श्रीनगर : टेरर-फंडिंग मामले के आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज, मुनीर अहमद कटारिया और अर्शीद अहमद टोंच की नजरबंदी अवधि को 50 दिनों के लिए और बढ़ा दिया है. पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआईए न्यायाधीश परवीन सिंह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच की अवधि बढ़ाने की मांग करने वाले आवेदन को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश दिया.
उक्त प्रविधान के तहत यह कहा गया है कि यदि नब्बे दिनों की अवधि के भीतर जांच पूरी करना संभव नहीं है, तो न्यायालय लोक अभियोजक की रिपोर्ट से संतुष्ट हो सकता है जिसमें जांच की प्रगति और विशिष्ट कारणों का संकेत दिया गया है. नब्बे दिनों की उक्त अवधि से परे अभियुक्त की नजरबंदी को अदालत एक सौ अस्सी दिन तक बढ़ा सकती है. अदालत ने उक्त प्रविधानों के तहत तीनों आराेपितों की नजरबंदी 25 मार्च 2022 से 50 दिनों के लिए बढ़ाने का आदेश दिया. परवेज को 22 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, मुनीर अहमद और अर्शीद अहमद को 16 और 18 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था.
एनआईए के अनुसार, जांच से पता चला था कि एनआईए के कुछ आधिकारिक गुप्त दस्तावेज आरोपी आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी ने आरोपी मुनीर अहमद कटारिया के साथ गुप्त संचार चैनलों के माध्यम से साझा किए थे. आगे कहा गया कि इसी क्रम में आरोपी मुनीर, खुर्रम और अर्शीद और आरोपी अरविंद नेगी को भी पुलिस हिरासत लिया था.
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एनआईए ने अदालत को बताया था कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी आतंकवादी गतिविधियों की योजना और निष्पादन में सहायता प्रदान करने के लिए व्यापक नेटवर्क स्थापित किया था. आरोप है कि मुनीर, अर्शीद और परवेज भारत के विभिन्न राज्यों में लश्कर के जमीनी कार्यकर्ताओं और भर्ती किए गए लोगों का एक नेटवर्क चला रहे थे.