक पाव से आधा किलो दाल खरीद कर अपना गुजारा करने पर मजबूर हैं. उनका कहना है कि सरकार का अब सब्जी हो या दाल किसी के मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण नहीं रहा और दुकानदार बिना वजह इनके रेट बढ़ाकर मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं. सरकार को चाहिए कि वे इनके दामों में रोजाना हुए रही वृद्धि पर अंकुश लगाए जिससे आम लोगों को राहत मिल सके.

सब्जियों के दामों के बाद अब दालों के दामों में भी हुई वृद्धि

महिलाएं चिंतित

लगातार बढ़ते दामों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित महिलाएं हैं क्योंकि हर महिला रसोई का एक बजट लेकर चलती हैं. महिलाओं का कहना है कि पहले वे रसोई में राशन ज्यादा रखती थी लेकिन अब उतना राशन नहीं लाया जाता.

दाम हमारे हाथ में नहीं- दुकानदार

वहीं दूसरी और खानपान का सामान बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि यह सब रेट ऊपर से बढ़कर आते हैं और वो तो केवल एक से 2 रुपये मुनाफा लेकर ही अपना गुजारा करते हैं. उनका ये भी कहना है कि जो बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है उसमें आढ़तियों- दलालों का भी बहुत बड़ा हाथ हैं.

साथ ही उनका कहना है कि जो दाल है वो भी सब्जी की तरह बाहर से आती है जिस पर ट्रांसपोर्ट सहित जीएसटी का खर्चा अलग से पड़ता है जिसके कारण इनके रेट बढ़ना मुनासिब हो गया है. उनका कहना है कि अगर सरकार चाहे तो उनके रेट फिक्स कर सकती है लेकिन दुकानदारों ने तो 1 से 2 रुपये ही मुनाफा कमाना है. उनका कहना है कि सरकार ने आटे के दाम में कुछ कमी की है इसका लाभ जल्दी ही लोगों को मिलने लग जाएगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा में विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने किया उद्घाटन

अंबाला: देश और प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों की रसोई का स्वाद बिगाड़ कर रख दिया है. प्याज और टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं मटर, गोभी, शिमला मिर्च, भिंडी और अन्य सब्जियां ग्राहकों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं. जहां सब्जियों के रेट आसमान छू रहे हैं वहीं दालों के रेट भी 30 से 40 फीसदी बढ़ चुके हैं. आम ग्राहकों का कहना है कि हर -घर में रोजाना रात के समय सब्जी के साथ डाल जरूर बनती है क्योंकि बिना दाल चावल के खाने में स्वाद नहीं आता. लेकिन अब बेतहाशा बढ़े दालों के दामों में भी आम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

लोग कम खरीद रहे दाल

जो लोग पहले राशन में 1 से 2 किलो दाल खरीदा करते थे वो अब एक पाव से आधा किलो दाल खरीद कर अपना गुजारा करने पर मजबूर हैं. उनका कहना है कि सरकार का अब सब्जी हो या दाल किसी के मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण नहीं रहा और दुकानदार बिना वजह इनके रेट बढ़ाकर मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं. सरकार को चाहिए कि वे इनके दामों में रोजाना हुए रही वृद्धि पर अंकुश लगाए जिससे आम लोगों को राहत मिल सके.

सब्जियों के दामों के बाद अब दालों के दामों में भी हुई वृद्धि

महिलाएं चिंतित

लगातार बढ़ते दामों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित महिलाएं हैं क्योंकि हर महिला रसोई का एक बजट लेकर चलती हैं. महिलाओं का कहना है कि पहले वे रसोई में राशन ज्यादा रखती थी लेकिन अब उतना राशन नहीं लाया जाता.

दाम हमारे हाथ में नहीं- दुकानदार

वहीं दूसरी और खानपान का सामान बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि यह सब रेट ऊपर से बढ़कर आते हैं और वो तो केवल एक से 2 रुपये मुनाफा लेकर ही अपना गुजारा करते हैं. उनका ये भी कहना है कि जो बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है उसमें आढ़तियों- दलालों का भी बहुत बड़ा हाथ हैं.

