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World Animal Day 2023: MP में सामने आया रोचक विश्लेषण, इंसान ही नहीं पालतू पेट्स हो रहे डायबिटीज और हृदय रोग के शिकार

आज वर्ल्ड एनिमल डे है. इस खास मौके पर हम आपको पेट्स से जुड़े कुछ खास बात बताएंगे. मध्यप्रदेश के राज्य पशु चिकित्सालय द्वारा किए गए एक एनालिसिस में सामने आया है कि डॉग्स और कैट जैसे पालतू जानवरों में भी डायबिटीज और हार्ट डिसीज जैसी बिमारी देखने मिल रही है.

World Animal Day 2023
पेट्स में डायबिटीज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 4, 2023, 6:21 PM IST

एमपी में सामने आया रोचक विश्लेषण

भोपाल। लाइफ स्टाइल बदली तो तोहफे में डायबिटीज, हार्ट डिसीज जैसी बीमारियां मिली, लेकिन अब ऐसी ही बीमारियां पालतू डॉग्स और कैट्स में भी देखने को मिल रही है. यह तथ्य मध्यप्रदेश के राज्य पशु चिकित्सालय द्वारा किए गए 3 माह के डाटा एनालिसिस में सामने आया है. इसमें पता चला है कि डॉग्स और कैट जैसे पालतू जानवरों की नेचुरल लाइफ स्टाइल का ख्याल नहीं रखा जा रहा. जिससे डॉग्स भी डायबिटीज, किडनी रोग से ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे कई डॉग्स का डायलिसिस तक कराना पड़ रहा है.

5 फीसदी डॉग्स निकल रहे डायबिटिक: राज्य पशु चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. संजीव शर्मा बताते हैं कि "हॉस्पिटल में करीबन 450 की ओपीडी चल रही है यानी हर रोज करीबन 450 जानवरों का इलाज इस हॉस्पिटल में किया जा रहा है. इनमें अधिकांशतः पालतू डॉग्स, कैट ही होते हैं. पिछले दो माह के दौरान आने वाले पेट्स डॉग्स और कैट्स की डिसीज के हिसाब से डाटा का एनालिसिस कराया गया तो सामने आया कि करीबन 10 फीसदी डॉग्स डायबिटीज, हार्ट डिसीज, किडनी रोग और एलर्जी ब्रोकाइटिस से पीड़ित हो रहे हैं. कई डॉग्स को डायलिसिस तक कराना पड़ रहा है. डॉक्टर संजीव शर्मा कहते हैं कि पिछले सालों में इस तरह के केसे बढ़े हैं. खासतौर से कोरोना काल के बाद से."

पैक्ड फूड और भरपूर आराम बना रहा बीमार: दरअसल, यह स्थिति डॉग्स के नेचुरल लाइफ स्टाइल में बदलाव किए जाने से आ रही है. डॉक्टर तिवारी बताते हैं कि "आमतौर पर पहले पालतू डॉग्स को दूध रोटी या घर पर बना खाना ही खिलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें पैक्ड फूड दिया जाता है. जिसमें प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जिनको लगातार खिलाने से उनमें फैट्स बढ़ता है. कई बार घरों में आने वाले पिज्जा, बिस्किट जैसी चीजें भी डॉग्स को खिलाते हैं. इसके अलावा डॉग्स को भी भरपूर एक्सरसाइज की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें सिर्फ कुछ देर बाहर घुमाकर फिर घर में कैद कर दिया जाता है. डॉक्टर बताते हैं कि सबसे ज्यादा समस्या विदेशी नस्ल के कुत्तों जैसे लैब्राडोर, गोल्डर रिट्रीवर, जर्मन शेफर्ड, रोटवेईलर जैसी ब्रीड में देखने को मिलती है.

यहां पढ़ें...

घर में है डॉग्स तो रखें यह सावधानी: वेटनरी डॉक्टर्स के मुताबिक यदि आपने घर में डॉग्स पाले हैं, तो सिर्फ उसका खाने-पीने का ही ध्यान रखना काफी नहीं है. इंसानों की तरह उसकी एक्सारसाइज, डाइट और वैक्सीनेशन का ख्याल रखना जरूरी है.

  1. डॉग्स को पैक्ड फूड खिलाने के साथ बीच-बीच में घर का बना खाना भी खिलाएं.
  2. डॉग्स को सिर्फ कुछ देर बाहर घुमाना पर्याप्त नहीं है. बेहतर होगा कि डॉग्स को कम से कम एक घंटे बाहर एक्सरसाइज कराएं जैसे- उसे दौडाएं, उसे बार-बार बॉल फेंककर उठाने के लिए इशारा करें.
  3. डॉग्स का समय-समय पर वैक्सीनेशन जरूर कराएं. खासतौर से जब सीजन में बदलाव आता है, तब उनकी सेहत का ध्यान रखें.

