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Union Budget Explained : आसान भाषा में समझें व्यय बजट क्या है ?

संसद के बजट सत्र (parliament budget session) में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister sitharaman) एक बार फिर आम बजट पेश करेंगी. बजट में अर्थव्यवस्था के कई ऐसे कठिन शब्दों का प्रयोग होता है, जिनका आसान भाषा में अर्थ समझना कठिन होता है. आम बजट पेश किए जाने से पहले ईटीवी भारत आर्थिक बारीकियों को समझाने का प्रयास कर रहा है. आसान भाषा में समझें, व्यय बजट क्या है ?

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Published : Jan 18, 2022, 6:33 PM IST

Updated : Jan 20, 2022, 12:59 PM IST

नई दिल्ली : संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले केंद्रीय बजट (union budget 2022) से सरकार की वार्षिक वित्तीय नीति की जानकारी मिलती है. आम बजट या एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट (Annual Financial Statement) केंद्र सरकार की प्राप्तियों और व्यय का सबसे विस्तृत विवरण (comprehensive statement) होता है. टैक्स और गैर-कर राजस्व संग्रह, ब्याज से होने वाली आय, लाभांश आदि से सरकार को जो प्राप्तियां (government's receipts) होती हैं, इनका विवरण आम बजट में दिया जाता है. इसे रिसिप्ट बजट कहा जाता है, इसके अलावा सरकार जो खर्च करती है, इन्हें व्यय या एक्सपेंडिचर बजट (expenditure budget) में दिखाया जाता है.

भारत के संविधान में अनुच्छेद 112 में किए गए प्रावधान के मुताबिक राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण प्रस्तुत करते हैं. इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा जाता है.

वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) के संबंध में अनुच्छेद 112 में ही लिखा गया है कि व्यय अलग से दिखाए जाएंगे. व्यय बजट में शामिल सरकारी खर्चों के लिए संसद में मतदान की जरूरत होती है. कुछ व्यय ऐसे भी होते हैं जिनके लिए मतदान जरूरी नहीं होता. इन दोनों को वोटेड और प्रभारित व्यय (voted and charged expenditure) के रूप में जाना जाता है.

अनुच्छेद 112 यह भी निर्धारित करता है कि सरकार के राजस्व व्यय को अन्य सभी व्ययों से अलग दिखाया जाएगा. राजस्व व्यय ऐसे खर्चों को कहा जाता है जिनसे सरकार के लिए किसी भी प्रकार की संपत्ति का निर्माण नहीं होता. इनमें वेतन और मजदूरी का भुगतान, नियमित खर्च जैसी कई चीजें शामिल होती हैं.

व्यय बजट (Expenditure Budget)

पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार के सभी प्रस्तावित खर्चों के लिए संसद में 'अनुदान की मांग' प्रस्तुत किए जाने का प्रावधान है. अनुदान की मांग के तहत किसी योजना या कार्यक्रम के लिए किए गए प्रावधानों को शामिल किया जाता है. डिमांड फॉर ग्रांट में राजस्व और पूंजी जैसे कई प्रमुख वर्गीकरण भी किए जाते हैं.

व्यय बजट के अंतर्गत किसी योजना या कार्यक्रम के तहत होने वाले अनुमानित खर्च (Expenditure Budget estimates) को एक साथ दिखाया जाता है. इन खर्चों को नेट राजस्व और पूंजी के आधार पर (on net revenue and capital basis) दिखाया जाता है. उदाहरण के लिए, अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के व्यय को दो समूहों में बांटा जाता है. पहला, केंद्रीय व्यय और दूसरा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को केंद्र की ओर से भेजे जाने वाले पैसे (expenditure is transfers to states).

केंद्रीय व्यय के रूप में दिखाए गए मद के अंतर्गत भी तीन उपवर्ग बनाए जाते हैं. इसमें केंद्र सरकार का स्थापना व्यय (establishment expenditures of centre) शामिल होता है. केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार वाली योजनाओं पर व्यय (expenditure on central sector schemes) और अन्य केंद्रीय खर्चों (Other central expenditures) को भी केंद्रीय व्यय हेड (central expenditure head) के तहत लिखे जाने का नियम है. अन्य केंद्रीय खर्चों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises (CPSEs) और स्वायत्त निकायों पर होने वाले खर्च (autonomous bodies expenditure) भी शामिल होते हैं.

यह भी पढ़ें- Union Budget Explained: आसान शब्दों में जानें, बजट में क्या होता भारत का लोक लेखा खाता

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे जाने वाले पैसों का खर्च भी एक्सपेंडिचर बजट के तहत तीन सबहेड में बांट कर लिखे जाते हैं. व्यय की पहली श्रेणी केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) से संबंधित है, दूसरी श्रेणी के व्यय में वित्त आयोग के हस्तांतरण (Finance Commission transfers) हैं और तीसरे श्रेणी के व्यय में राज्यों को भेजे जाने वाले अन्य पैसे (other transfers to states) शामिल हैं.