साथ ही उनका कहना है कि जो दाल है वो भी सब्जी की तरह बाहर से आती है जिस पर ट्रांसपोर्ट सहित जीएसटी का खर्चा अलग से पड़ता है जिसके कारण इनके रेट बढ़ना मुनासिब हो गया है. उनका कहना है कि अगर सरकार चाहे तो उनके रेट फिक्स कर सकती है लेकिन दुकानदारों ने तो 1 से 2 रुपये ही मुनाफा कमाना है. उनका कहना है कि सरकार ने आटे के दाम में कुछ कमी की है इसका लाभ जल्दी ही लोगों को मिलने लग जाएगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा में विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष ने किया उद्घाटन

Intro:सब्जियों के दामों में हो रही लगातार भारी बढ़ोतरी के बाद अब रसोई का स्वाद खराब करेगी दाले। दालों के दामों में 30 से 40 फ़ीसदी हुई वृद्धि ने गृहिणियों का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। क्योंकि हर रोज एक बार बनने वाली दाल के स्वाद पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है । वहीं दुकानदारों का कहना है यह रेट ऊपर होलसेल मार्केट में बड़े हैं वह तो ₹1 अपना प्रॉफिट लेकर गुजारा कर रहे हैं। साथ ही उनका कहना है कि आटे के दामों में अब कमी आई है।


Body:देश और प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों की रसोई का स्वाद बिगाड़ कर रख दिया है। प्याज और टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं मटर, गोभी, शिमला मिर्च, भिंडी और अन्य सब्जियां ग्राहकों को सोचने पर मजबूर कर रही हैं। जहां सब्जियों के रेट आसमान छू रहे हैं वहीं दालों के रेट भी 30 से 40 फ़ीसदी बढ़ चुके हैं । आम ग्राहकों का कहना है कि हर -घर में रोजाना रात के समय सब्जी के साथ डाल जरूर बनती है क्योंकि बिना दाल चावल के खाने में स्वाद नहीं आता। लेकिन अब बेतहाशा बढ़े दालों के दामों में भी आम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। जो लोग पहले राशन में 1 से 2 किलो दाल खरीदा करते थे वह अब एक पाव से आधा किलो दाल खरीद कर अपना गुजारा करने पर मजबूर है । उनका कहना है कि सरकार का अब सब्जी हो या दाल किसी के मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण नहीं रहा और दुकानदार बिना वजह इनके रेट बढ़ाकर मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं। सरकार को चाहिए कि वे इनके दामों में रोजाना हुए रही वृद्धि पर अंकुश लगाए जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।

बाइट- रुपेश, ग्राहक
बाइट- अमरजीत सिंह, ग्राहक

लगातार बढ़ते दामों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित महिलाएं हैं क्योंकि हर महिला रसोई का एक बजट लेकर चलती है । महिलाओं का कहना है कि पहले वे रसोई में राशन ज्यादा रखती थी लेकिन अब उतना राशन नहीं लाया जाता।

बाइट- डिंपल मित्तल, गृहिणी

वहीं दूसरी और खानपान का सामान बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि यह सब रेट ऊपर से बढ़कर आते हैं और वह तो केवल एक से ₹2 मुनाफा लेकर ही अपना गुजारा करते हैं। उनका यह भी कहना है कि जो बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है उसमें आढ़तियों- दलालों का भी बहुत बड़ा हाथ है । साथ ही उनका कहना है कि जो दाल है वह भी सब्जी की तरह बाहर से आती है जिस पर ट्रांसपोर्ट सहित जीएसटी का खर्चा अलग से पड़ता है जिसके कारण इनके रेट बढ़ना मुनासिब हो गया है ।उनका कहना है कि अगर सरकार चाहे तो उनके रेट फिक्स कर सकती है लेकिन दुकानदारों ने तो 1 से ₹2 ही मुनाफा कमाना है। उनका कहना है कि सरकार ने आटे के दाम में कुछ कमी की है इसका लाभ जल्दी ही लोगों को मिलने लग जाएगा।


बाइट- विनोद कुमार, दुकानदार
बाइट- हरीश कुमार, दुकानदार


Conclusion:
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