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किस्सा हरियाणे का: पंजोखरा साहिब के इस सरोवर में स्नान करने से हर रोग से मिलता है छुटकारा!

'किस्सा हरियाणे का' के इस एपिसोड में हम आपको लेकर जा रहे हैं अंबाला के पंजोखरा साहिब. मान्यता है कि इस गुरद्वारे के जो भी लगातार पांच रविवार दर्शन करता है और यहां के दिव्य सरोवर में स्नान करता है उसके सारे रोग दूर हो जाते हैं. गूंगा बोलने लगता है और बहरा सुनने लगता है.

किस्सा हरियाणे का
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Published : Aug 13, 2019, 9:59 AM IST

अंबाला: अंबाला-नारायणगढ़ मार्ग पर जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव पंजोखरा साहिब अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है. लगभग 8000 की आबादी वाले गांव पंजोखरा साहिब को सिक्खों के आठवें गुरू श्री हरकिशन जी ने अपने पवित्र चरणों का स्पर्श प्रदान किया था.

इस गुरुद्वारे में कुछ तो है, देखिए रिपोर्ट

पवित्र सरोवर में स्नान करने से सभी रोग होते हैं दूर
गुरू जी के पंजोखरा आगमन से लेकर आज तक प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु गुरू जी के इस पवित्र स्थान पर नतमस्तक होते है. जहां न केवल इनकी मनोकामनाएं पूरी होती है बल्कि यहां के पवित्र सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है.

1718 में मात्र 5 वर्ष की आयु में गुरू हरशिकन को मिली गद्दी
सिक्ख इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि गुरू जी का जन्म सावन सुधी 9 सम्वत 1713 को कीरतपुर साहिब पंजाब में हुआ था. गुरू जी को जन्म से ही गुरूओं की पवित्र वाणी के साथ प्रेम था और उनके इस प्रेम को देखकर सातवें गुरू श्री हरराय जी ने सम्वत 1718 में मात्र 5 वर्ष की आयु में गुरू गद्दी उन्हें सौंप दी थी. गुरू जी के दर्शन करने वाले लोगों को न केवल मानसिक शान्ति मिलती थी बल्कि उनके चरण स्पर्श से कुछ की क्षणों में पुराने से पुराने रोग भी दूर हो जाते थे. गुरू हरकिशन के बारे में इस तरह की चर्चा सुनने के बाद मुगल शासन औरगंजेब ने भी इनके दर्शन करने चाहे, लेकिन उन्होंने कहा कि न तो औंरगजेब को दर्शन देंगे और न ही कभी उससे किसी तरह का संबध रखेंगे.

पंजोखरा साहिब रूके थे गुरू हरकिशन
दूसरी तरफ राजा जयसिंह को सिक्ख धर्म के अनुयायी थे, ने अपने दूत परसराम के माध्यम से गुरू जी को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया और उनके इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए आपने दिल्ली की तरफ कूच किया. श्री हरकिशन जी कीरतपुर से दिल्ली जाते समय पंजोखरा साहिब में रूके और उनके यहां आने की खबर सुनते ही पंजोखरा साहिब और आस-पास के क्षेत्रों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लग गया.

पंडित लालचंद ने गुरू हरकिशन के सामने रखी शर्त
गांव पंजोखरा के ही पंडित लालचंद को जब इस संबध में पता चला, तो उन्होंने श्री हरकिशन को गुरू मानने से इंकार करते हुए कहा कि इनती छोटी अवस्था में एक बालक को गुरू की उपाधि कैसे दी जा सकती है. पंडित लालचंद ने सिक्खों के सामने शर्त रखी कि यदि हरकिशन गीता के श्लोकों के अर्थ कर दे, तों मैं उनकों गुरू मानने के लिए तैयार हूं. पंडित जी भागवतगीता लेकर गुरू जी के दरबार में आए और गुरू जी से कहा कि अगर अपने आप को सिक्ख धर्म के आठवें गुरू कहलवाते हो, तो आप श्री कृष्ण जी की भागवतगीता के अर्थ करके दिखाएं. गुरू जी के आप गांव से किसी भी व्यक्ति को मेरे पास ले आओ और वह व्यक्ति गीता के श्लोकों के अर्थ कर देगा.

गूंगे-बहरे लोगों की दूर होती हैं मुश्किलें
पंडित जी ने गुरू जी के साथ चालाकी करते हुए छज्जू जो झीवर जाति से संबध रखता था और बोलने व सुनने में असमर्थ था, उसको गुरू जी के सामने पेश कर दिया. गुरू जी ने इस गूंगे-बहरे व्यक्ति को सरोवर में स्नान करवाया और फिर गुरू हरकिशन भौरा साहिब पर बैठकर पंडित लालचंद के हर श्लोक का वर्णन छज्जू चीवर से करवाया. जिसके बाद पंडित जी गुरू हरकिशन के चरण में गिर पड़े. तभी से मान्यता है कि यहां गूंगे बहरे व्यक्ति भी स्वस्थ्य हो जाते हैं.