व्यय बजट में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत होने वाले खर्च (explanatory notes for underlying expenditure objectives) की व्याख्या करने के लिए सरकार व्याख्यात्मक नोट भी देती है. सभी खर्चों के अंतर्निहित उद्देश्यों की व्याख्या करने के लिए केंद्र सरकार नियम के तहत व्याख्यात्मक नोट देती है.

नई दिल्ली : संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले केंद्रीय बजट (union budget 2022) से सरकार की वार्षिक वित्तीय नीति की जानकारी मिलती है. आम बजट या एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट (Annual Financial Statement) केंद्र सरकार की प्राप्तियों और व्यय का सबसे विस्तृत विवरण (comprehensive statement) होता है. टैक्स और गैर-कर राजस्व संग्रह, ब्याज से होने वाली आय, लाभांश आदि से सरकार को जो प्राप्तियां (government's receipts) होती हैं, इनका विवरण आम बजट में दिया जाता है. इसे रिसिप्ट बजट कहा जाता है, इसके अलावा सरकार जो खर्च करती है, इन्हें व्यय या एक्सपेंडिचर बजट (expenditure budget) में दिखाया जाता है.

भारत के संविधान में अनुच्छेद 112 में किए गए प्रावधान के मुताबिक राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के संबंध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण प्रस्तुत करते हैं. इसे वार्षिक वित्तीय विवरण कहा जाता है.

वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) के संबंध में अनुच्छेद 112 में ही लिखा गया है कि व्यय अलग से दिखाए जाएंगे. व्यय बजट में शामिल सरकारी खर्चों के लिए संसद में मतदान की जरूरत होती है. कुछ व्यय ऐसे भी होते हैं जिनके लिए मतदान जरूरी नहीं होता. इन दोनों को वोटेड और प्रभारित व्यय (voted and charged expenditure) के रूप में जाना जाता है.

अनुच्छेद 112 यह भी निर्धारित करता है कि सरकार के राजस्व व्यय को अन्य सभी व्ययों से अलग दिखाया जाएगा. राजस्व व्यय ऐसे खर्चों को कहा जाता है जिनसे सरकार के लिए किसी भी प्रकार की संपत्ति का निर्माण नहीं होता. इनमें वेतन और मजदूरी का भुगतान, नियमित खर्च जैसी कई चीजें शामिल होती हैं.

व्यय बजट (Expenditure Budget)

पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार के सभी प्रस्तावित खर्चों के लिए संसद में 'अनुदान की मांग' प्रस्तुत किए जाने का प्रावधान है. अनुदान की मांग के तहत किसी योजना या कार्यक्रम के लिए किए गए प्रावधानों को शामिल किया जाता है. डिमांड फॉर ग्रांट में राजस्व और पूंजी जैसे कई प्रमुख वर्गीकरण भी किए जाते हैं.

व्यय बजट के अंतर्गत किसी योजना या कार्यक्रम के तहत होने वाले अनुमानित खर्च (Expenditure Budget estimates) को एक साथ दिखाया जाता है. इन खर्चों को नेट राजस्व और पूंजी के आधार पर (on net revenue and capital basis) दिखाया जाता है. उदाहरण के लिए, अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के व्यय को दो समूहों में बांटा जाता है. पहला, केंद्रीय व्यय और दूसरा राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को केंद्र की ओर से भेजे जाने वाले पैसे (expenditure is transfers to states).

केंद्रीय व्यय के रूप में दिखाए गए मद के अंतर्गत भी तीन उपवर्ग बनाए जाते हैं. इसमें केंद्र सरकार का स्थापना व्यय (establishment expenditures of centre) शामिल होता है. केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार वाली योजनाओं पर व्यय (expenditure on central sector schemes) और अन्य केंद्रीय खर्चों (Other central expenditures) को भी केंद्रीय व्यय हेड (central expenditure head) के तहत लिखे जाने का नियम है. अन्य केंद्रीय खर्चों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises (CPSEs) और स्वायत्त निकायों पर होने वाले खर्च (autonomous bodies expenditure) भी शामिल होते हैं.

यह भी पढ़ें- Union Budget Explained: आसान शब्दों में जानें, बजट में क्या होता भारत का लोक लेखा खाता

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे जाने वाले पैसों का खर्च भी एक्सपेंडिचर बजट के तहत तीन सबहेड में बांट कर लिखे जाते हैं. व्यय की पहली श्रेणी केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) से संबंधित है, दूसरी श्रेणी के व्यय में वित्त आयोग के हस्तांतरण (Finance Commission transfers) हैं और तीसरे श्रेणी के व्यय में राज्यों को भेजे जाने वाले अन्य पैसे (other transfers to states) शामिल हैं.

व्यय बजट में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत होने वाले खर्च (explanatory notes for underlying expenditure objectives) की व्याख्या करने के लिए सरकार व्याख्यात्मक नोट भी देती है. सभी खर्चों के अंतर्निहित उद्देश्यों की व्याख्या करने के लिए केंद्र सरकार नियम के तहत व्याख्यात्मक नोट देती है.

Last Updated : Jan 20, 2022, 12:59 PM IST
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