एमपी में सामने आया रोचक विश्लेषण

भोपाल। लाइफ स्टाइल बदली तो तोहफे में डायबिटीज, हार्ट डिसीज जैसी बीमारियां मिली, लेकिन अब ऐसी ही बीमारियां पालतू डॉग्स और कैट्स में भी देखने को मिल रही है. यह तथ्य मध्यप्रदेश के राज्य पशु चिकित्सालय द्वारा किए गए 3 माह के डाटा एनालिसिस में सामने आया है. इसमें पता चला है कि डॉग्स और कैट जैसे पालतू जानवरों की नेचुरल लाइफ स्टाइल का ख्याल नहीं रखा जा रहा. जिससे डॉग्स भी डायबिटीज, किडनी रोग से ग्रसित हो रहे हैं. ऐसे कई डॉग्स का डायलिसिस तक कराना पड़ रहा है.

5 फीसदी डॉग्स निकल रहे डायबिटिक: राज्य पशु चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. संजीव शर्मा बताते हैं कि "हॉस्पिटल में करीबन 450 की ओपीडी चल रही है यानी हर रोज करीबन 450 जानवरों का इलाज इस हॉस्पिटल में किया जा रहा है. इनमें अधिकांशतः पालतू डॉग्स, कैट ही होते हैं. पिछले दो माह के दौरान आने वाले पेट्स डॉग्स और कैट्स की डिसीज के हिसाब से डाटा का एनालिसिस कराया गया तो सामने आया कि करीबन 10 फीसदी डॉग्स डायबिटीज, हार्ट डिसीज, किडनी रोग और एलर्जी ब्रोकाइटिस से पीड़ित हो रहे हैं. कई डॉग्स को डायलिसिस तक कराना पड़ रहा है. डॉक्टर संजीव शर्मा कहते हैं कि पिछले सालों में इस तरह के केसे बढ़े हैं. खासतौर से कोरोना काल के बाद से."

पैक्ड फूड और भरपूर आराम बना रहा बीमार: दरअसल, यह स्थिति डॉग्स के नेचुरल लाइफ स्टाइल में बदलाव किए जाने से आ रही है. डॉक्टर तिवारी बताते हैं कि "आमतौर पर पहले पालतू डॉग्स को दूध रोटी या घर पर बना खाना ही खिलाया जाता था, लेकिन अब उन्हें पैक्ड फूड दिया जाता है. जिसमें प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जिनको लगातार खिलाने से उनमें फैट्स बढ़ता है. कई बार घरों में आने वाले पिज्जा, बिस्किट जैसी चीजें भी डॉग्स को खिलाते हैं. इसके अलावा डॉग्स को भी भरपूर एक्सरसाइज की जरूरत होती है, लेकिन उन्हें सिर्फ कुछ देर बाहर घुमाकर फिर घर में कैद कर दिया जाता है. डॉक्टर बताते हैं कि सबसे ज्यादा समस्या विदेशी नस्ल के कुत्तों जैसे लैब्राडोर, गोल्डर रिट्रीवर, जर्मन शेफर्ड, रोटवेईलर जैसी ब्रीड में देखने को मिलती है.

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घर में है डॉग्स तो रखें यह सावधानी: वेटनरी डॉक्टर्स के मुताबिक यदि आपने घर में डॉग्स पाले हैं, तो सिर्फ उसका खाने-पीने का ही ध्यान रखना काफी नहीं है. इंसानों की तरह उसकी एक्सारसाइज, डाइट और वैक्सीनेशन का ख्याल रखना जरूरी है.

  1. डॉग्स को पैक्ड फूड खिलाने के साथ बीच-बीच में घर का बना खाना भी खिलाएं.
  2. डॉग्स को सिर्फ कुछ देर बाहर घुमाना पर्याप्त नहीं है. बेहतर होगा कि डॉग्स को कम से कम एक घंटे बाहर एक्सरसाइज कराएं जैसे- उसे दौडाएं, उसे बार-बार बॉल फेंककर उठाने के लिए इशारा करें.
  3. डॉग्स का समय-समय पर वैक्सीनेशन जरूर कराएं. खासतौर से जब सीजन में बदलाव आता है, तब उनकी सेहत का ध्यान रखें.
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