पांच रविवार पंजोरखा साहिब के दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना
इसके कुछ दिनों बाद गुरू जी ने इस जगह पर निशान साहिब की स्थापना की और श्रद्धालुओं के लिए लंगर चलाने के आदेश दिए. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से लगातार पांच रविवार गुरूद्वारा पंजोखरा साहिब के दर्शन करेगा उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी और शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिलेगा.

श्रद्धालुओं के लिए किए जाते हैं विशेष इंतजाम
इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक गुरुद्वारे में आने के लिए किसी भी श्रदालु को ठहरने के लिए किसी होटल या रैन बसेरे की जरूरत नहीं है. खाने के लिए इस गुरूद्वारे में 24 घंटे लंगर चलाया जाता है और सोने के लिए बेहतरीन किस्म के बिस्तर मिल जाते हैं. नहाने के लिए सर्दी में गर्म पानी की विशेष व्यवस्‍था की गई है. गुरूद्वारे की सुंदरता ही इतनी है कि श्रद्धालुओं की बरबस ही अपनी और खींच लेती है.

अंबाला: अंबाला-नारायणगढ़ मार्ग पर जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव पंजोखरा साहिब अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है. लगभग 8000 की आबादी वाले गांव पंजोखरा साहिब को सिक्खों के आठवें गुरू श्री हरकिशन जी ने अपने पवित्र चरणों का स्पर्श प्रदान किया था.

इस गुरुद्वारे में कुछ तो है, देखिए रिपोर्ट

पवित्र सरोवर में स्नान करने से सभी रोग होते हैं दूर
गुरू जी के पंजोखरा आगमन से लेकर आज तक प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु गुरू जी के इस पवित्र स्थान पर नतमस्तक होते है. जहां न केवल इनकी मनोकामनाएं पूरी होती है बल्कि यहां के पवित्र सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है.

1718 में मात्र 5 वर्ष की आयु में गुरू हरशिकन को मिली गद्दी
सिक्ख इतिहास का अध्ययन करने पर पता चलता है कि गुरू जी का जन्म सावन सुधी 9 सम्वत 1713 को कीरतपुर साहिब पंजाब में हुआ था. गुरू जी को जन्म से ही गुरूओं की पवित्र वाणी के साथ प्रेम था और उनके इस प्रेम को देखकर सातवें गुरू श्री हरराय जी ने सम्वत 1718 में मात्र 5 वर्ष की आयु में गुरू गद्दी उन्हें सौंप दी थी. गुरू जी के दर्शन करने वाले लोगों को न केवल मानसिक शान्ति मिलती थी बल्कि उनके चरण स्पर्श से कुछ की क्षणों में पुराने से पुराने रोग भी दूर हो जाते थे. गुरू हरकिशन के बारे में इस तरह की चर्चा सुनने के बाद मुगल शासन औरगंजेब ने भी इनके दर्शन करने चाहे, लेकिन उन्होंने कहा कि न तो औंरगजेब को दर्शन देंगे और न ही कभी उससे किसी तरह का संबध रखेंगे.

पंजोखरा साहिब रूके थे गुरू हरकिशन
दूसरी तरफ राजा जयसिंह को सिक्ख धर्म के अनुयायी थे, ने अपने दूत परसराम के माध्यम से गुरू जी को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया और उनके इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए आपने दिल्ली की तरफ कूच किया. श्री हरकिशन जी कीरतपुर से दिल्ली जाते समय पंजोखरा साहिब में रूके और उनके यहां आने की खबर सुनते ही पंजोखरा साहिब और आस-पास के क्षेत्रों में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लग गया.

पंडित लालचंद ने गुरू हरकिशन के सामने रखी शर्त
गांव पंजोखरा के ही पंडित लालचंद को जब इस संबध में पता चला, तो उन्होंने श्री हरकिशन को गुरू मानने से इंकार करते हुए कहा कि इनती छोटी अवस्था में एक बालक को गुरू की उपाधि कैसे दी जा सकती है. पंडित लालचंद ने सिक्खों के सामने शर्त रखी कि यदि हरकिशन गीता के श्लोकों के अर्थ कर दे, तों मैं उनकों गुरू मानने के लिए तैयार हूं. पंडित जी भागवतगीता लेकर गुरू जी के दरबार में आए और गुरू जी से कहा कि अगर अपने आप को सिक्ख धर्म के आठवें गुरू कहलवाते हो, तो आप श्री कृष्ण जी की भागवतगीता के अर्थ करके दिखाएं. गुरू जी के आप गांव से किसी भी व्यक्ति को मेरे पास ले आओ और वह व्यक्ति गीता के श्लोकों के अर्थ कर देगा.

गूंगे-बहरे लोगों की दूर होती हैं मुश्किलें
पंडित जी ने गुरू जी के साथ चालाकी करते हुए छज्जू जो झीवर जाति से संबध रखता था और बोलने व सुनने में असमर्थ था, उसको गुरू जी के सामने पेश कर दिया. गुरू जी ने इस गूंगे-बहरे व्यक्ति को सरोवर में स्नान करवाया और फिर गुरू हरकिशन भौरा साहिब पर बैठकर पंडित लालचंद के हर श्लोक का वर्णन छज्जू चीवर से करवाया. जिसके बाद पंडित जी गुरू हरकिशन के चरण में गिर पड़े. तभी से मान्यता है कि यहां गूंगे बहरे व्यक्ति भी स्वस्थ्य हो जाते हैं.

पांच रविवार पंजोरखा साहिब के दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना
इसके कुछ दिनों बाद गुरू जी ने इस जगह पर निशान साहिब की स्थापना की और श्रद्धालुओं के लिए लंगर चलाने के आदेश दिए. उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से लगातार पांच रविवार गुरूद्वारा पंजोखरा साहिब के दर्शन करेगा उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी और शारीरिक रोगों से भी छुटकारा मिलेगा.

श्रद्धालुओं के लिए किए जाते हैं विशेष इंतजाम
इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक गुरुद्वारे में आने के लिए किसी भी श्रदालु को ठहरने के लिए किसी होटल या रैन बसेरे की जरूरत नहीं है. खाने के लिए इस गुरूद्वारे में 24 घंटे लंगर चलाया जाता है और सोने के लिए बेहतरीन किस्म के बिस्तर मिल जाते हैं. नहाने के लिए सर्दी में गर्म पानी की विशेष व्यवस्‍था की गई है. गुरूद्वारे की सुंदरता ही इतनी है कि श्रद्धालुओं की बरबस ही अपनी और खींच लेती है.

Intro:गुरुद्वारा पंजोखरा साहिब सिखो के आठवें गुरु श्री हरकृष्ण साहिब जी की याद में अम्बाला के पंजोखरा गांव में स्तिथ है।

मान्यता है कि गुरुद्वारा पंजोखरा साहिब के सरोवर में जो भी गूँगे वहरे बच्चे पाँच बार स्नान करते है वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते है।


Body:गुरुद्वारा पंजोखरा साहिब के हेड ग्रंथि बूटा सिंह ने बताया कि श्री गुरु हरकृष्ण साहिब जी किरतपुर से दिल्ली जाने के लिए निकले थे रास्ते मे उन्हीने पंजोखरा नगर में तीन दिन के लिए रुके थे।

हरकृष्ण साहिब जी के पंजोखरा नगर में रुकने की खबर सुनते ही भारी मात्रा में सगत उनके दर्शन के लिए आ पहुंची। उनके प्रति सगत का प्यार देखकर पंजोखरा नगर के पंडित लालचंद गुस्से में आगये।

पंडित लालचंद ने गुरु हरकृष्ण साहिब जी को कहा कि बाल्यकाल में होने के बाबजूद तुम अपने अपने आपको द्वापर युग के अवतार भगवान कृष्ण से भी बड़कर खुद को गुरु कहलवाते हो। जिन्होंने भागवत गीता रची है।

क्या तुम गीता में लिखे श्लोको का वर्णन कर सकते हों। इस पर गुरु हरकृष्ण साहिब जी ने कहा हम आपके हर सवाल का जवाब दे सकते है पर आपके मन की शंका फिर भी कम नही होंगी। इसलियें आप अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को ले आओ उससे हम गीता के श्लोको का वर्णन करवा देंगे।

पंडित लालचंद पंजोखरा नगर के बचपन से ही गूँगे वहरे व्यक्ति छज्जू चीवर को ले आये। फिर गुरु हरकृष्ण साहिब जी ने सबसे पहले छज्जू चीवर को सरोवर में नहलाया और फिर उसे साफ सुथरे कपड़े पहनाकर गुरु जी के पास ले आये।

श्री गुरु हरकृष्ण साहिब जी ने भौरा साहिब पर बैठकर पंड़ित लालचंद के हर श्लोक का वर्णन छज्जू चीवर से करवाया। छज्जू चीवर ने भी पंडित लालचंद के हर श्लोक का वर्णन सुनकर और बोलकर किया।

तभी से यह मान्यता है कि जो भी बच्चे बोल सुन नही पाते उनका गुरुद्वारा पंजोखरा साहिब में पाँच बार स्नान करवाने से वह बोलना और सुनना शुरू कर देते है।


गुरुद्वारा पंजोखरा साहिब के हेड ग्रंथि बूट सिंह ने बहुत से बच्चों के उदाहरण भी दिए जिन्हीने यहा पर आकर स्नान करने के बाद से बोलना सुनना शुरू कर दिया।


Conclusion:
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